किश्तवाड़ आपदा : 33 लापता लोगों की तलाश में जुटी हैं कई एजेंसियां
गोला पवनेश
- 21 Aug 2025, 05:23 PM
- Updated: 05:23 PM
चिशोती (जम्मू कश्मीर), 21 अगस्त (भाषा) जम्मू कश्मीर में बादल फटने की प्राकृतिक आपदा से प्रभावित किश्तवाड़ जिले में लापता 33 लोगों का पता लगाने के लिए कई एजेंसियों द्वारा चलाया जा रहा तलाशी अभियान बृहस्पतिवार को आठवें दिन भी जारी है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
मचैल माता मंदिर के रास्ते में पड़ने वाले आखिरी गांव में 14 अगस्त को आई प्राकृतिक आपदा में मरने वाले लोगों की संख्या 65 हो गई है, जिसमें केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के तीन कर्मी और जम्मू कश्मीर पुलिस का एक विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) शामिल हैं। इस घटना में 100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘33 लापता लोगों का पता लगाने के लिए विभिन्न एजेंसियों द्वारा चलाए जा रहे तलाशी अभियान को तेज कर दिया गया है। सबसे ज्यादा प्रभावित जगहों पर अलग-अलग टीमें अभियान चला रही हैं।’’
अभियान को तीन स्थानों पर केंद्रित किया गया है - लंगर (सामुदायिक रसोईघर) के पास सबसे ज्यादा प्रभावित स्थल, वह क्षेत्र जहां घर बह गए थे तथा गुलाबगढ़-पद्दार क्षेत्र में भुआट नाला।
अधिकारियों ने बताया कि इन स्थानों पर पुलिस, सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ), सीमा सड़क संगठन (बीआरओ), नागरिक प्रशासन और स्थानीय स्वयंसेवक संयुक्त रूप से राहत और बचाव कार्यों में लगे हुए हैं।
उन्होंने बताया कि पिछले दो दिनों में दो शव बरामद होने के बाद एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पुलिस कर्मियों की एक टीम चिशोती से गुलाबगढ़ तक नदी की धारा के पूरे 22 किलोमीटर क्षेत्र में तलाशी अभियान चला रही है।
बचाव कार्यों में सहायता के लिए चिशोती में विशेष भारी ट्रक तैनात किए गए हैं। उन्होंने बताया कि अधिकारी प्रभावित क्षेत्रों में त्वरित निकासी सुनिश्चित करने और राहत प्रदान करने के लिए ऐसे वाहनों का उपयोग कर रहे हैं।
एनडीआरएफ की 13वीं बटालियन के बचाव दल नदी-नालों के किनारे सक्रिय रूप से खोज अभियान चला रहे हैं और लापता व्यक्तियों का पता लगाने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि वे गहन और सुरक्षित तलाश सुनिश्चित करने के लिए बड़े-बड़े पत्थर और मलबा भी हटा रहे हैं।
अधिकारियों ने बताया कि मृतकों की संख्या 65 हो गई है, जबकि लापता लोगों के कुछ अंग बरामद किए गए हैं और डीएनए पहचान की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के निर्देश पर तैनात वरिष्ठ आईएएस और आईपीएस अधिकारी जमीनी स्तर पर अभियान की निगरानी कर रहे हैं।
बादल फटने से आई अचानक बाढ़ ने भारी तबाही मचाई, जिससे एक अस्थायी बाजार और मचैल माता मंदिर की वार्षिक तीर्थयात्रा के लिए लंगर स्थल नष्ट हो गया, 16 घर और सरकारी इमारतें, तीन मंदिर, चार पनचक्की, 30 मीटर लंबा एक पुल और 12 से अधिक वाहन क्षतिग्रस्त हो गए।
सेना के इंजीनियरों ने रविवार को चिशोती नाले पर ‘बेली ब्रिज’ बनाकर गांव और मचैल माता मंदिर तक पहुंच बहाल की।
वार्षिक मचैल माता यात्रा (जो 25 जुलाई से शुरू हुई थी और पांच सितंबर तक चलनी थी) लगातार निलंबित है। हालांकि जम्मू से ‘छड़ी’ लेकर निकलने वाले श्रद्धालुओं के जत्थे को 21 या 22 अगस्त को मंदिर पहुंचने की अनुमति दी जाएगी।
करीब 9,500 फुट ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 8.5 किलोमीटर लंबी पैदल यात्रा चिशोती से शुरू होती है, जो किश्तवाड़ शहर से लगभग 90 किलोमीटर दूर है।
भाषा
गोला