हमारी चलने की शैली, भाव-भंगिमाएं उंगलियों के निशान जितनी अनोखी हो सकती हैं
(द कन्वरसेशन) संतोष पारुल
- 24 Aug 2025, 05:44 PM
- Updated: 05:44 PM
(केरन लैंडर, मैनचेस्टर विश्वविद्यालय)
मैनचेस्टर (ब्रिटेन), 24 अगस्त (कन्वरसेशन) कोई व्यक्ति किस तरह चलता-फिरता है, उसकी मुस्कुराहट, बातचीत करने का लहजा और भाव-भंगिमाएं, ये चीजें इस बात का संकेत दे सकती हैं कि वह व्यक्ति कैसा इनसान है।
चाहे भौंहों का हिलाना हो, लयबद्ध चाल हो या सिर का झुकाना हो, हर भाव-भंगिमा बहुत कुछ बयां करती है।
मेरे हालिया शोध से पता चलता है कि लोगों की खुद की अनोखी चाल हो सकती है, जिसे ‘मूवमेंट फिंगरप्रिंट’ कह सकते हैं। यह चलने-फिरने का एक ऐसा अंदाज है, जो किसी व्यक्ति की पहचान की विशेषता होता है।
इसलिए जो व्यक्ति चेहरे के जरिये भावों को खुलकर व्यक्त करता है, वह संभवतः बात करते समय जोश से हाथों के इशारे भी करता है या फिर फुर्तीले एवं जीवंत अंदाज में चलता है।
इस तरह की स्थिरताएं यानी एक जैसे हावभाव मिलकर एक तरह की ‘मोशन फिंगरप्रिंट’ बना सकते हैं।
‘मूवमेंट फिंगरप्रिंट’ को समझें
-सबसे पहले, आइए समझते हैं कि चेहरे पर भाव-भंगिमाएं कैसे उभरती हैं और ये क्यों महत्वपूर्ण हैं। हर व्यक्ति के चेहरे की भाव-भांगिमा का अपना एक खास अंदाज होता है, जैसे कि वे कैसे भौंहें उठाते हैं, होंठों को कैसे सिकोड़ते हैं या किस तरह हंसते समय आंखें हल्की बंद करते हैं।
चेहरे की इन गतिविधियों के पैटर्न से हम परिचित लोगों को पहचान सकते हैं, भले ही रोशनी कम हो या वे दूर खड़े हों और उनका चेहरा साफ न दिख रहा हो।
और जैसे-जैसे कोई व्यक्ति हमारे लिए अधिक परिचित होता जाता है, हम उनके हिलने-डुलने के ढंग के प्रति और अधिक संवेदनशील हो जाते हैं। ठीक वैसे ही जैसे हम उनके चेहरे या आवाज को याद रखते हैं, उसी तरह हम उनके चलने-फिरने के अनोखे पैटर्न को भी पहचानने लगते हैं।
मानव चेहरे पर लगातार भाव-भंगिमा दिखती है, वे पलकें झपकाते हैं, मुस्कुराते हैं, मुंह बनाते हैं और बातें करते हैं। शोधकर्ता चेहरे की भाव-भंगिमा को कठोर गतिविधियों (जैसे सिर घुमाना या हिलाना) और गैर-कठोर गतिविधियों (जैसे भावनाएं व्यक्त करना या बोलना) में वर्गीकृत करते हैं।
ये गैर-कठोर गतिविधियां ही हैं, जो व्यक्तिगत रूप से सबसे विशिष्ट होती हैं। जिस तरह से हम अपने हाथों से इशारा करते हैं, अपनी मुद्रा बदलते हैं और अपने सिर को झुकाते हैं, ये सभी हरकतें हमारी पहचान के बारे में जानकारी देती हैं।
हावभाव अक्सर व्यक्तिगत की आदतों या सांस्कृतिक मानदंडों से प्रभावित होते हैं; उदाहरण के लिए कोई व्यक्ति सहमति देते समय आदतन तीन बार सिर हिला सकता है, या अपने देश में प्रचलित हाथ हिलाने की एक विशिष्ट शैली का इस्तेमाल कर सकता है।
चेहरे की भाव-भंगिमाएं हमारे बोलने के तरीके के साथ तालमेल में होती हैं। जब हम बोलते हैं, तो हमारा चेहरा हमारी आवाज के स्वरूप को आकार देने में भूमिका निभाता है।
उदाहरण के लिए अगर आप मुंह को अधिक खोलकर बोलते हैं, तो आपकी आवाज अधिक गूंजती है और भरपूर सुनाई देती है।
अध्ययनों से पता चला है कि लोग भाव रहित चेहरे के बजाय भाव-भंगिमा वाले चेहरे को अन्य व्यक्ति की आवाज से बेहतर तरीके से मिला पाते हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि किसी व्यक्ति की पहचान के संकेत चेहरे की भाव-भंगिमा और ध्वनि में छिपे होते हैं।
वास्तविक दुनिया में उपयोग
-भाव-भंगिमा आधारित पहचान के लक्षण उंगलियों के निशान या डीएनए जितने स्थिर या विशिष्ट नहीं होते। शोधकर्ता इन्हें ‘सॉफ्ट बायोमेट्रिक’ कहते हैं : यानी यह उपयोगी होते हैं, लेकिन हमेशा सटीक नहीं होते।
लेकिन जैसे-जैसे हम भाव-भंगिमा और पहचान के बीच के संबंध को बेहतर ढंग से समझने की कोशिश कर रहे हैं, वास्तविक दुनिया में इसके रोमांचक उपयोग सामने आ रहे हैं।
भाव-भंगिमा आधारित विश्लेषण संपर्क रहित पहचान सत्यापन का समर्थन कर सकता है, जिसमें हवाई अड्डों पर चाल-आधारित प्रमाणीकरण से लेकर स्मार्ट वातावरण में हाव-भाव आधारित पहचान सत्यापन तक शामिल है।
(द कन्वरसेशन) संतोष