पदक विजेता खिलाड़ियों को नकद पुरस्कार एवं नौकरी देने में कोई भेदभाव नहीं: हरियाणा के मंत्री ने कहा
सुरेश माधव
- 27 Aug 2025, 10:22 PM
- Updated: 10:22 PM
चंडीगढ़, 27 अगस्त (भाषा) हरियाणा सरकार ने बुधवार को विधानसभा में कहा कि पदक विजेता खिलाड़ियों को नकद पुरस्कार और सरकारी नौकरी देने में कोई भेदभाव नहीं किया गया है।
खेल राज्य मंत्री गौरव गौतम ने यह टिप्पणी कांग्रेस विधायक इंदुराज नरवाल के 'हरियाणा के पदक विजेता खिलाड़ियों के साथ भेदभाव' विषय पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का जवाब देते हुए की।
गौतम ने कहा कि 2014 से अब तक 16,409 खिलाड़ियों को कुल 641.08 करोड़ रुपये के नकद पुरस्कार दिए जा चुके हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार राज्य की नीतियों के अनुसार ओलंपिक, पैरालंपिक, एशियाई/पैरा एशियाई खेलों और अन्य चैंपियनशिप में पदक विजेताओं को नियमित रूप से नकद पुरस्कार प्रदान करती रही है।
उन्होंने कहा कि 2013-14 से अब तक हरियाणा सरकार ने 231 खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी की पेशकश की है, जिनमें से 203 को नौकरी मिल चुकी है।
खेल राज्य मंत्री ने बताया कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के दौरान ओलंपिक पदक विजेताओं को स्वर्ण पदक जीतने पर पांच करोड़ रुपये, रजत पदक जीतने पर तीन करोड़ रुपये और कांस्य पदक जीतने पर दो करोड़ रुपये दिए जाते थे, जबकि प्रतिभागियों को 11 लाख रुपये दिए जाते थे।
उन्होंने कहा, हालांकि इसकी तुलना में वर्तमान भाजपा सरकार इन पदक विजेताओं को क्रमशः छह करोड़ रुपये, चार करोड़ रुपये और 2.5 करोड़ रुपये तथा प्रतिभागियों को 15 लाख रुपये का पुरस्कार दे रही है।
गौतम ने आरोप लगाया कि विपक्ष सदन को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है।
चर्चा के दौरान, कांग्रेस के नरवाल ने कहा कि जब हुड्डा हरियाणा के मुख्यमंत्री थे, तब कांग्रेस सरकार ने 'पदक लाओ, पद पाओ' की नीति लागू की थी और पुलिस विभाग में पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) और निरीक्षक के कई पदों पर भर्तियां की गई थीं।
हालांकि, उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने उस नीति को बंद कर दिया।
हुड्डा ने गौतम से पूछा कि भाजपा के शासनकाल में खेल कोटे या उसकी नीति के तहत कितने पुलिस उपाधीक्षकों और निरीक्षकों की भर्ती की गई थी।
हालांकि, विधानसभा अध्यक्ष हरविंदर कल्याण ने कहा कि उठाया गया प्रश्न ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का हिस्सा नहीं था और उन्होंने मंत्री से कहा कि वह बाद में सदस्य के साथ अलग से अपना जवाब साझा कर सकते हैं।
भाषा सुरेश