न्यायालय ने मप्र दीवानी न्यायाधीश भर्ती मामले में फैसला सुरक्षित रखा
प्रशांत माधव
- 25 Aug 2025, 09:06 PM
- Updated: 09:06 PM
नयी दिल्ली, 25 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को उस याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया जिसमें मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें तीन वर्ष की अनिवार्य वकालत की शर्त के बिना की जा रही दीवानी न्यायाधीश की भर्ती पर रोक लगाई गई थी।
न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति ए.एस. चंदुरकर की पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
उच्च न्यायालय की ओर से पेश हुए अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे ने कहा कि पुनर्परीक्षा “असंवैधानिक, अव्यावहारिक” है और इससे मुकदमेबाजी की बाढ़ आ जाएगी।
शीर्ष अदालत ने पहले उच्च न्यायालय को दीवानी न्यायाधीश, कनिष्ठ श्रेणी (प्रवेश स्तर) परीक्षा 2022 के साक्षात्कार आयोजित करने और परिणाम घोषित करने की अनुमति दी थी।
शीर्ष अदालत ने पिछले साल उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी थी जिसमें तीन साल की वकालत की अनिवार्य आवश्यकता के बिना दीवानी न्यायाधीश के पद पर भर्ती पर रोक लगा दी गई थी।
मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा (भर्ती और सेवा की शर्तें) नियम, 1994 को 23 जून, 2023 को संशोधित किया गया था, ताकि राज्य में दीवानी न्यायाधीश प्रवेश स्तर की परीक्षा में बैठने के लिए पात्र होने के लिए तीन साल की वकालत अनिवार्य की जा सके।
उच्च न्यायालय ने संशोधित नियमों को बरकरार रखा, लेकिन दो अचयनित अभ्यर्थियों द्वारा संशोधित नियमों के लागू होने के बाद पात्र होने का दावा करने तथा कट-ऑफ की समीक्षा की मांग करने के बाद मुकदमेबाजी का एक और दौर शुरू हो गया।
पद पर भर्ती पर रोक लगाते हुए उच्च न्यायालय ने संशोधित भर्ती नियमों के तहत पात्रता मानदंड पूरा नहीं करने वाले प्रारंभिक परीक्षा में सफल उम्मीदवारों को बाहर करने का निर्देश दिया।
शीर्ष अदालत मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उसकी खंडपीठ द्वारा 13 जून, 2024 को पारित आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें उसे 14 जनवरी, 2024 को आयोजित प्रारंभिक परीक्षा में उन सभी सफल उम्मीदवारों को बाहर करने या छांटने का निर्देश दिया गया था, जो संशोधित नियमों के तहत पात्रता मानदंड को पूरा नहीं करते थे।
अपनी अपील में उच्च न्यायालय ने कहा कि खंडपीठ यह समझने में विफल रही कि एक सुविचारित निर्णय की समीक्षा करने की शक्ति बहुत सीमित है तथा यह केवल तभी उपलब्ध होती है जब रिकॉर्ड में कोई गलती या त्रुटि स्पष्ट हो।
भाषा प्रशांत