बुजुर्गों के लिए 2030 तक 26,000 करोड़ रुपये के निवेश से 15,000 घर आने की संभावनाः रिपोर्ट
प्रेम रमण
- 27 Aug 2025, 08:07 PM
- Updated: 08:07 PM
नयी दिल्ली, 27 अगस्त (भाषा) देश में बुजुर्गों के संगठित आवास बाजार में मौजूदा रुझान कायम रहने पर वर्ष 2030 तक करीब 26,000 करोड़ रुपये के निवेश से लगभग 15,000 वरिष्ठ लोगों के लिए आवास इकाइयों को पेश किए जाने की संभावना है। बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
बुजुर्ग आवासीय क्षेत्र की संस्था 'एसोसिएशन ऑफ सीनियर लिविंग इंडिया' (एएसएलआई) और रियल एस्टेट परामर्शदाता जेएलएल इंडिया की एक संयुक्त रिपोर्ट के मुताबिक, इस वर्ष जून तक देश में संगठित वरिष्ठ आवास इकाइयों की कुल आपूर्ति 22,157 इकाइयों तक पहुंच गई, जबकि वर्ष 2014 में यह आंकड़ा केवल 7,147 इकाइयों का था।
रिपोर्ट कहती है कि मौजूदा वृद्धि दर के आधार पर वर्ष 2030 तक करीब 14,900 इकाइयों की आपूर्ति हो सकती है, जिसमें 26,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा। यदि वृद्धि की रफ्तार तेज होती है, तो यह आपूर्ति 25,500 इकाइयों तक और निवेश 39,000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।
नीतिगत सहयोग के मिलने पर यह संख्या 34,600 इकाइयों तक पहुंचने की संभावना है जिसके लिए 50,100 करोड़ रुपये तक की लागत आंकी गई है।
इसके बावजूद देश में वरिष्ठ नागरिकों के लिए बने आवासों की मांग और आपूर्ति के बीच खासा अंतर बना रह सकता है।
भारत में 60 वर्ष से अधिक उम्र वाले लोगों की संख्या 2025 में 16.22 करोड़ से बढ़कर 2030 तक 19.15 करोड़ और 2050 तक 34.6 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है।
वित्तीय रूप से स्वतंत्र शहरी वरिष्ठ नागरिकों के लिए संभावित मांग 2024 में 17 लाख इकाइयों से बढ़कर 2030 तक 23 लाख इकाइयों तक पहुंच सकती है।
एएसएलआई के चेयरमैन रजित मेहता ने कहा, “भारत की वरिष्ठ पीढ़ी के पास पहले से अधिक आर्थिक संसाधन हैं और वे अपने स्वर्णिम वर्षों में निवेश कर रहे हैं। हालांकि अब भी करीब 70 प्रतिशत वरिष्ठ नागरिक आर्थिक रूप से निर्भर हैं, लेकिन यह प्रवृत्ति तेजी से बदल रही है।”
प्राइमस सीनियर लिविंग के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक आदर्श नरहरि ने कहा, “भारत का वरिष्ठ आवास क्षेत्र बड़े परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, जहां वरिष्ठ नागरिक अब अपनी खुशी को प्राथमिकता दे रहे हैं। परिवार ऐसे आवासीय मॉडल की तलाश में हैं जो देखभाल एवं समुदाय का समावेश करते हों।”
भाषा प्रेम