एमएससीबी घोटाला: राकांपा (एसपी) विधायक रोहित पवार अदालत में पेश हुए
नोमान अविनाश
- 21 Aug 2025, 06:00 PM
- Updated: 06:00 PM
मुंबई, 21 अगस्त (भाषा) राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के विधायक रोहित पवार बृहस्पतिवार को महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक (एमएससीबी) से जुड़े कथित घोटाला के सिलसिले में यहां एक विशेष अदालत के समक्ष पेश हुए और कहा कि उनके खिलाफ "फर्जी" आरोपपत्र दायर किया गया है।
एमएससीबी धनशोधन मामला अगस्त 2019 में मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी से उपजा है। इस मामले में आरोप है कि एमएससीबी के तत्कालीन अधिकारियों और निदेशकों ने एसएसके (सहकारी चीनी कारखाना या सहकारी चीनी मिलों) को उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना अपने रिश्तेदारों/निजी व्यक्तियों को औने-पौने दामों पर बेच दिया।
सांसदों/विधायकों के मामलों के लिए विशेष न्यायाधीश सत्यनारायण नवंदर ने पिछले महीने पवार के खिलाफ मामले में दायर नए आरोपपत्र का संज्ञान लिया था, जिसमें कहा गया था कि प्रथम दृष्टया यह पाया गया है कि आरोपी जानबूझकर इस धोखाधड़ीपूर्ण अधिग्रहण में शामिल थे।
इसके बाद अदालत ने राकांपा (एसपी) नेता और पूरक आरोपपत्र में नामजद अन्य आरोपियों को समन जारी किया था।
अहिल्यानगर जिले में कर्जत-जामखेड विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले पवार समन के अनुपालन में अदालत के समक्ष उपस्थित हुए।
उनके अधिवक्ता दीक्षिता गोहिल और प्रांजल अग्रवाल ने बताया कि अदालत ने उनकी अनुपालना और प्रतिष्ठा को देखते हुए कोई शर्त लगाए बिना उनकी उपस्थिति दर्ज की और निजी मुचलका देने का निर्देश दिया।
अदालत द्वारा पूछताछ करने पर पवार के वकीलों ने कहा कि अभियोजन पक्ष की शिकायत (आरोपपत्र) फर्जी है और इसमें कोई मामला नहीं बनता, इसलिए चुनौती देने का अधिकार है।
सुनवाई की अगली तारीख आठ अक्टूबर है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जून में पवार, उनके करीबी सहयोगी और व्यवसायी राजेंद्र इंगवाले के साथ-साथ पवार की कंपनी बारामती एग्रो लिमिटेड के खिलाफ मामले में नया आरोपपत्र दायर किया था।
यह तीसरा आरोपपत्र था और अब इसमें कंपनियों सहित 17 आरोपी हैं।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार नीत धड़े के विधायक से ईडी इस मामले के संबंध में पहले दो बार पूछताछ कर चुकी है।
जांच एजेंसी ने आरोप लगाया है कि एमएससीबी ने छत्रपति संभाजीनगर जिले में कन्नड़ एसएसके लिमिटेड के 80.56 करोड़ रुपये के बकाया ऋण की वसूली के लिए 13 जुलाई, 2009 को उसकी सभी संपत्तियों पर कब्जा कर लिया।
ईडी ने आरोप लगाया कि इसके बाद एमएससीबी ने 30 अगस्त 2012 को कन्नड़ एसएसके की नीलामी की और एक संदिग्ध मूल्यांकन रिपोर्ट के आधार पर "बहुत कम" आरक्षित मूल्य तय किया।
भाषा
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