धान की फसल में वायरस का प्रकोप, सरकार सतर्क : हरियाणा विधानसभा को कृषि मंत्री ने दी जानकारी
मनीषा सिम्मी
- 27 Aug 2025, 11:03 AM
- Updated: 11:03 AM
चंडीगढ़, 27 अगस्त (भाषा) हरियाणा के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने विधानसभा में बताया कि राज्य सरकार ‘सदर्न राइस ब्लैक-स्ट्रीक्ड ड्वार्फ वायरस’ (एसआरबीएसडीवी) को लेकर सतर्क है और कृषि वैज्ञानिक स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।
राणा ने यह भी बताया कि किसानों को इस वायरस के प्रति जागरूक किया जा रहा है।
कांग्रेस विधायक आदित्य सुरजेवाला द्वारा लाए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का जवाब देते हुए राणा ने मंगलवार को सदन को बताया कि प्रदेश में लगभग 40 लाख एकड़ में धान की बुआई हुई है, जिनमें से करीब 92,000 एकड़ में यह वायरस पाया गया है।
उन्होंने बताया कि एसआरबीएसडीवी वायरस के संक्रमण से होने वाला रोग है जो धान की फसल को प्रभावित करता है और यह देश के कई धान उत्पादक क्षेत्रों में चिंता का विषय बना हुआ है।
मंत्री ने कहा कि यह बीमारी ‘व्हाइट-बैक्ड प्लांट हॉपर’ (डब्ल्यूबीपीएच) नामक कीट के माध्यम से फैलती है, जो धान के पौधों का रस चूसकर वायरस को संक्रमित पौधों से स्वस्थ पौधों तक पहुंचाता है।
राणा ने कहा कि जैविक खेती और ‘डायरेक्ट सीडिंग ऑफ राइस’ (डीएसआर) के मामलों में इस वायरस से क्षति की कोई रिपोर्ट नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि किसान कृषि वैज्ञानिकों की सलाह और सरकार द्वारा समय-समय पर जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार धान की बुआई करें तो ऐसी बीमारियों से काफी हद तक बचा जा सकता है।
उन्होंने बताया कि इस वायरस के कारण संक्रमित पौधों की सामान्य वृद्धि रुक जाती है, उनकी ऊंचाई सामान्य से काफी कम रह जाती है, पत्तियां गहरा हरा रंग धारण कर लेती हैं, नई कोंपलों का विकास धीमा हो जाता है या रुक जाता है और जड़ें भूरी होकर अविकसित रह जाती हैं, जिससे पौधों की पानी और पोषक तत्व सोखने की क्षमता घट जाती है।
मंत्री ने कहा कि राज्य में इस वायरस का पहला मामला खरीफ 2022 सीजन में सामने आया था। उस वर्ष कुछ ही मामले मिले थे, लेकिन चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू), हिसार और कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से चलाए गए जागरूकता अभियानों और त्वरित कार्रवाई के चलते फसलों को बड़े नुकसान से बचा लिया गया।
राणा ने बताया कि खरीफ 2023 और 2024 में इस वायरस का कोई प्रकोप सामने नहीं आया, जिसका श्रेय प्रभावी रोकथाम उपायों और किसानों में बढ़ी हुई जागरूकता को दिया गया। उनके अनुसार, खरीफ 2025 से पहले भी किसानों को सतर्क किया गया और एहतियात दोहराए गए।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2025 में यह बीमारी दोबारा उभरी और इसके पहले मामले कैथल जिले से सामने आए और बाद में अंबाला, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, करनाल, जींद और पंचकूला जिलों से भी मामलों का पता चला।
राणा ने कहा कि इन क्षेत्रों के किसानों ने अपने खेतों में पौधों की असामान्य रूप से छोटी ऊंचाई की शिकायत की। इसके बाद एचएयू हिसार के वैज्ञानिकों और कृषि विभाग के अधिकारियों ने क्षेत्र का विस्तृत सर्वेक्षण किया, जिसमें सामने आया कि यह बीमारी सबसे अधिक हाइब्रिड धान की किस्मों में पाई गई, उसके बाद परमल (गैर-बासमती) और फिर बासमती किस्मों में भी इसका पता चला।
मंत्री ने बताया कि यह समस्या मुख्य रूप से उन खेतों में देखी गई, जहां 25 जून से पहले धान की रोपाई की गई थी।
उन्होंने कहा कि इस वायरस की पुष्टि के लिए एचएयू के वैज्ञानिकों ने संक्रमित पौधों के नमूने एकत्र किए और जांच की जिसमें यह स्पष्ट हुआ कि पौधे ‘सदर्न राइस ब्लैक-स्ट्रिक्ड ड्वार्फ वायरस’ से संक्रमित थे।
बचाव के उपायों की जानकारी देते हुए मंत्री ने बताया कि इस वायरस से सुरक्षा के लिए एचएयू ने किसानों के लिए परामर्श जारी किया है।
भाषा मनीषा