‘‘हिट-एंड-रन’’ मामले के आरोपी को जमानत देने से अदालत का इनकार
नोमान अविनाश
- 28 Aug 2025, 10:14 PM
- Updated: 10:14 PM
मुंबई, 28 अगस्त (भाषा) मुंबई की एक अदालत ने बीएमडब्ल्यू ‘हिट एंड रन’ मामले में मुख्य आरोपी मिहिर शाह को जमानत देने से इनकार कर दिया है।
मिहिर शाह शिवसेना के एक पूर्व नेता का पुत्र है।
अदालत ने कहा कि उसका "निर्दयी व्यवहार" यह दर्शाता है कि वह अपने "धन और बाहुबल" के कारण स्वयं को कानून से ऊपर समझता है।
अदालत ने अपने विस्तृत आदेश में कहा कि आरोपी को अगर जमानत पर रिहा किया जाता है, तो इससे समाज में गलत संदेश जाएगा। वह एक साल से जेल में है। अदालत का फैसला बृहस्पतिवार को उपलब्ध कराया गया।
मिहिर शाह को पिछले साल उस समय गिरफ्तार किया गया था जब उसने अपनी बीएमडब्ल्यू कार से मुंबई के वर्ली इलाके में कथित तौर पर एक दोपहिया वाहन को टक्कर मार दी थी, जिसमें 45 वर्षीय महिला कावेरी नाखवा की मौत हो गई थी और उनके पति प्रदीप घायल हो गए थे। यह भीषण दुर्घटना सात जुलाई 2024 को हुई थी।
अदालत ने पिछले सप्ताह शिवसेना के पूर्व नेता के 24 वर्षीय बेटे की जमानत याचिका खारिज की।
इस मामले में उसके परिवार का चालक राजऋषि बिदावत भी सह-आरोपी है, जो दुर्घटना के समय कार में मौजूद था। दोनों फिलहाल न्यायिक हिरासत में जेल में हैं।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आर. एस. अराध्ये ने पिछले सप्ताह शाह और उसके चालक दोनों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी थीं।
शाह पर आरोप है कि उसने दुर्घटना के बाद भी कार नहीं रोकी जबकि महिला कार के बोनट पर फंसी रही और फिर वह पहियों में उलझ गई, जिससे वह करीब 1.5 किलोमीटर तक घसीटती चली गई।
यह भी आरोप है कि हादसे के बाद शाह ने दोष से बचने के लिए चालक की सीट पर बिदावत को बैठा दिया। यह पूरी घटना पास के इलाकों में लगे कई सीसीटीवी कैमरों में रिकॉर्ड हुई थी।
मुख्य आरोपी ने जमानत इस आधार पर मांगी थी कि मामले की जांच पूरी हो चुकी है और पुलिस करीब दस महीने पहले आरोपपत्र दाखिल कर चुकी है, इसलिए अब उसे जेल में रखने का कोई ठोस कारण नहीं है।
जमानत याचिका का विरोध करते हुए अभियोजन पक्ष ने अदालत से कहा कि आरोपी प्रभावशाली व्यक्ति हैं और सबूतों से छेड़छाड़ या गवाहों को धमकाने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
अभियोजन ने यह भी दलील दी कि यदि आरोपी को जमानत दी जाती है तो उसके फरार होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
पुलिस ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए यह भी बताया कि मृतक महिला के पति ने मुंबई उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की है, जिसमें आरोपी पर हत्या का आरोप लगाने की मांग की गई है, और यह याचिका अभी लंबित है।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने कहा कि "मामले के सभी तथ्यों और परिस्थितियों से यह स्पष्ट होता है कि आरोपी ने जिस निर्दयता से व्यवहार किया, वह यह दिखाता है कि पैसे और ताकत के बल पर कुछ भी किया जा सकता है और कानून उनके ऊपर नहीं लगता है।"
न्यायाधीश ने यह भी कहा कि लंबित रिट याचिका को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता, क्योंकि उसका जो भी निर्णय आएगा, वह निश्चित रूप से इस मामले को प्रभावित करेगा।
अदालत ने कहा, "ऐसी स्थिति में यदि आरोपियों को जमानत पर रिहा किया गया, तो समाज में गलत संदेश जाएगा।"
भाषा
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