भाजपा देश को घुसपैठियों से मुक्त करने के अपने वादे को पूरा करेगी : अमित शाह
धीरज अविनाश
- 29 Aug 2025, 10:36 PM
- Updated: 10:36 PM
(तस्वीरों के साथ)
गुवाहाटी, 29 अगस्त (भाषा) गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) देश को घुसपैठियों से मुक्त करने का अपना वादा पूरा करेगी।
शाह ने असम के पहले गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री गोलाप बोरबोरा की जन्म शताब्दी पर गुवाहाटी में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस के भाषण में घोषित केंद्र का उच्च स्तरीय जनसांख्यिकी मिशन देश के जनसांख्यिकीय स्वरूप के अध्ययन और घुसपैठियों की पहचान की दिशा में एक निर्णायक कदम है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने असम से वादा किया था, लेकिन हम 10 वर्षों में इसे पूरा नहीं कर पाए। लेकिन हम अपना वादा निभाएंगे और असम तथा पूरे देश को अवैध विदेशियों से मुक्त बनाएंगे।’’
शाह ने कहा कि उच्चस्तरीय जनसांख्यिकी मिशन बोरबोरा की विचारधारा पर आधारित है और यह उचित है कि इसकी घोषणा उसी वर्ष की गई है, जिस वर्ष समाजवादी नेता की जन्म शताब्दी मनाई जा रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह मिशन देश में जनसांख्यिकीय स्वरूप में बदलाव का अध्ययन करेगा और घुसपैठियों की पहचान भी करेगा... मुझे विश्वास है कि यह देश को घुसपैठियों से मुक्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।’’
शाह ने कहा,‘‘मैं उन लोगों में से हूं जिनका मानना है कि हमारे देश में एक भी घुसपैठिया नहीं रहना चाहिए।’’
केंद्रीय गृहमंत्री ने याद किया कि कैसे मार्च 1978 से सितंबर 1979 तक राज्य में जनता पार्टी की सरकार का नेतृत्व करने वाले बोरबोरा ने मंगलदाई लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव की आवश्यकता पड़ने पर मतदाता सूची को सुधारने का अभियान चलाया था।
शाह ने कहा, ‘‘असम में घुसपैठियों के खिलाफ जागरूकता पहली बार बोरबोरा के कार्यकाल में मतदाता सूची की सफाई के जरिये पैदा हुई थी। उस दौर में, जब कंप्यूटरीकृत मतदाता सूची और तकनीक का अभाव था, बोरबोरा की सरकार ने 36,780 अवैध मतदाताओं के नाम हटा दिए। अगर कोई असम आंदोलन की जड़ें तलाशेगा, तो वह इसी मतदाता सूची सफाई अभियान में होगी।’’
उन्होंने कहा कि छह साल तक चले असम आंदोलन का समापन अगस्त 1985 में असम समझौते पर हस्ताक्षर के साथ हुआ जो राज्य में रह रहे अवैध बांग्लादेशियों के खिलाफ था।
शाह ने कहा कि निर्वाचन आयोग भी विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के जरिये मतदाता सूची का शुद्धिकरण कर रहा है, लेकिन कुछ दल ‘घुसपैठिया बचाओ यात्रा’ के माध्यम से इसका विरोध कर रहे हैं। उनका स्पष्ट इशारा बिहार में कांग्रेस नीत ‘वोटर अधिकार यात्रा’ की ओर था।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि मतदाता सूची किसी भी लोकतांत्रिक देश का ‘हृदय’ होती है। उन्होंने कहा, ‘‘यह अभियान 1978 में बोरबोरा द्वारा शुरू किया गया था और आज समाज में नैतिक पतन इतना अधिक है कि अपने वोट बैंक को मजबूत करने और सत्ता हथियाने के लिए मतदाता सूची से घुसपैठियों के नाम हटाने के कदम का विरोध हो रहा है।’’
उन्होंने ने कहा, ‘‘अगर बोरबोरा आज जीवित होते तो वे इन पार्टियों के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए सड़क पर उतर आते।’’
शाह ने ‘घुसपैठियों’ के खिलाफ कार्रवाई के लिए राज्य सरकार की सराहना की, विशेष रूप से अतिक्रमण हटाने और 1.29 लाख एकड़ से अधिक भूमि को मुक्त कराने के लिए।
उन्होंने कहा, ‘‘यहां की सरकार ने न केवल काजीरंगा वन भूमि या अन्य वन क्षेत्रों को मुक्त कराया है, बल्कि सत्रों (वैष्णव मठों) की भूमि को भी मुक्त कराया है।’’
केंद्रीय गृह मंत्री ने कट्टर समाजवादी नेता बोरबोरा को सम्मानित करने के लिए मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा और उनकी सरकार की सराहना की, जिनका भाजपा से कोई संबंध नहीं था।
उन्होंने कहा कि हमें दलगत राजनीति से ऊपर उठकर यह सुनिश्चित करना होगा कि राष्ट्र के लिए योगदान देने वालों को सम्मान मिले और भावी पीढ़ियां उनके बारे में जागरूक हों।
शाह ने दावा किया कि इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद कांग्रेस सरकारों ने केवल उनके परिवार के सदस्यों के योगदान को मान्यता दी।
उन्होंने कहा कि सभी के प्रयासों को मान्यता देना भाजपा की विशेषता है।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा,‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा गुजरात में सरदार पटेल की प्रतिमा बनवाए जाने तक उनके योगदान को भुला दिया गया था। नेताजी (सुभाष चंद्र बोस) का कर्तव्य पथ पर प्रतिमा स्थापित किये जाने से पहले दिल्ली में उनका कोई स्मारक नहीं था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यहां तक कि असम के पहले मुख्यमंत्री गोपीनाथ बोरदोलोई को भी भारत रत्न तब दिया गया जब कांग्रेस सत्ता में नहीं थी।’’
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि बोरबोरा का कार्यकाल भले ही छोटा था, लेकिन उन्होंने असम के पहले गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री के रूप में अमिट छाप छोड़ी।
उन्होंने कहा कि बोरबोरा की 18 महीने की सरकार द्वारा लिए गए कई निर्णयों ने पिछले कुछ वर्षों में राज्य के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को प्रभावित किया है।
शाह ने कहा, ‘‘दसवीं कक्षा तक मुफ्त शिक्षा, 10 बीघा तक की जमीन के लिए लगान माफी, गुवाहाटी में पासपोर्ट कार्यालय खोलना और राज्य में बैंकिंग और रेलवे भर्ती बोर्ड की स्थापना उनकी (बोरबोरा) सरकार के उल्लेखनीय फैसलों में से हैं।’’
भाषा धीरज