जापान अगले एक दशक में भारत में 10 हजार अरब येन का निवेश करेगा
आशीष माधव
- 29 Aug 2025, 08:49 PM
- Updated: 08:49 PM
(तस्वीरों के साथ)
तोक्यो, 29 अगस्त (भाषा) जापान ने शुक्रवार को भारत में एक दशक में 10 हजार अरब येन (करीब 60,000 करोड़ रुपये) के निवेश का लक्ष्य रखा और दोनों पक्षों ने कई बड़े समझौतों पर हस्ताक्षर किए, जिनमें रक्षा संबंधों के लिए एक रूपरेखा और आर्थिक साझेदारी को बढ़ावा देने के लिए 10-वर्षीय खाका शामिल है। यह निर्णय व्यापार और शुल्क पर अमेरिकी ट्रंप प्रशासन की नीतियों के कारण आर्थिक उथल-पुथल के बीच लिया गया।
भारत-जापान विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी के विस्तार की घोषणाएं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके जापानी समकक्ष शिगेरू इशिबा के बीच शिखर वार्ता के बाद की गईं।
दोनों पक्षों ने 13 प्रमुख समझौतों और दस्तावेजों को अंतिम रूप दिया तथा कई परिवर्तनकारी पहल की शुरूआत की घोषणा की, जिनमें सेमीकंडक्टर, स्वच्छ ऊर्जा, दूरसंचार, फार्मास्यूटिकल्स, महत्वपूर्ण खनिजों और नयी एवं उभरती प्रौद्योगिकियों जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन को बढ़ावा देने के लिए एक आर्थिक सुरक्षा ढांचा शामिल है।
मोदी ने इशिबा के साथ मीडिया को दिए अपने बयान में कहा, "हम दोनों इस बात पर सहमत हैं कि दो प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं और जीवंत लोकतंत्र के रूप में हमारी साझेदारी न केवल हमारे दोनों देशों के लिए, बल्कि वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। मजबूत लोकतंत्र एक बेहतर दुनिया को आकार देने में स्वाभाविक साझेदार होते हैं।"
उन्होंने कहा, "आज, हमने अपनी विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी में एक नए और सुनहरे अध्याय की मज़बूत नींव रखी है। हमने अगले दशक के लिए एक खाका तैयार किया है।"
मोदी ने कहा, ‘‘हमने अगले 10 वर्षों में जापान से भारत में 10 हजार अरब येन के निवेश का लक्ष्य रखा है।’’
इनमें से एक समझौता अगले पांच वर्षों में भारत से जापान तक 50,000 कुशल और अर्द्ध-कुशल कामगारों की आवाजाही को बढ़ावा देने से संबंधित है, जबकि दूसरा समझौता डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना में सहयोग को आगे बढ़ाएगा।
दस-वर्षीय खाके में आर्थिक सुरक्षा, आवाजाही, पारिस्थितिक स्थिरता, प्रौद्योगिकी और नवाचार, स्वास्थ्य, लोगों के बीच आदान-प्रदान और भारतीय राज्यों और जापानी प्रान्तों के बीच जुड़ाव जैसे कई प्रमुख क्षेत्र शामिल हैं।
एक अन्य अहम समझौता महत्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति श्रृंखला को मज़बूत बनाने में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए है, जिसमें प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियों का विकास, अन्वेषण और खनन के लिए संयुक्त निवेश और महत्वपूर्ण खनिजों के भंडारण के प्रयास शामिल हैं। हाइड्रोजन और अमोनिया पर परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए एक अलग घोषणा पर हस्ताक्षर किए गए।
हस्ताक्षरित समझौतों में एक समझौता संयुक्त ऋण तंत्र पर तथा दूसरा समझौता भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी के बीच चंद्रमा के लिए संयुक्त अन्वेषण मिशन के संबंध में सहयोग पर है।
यह दस्तावेज चंद्रयान-5 मिशन पर भारत और जापान के बीच सहयोग के लिए नियम व शर्तें परिभाषित करता है, जिससे एक "ऐतिहासिक" सहयोग को व्यावहारिक रूप मिलता है।
विदेश मंत्रालय के अनुसार, रक्षा पर व्यापक रूपरेखा समकालीन सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए रक्षा और सुरक्षा सहयोग प्रदान करेगी।
मोदी और इशिबा ने रणनीतिक जलक्षेत्र में चीन के बढ़ते सैन्य दबदबे की पृष्ठभूमि में पूर्वी चीन सागर और दक्षिण चीन सागर की स्थिति पर भी गंभीर चिंता व्यक्त की।
मोदी और इशिबा ने किसी भी एकतरफा कार्रवाई के प्रति अपना कड़ा विरोध दोहराया, जो सुरक्षा के साथ-साथ नौवहन और उड़ान की स्वतंत्रता को खतरे में डालती हो, तथा जोर जबरदस्ती से यथास्थिति को बदलने का प्रयास करती हो।
एक संयुक्त बयान के अनुसार, "उन्होंने विवादित क्षेत्रों के सैन्यीकरण पर अपनी गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि समुद्री विवादों का समाधान शांतिपूर्ण ढंग से और अंतरराष्ट्रीय कानून, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (यूएनसीएलओएस) के अनुसार किया जाना चाहिए।"
मोदी और इशिबा ने मौजूदा वैश्विक स्थिति को ध्यान में रखते हुए, कानून के शासन पर आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने का संकल्प लिया और एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के प्रति अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
मोदी और इशिबा ने पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की भी कड़े शब्दों में निंदा की और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की निगरानी टीम की रिपोर्ट पर गौर किया, जिसमें हमले के लिए द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) का उल्लेख किया गया है।
संयुक्त बयान में कहा गया, "प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि टीआरएफ ने हमले की ज़िम्मेदारी ली है। प्रधानमंत्री इशिबा ने इस पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने इस निंदनीय कृत्य के दोषियों, प्रायोजकों और वित्तपोषकों को बिना किसी देरी के न्याय के कटघरे में लाने का आह्वान किया।"
मीडिया को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि जापानी तकनीक और भारतीय प्रतिभा एक विजयी संयोजन हैं। उन्होंने कहा, "एक ओर जहां हम हाई-स्पीड रेल पर काम कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर हम अगली पीढ़ी की मोबिलिटी पार्टनरशिप के तहत बंदरगाहों, विमानन और जहाज निर्माण जैसे क्षेत्रों में भी तेज़ी से प्रगति कर रहे हैं।"
उन्होंने कहा, "रक्षा और समुद्री सुरक्षा के क्षेत्रों में भी हमारे साझा हित हैं। हमने संयुक्त रूप से रक्षा उद्योग और नवाचार के क्षेत्र में अपने सहयोग को और मजबूत करने का निर्णय लिया है।"
भाषा आशीष