बीड सरपंच हत्याकांड: मुख्य आरोपी कराड की जमानत याचिका खारिज
देवेंद्र माधव
- 30 Aug 2025, 09:41 PM
- Updated: 09:41 PM
मुंबई, 30 अगस्त (भाषा) महाराष्ट्र में बीड जिले की एक विशेष अदालत ने सरपंच संतोष देशमुख की हत्या मामले के मुख्य आरोपी वाल्मिक कराड को शनिवार को जमानत देने से इनकार कर दिया और कहा कि साक्ष्य प्रथम दृष्टया अपराध में उसकी ‘‘सक्रिय संलिप्तता’’ दर्शाते हैं।
बीड के मसाजोग गांव के सरपंच देशमुख को पिछले साल नौ दिसंबर को कथित तौर पर जिले में एक ऊर्जा कंपनी को निशाना बनाकर की जा रही जबरन वसूली के प्रयास को रोकने की कोशिश करने पर अगवा कर लिया गया और प्रताड़ित किया गया था। इसके बाद उनकी हत्या कर दी गई।
कराड समेत आठ लोगों को इस मामले में गिरफ्तार किया गया है और उन पर महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
उनकी याचिका को मकोका के विशेष न्यायाधीश (बीड अदालत) वी एच पटवाडकर ने खारिज कर दिया।
अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि कराड और सह-आरोपियों द्वारा कथित रूप से किए गए ये अपराध इतने गंभीर थे कि यदि उन्हें जमानत पर रिहा किया जाता है, तो उनके द्वारा इसी तरह के या इससे बड़े अपराध को दोहराने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
अपराध जांच विभाग (सीआईडी) ने हत्या मामले और दो संबंधित अपराधों में 1,200 से अधिक पृष्ठों का आरोप-पत्र दायर किया है।
कराड की ओर से पेश हुए वकील एस पी जोशी ने दलील दी कि मकोका के प्रावधान लागू नहीं होते क्योंकि पूर्व अनुमोदन और मंजूरी प्रक्रियाओं का सही ढंग से पालन नहीं किया गया था।
इसके अलावा, जोशी ने बताया कि कराड के खिलाफ पहले कोई आरोप-पत्र दाखिल नहीं किया गया था, जो मकोका प्रावधानों को लागू करने के लिए आवश्यक है।
जोशी ने अदालत को बताया कि अभियोजन पक्ष द्वारा सूचीबद्ध 19 पूर्व अपराधों में से कई या तो बहुत पुराने थे, या उनमें बरी कर दिया गया था या उन्हें छोड़ दिया गया था, या वे मकोका के मानदंडों को पूरा नहीं करते थे।
विशेष लोक अभियोजक उज्ज्वल निकम ने जमानत आवेदन का विरोध किया और दलील दी कि कराड के खिलाफ प्रथमदृष्टया मामला स्थापित हो चुका है और हत्या एक आपराधिक साजिश का नतीजा थी।
निकम ने कहा कि जमानत के चरण में गवाहों और साक्ष्यों की विस्तृत जांच की आवश्यकता नहीं थी।
अभियोजन पक्ष ने कराड की सक्रिय संलिप्तता को दर्शाने के लिए गवाहों के बयान और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य, जिसमें कॉल विवरण रिकॉर्ड और आवाज के नमूने की रिपोर्ट भी शामिल है, प्रस्तुत किए।
निकम ने कहा कि कराड और उसके सह-आरोपियों ने हत्या का वीडियो बनाया और उसे अपने ‘‘गिरोह में दहशत पैदा करने के लिए’’ सोशल मीडिया पर प्रसारित किया।
अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि गवाहों के बयान और इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड समेत साक्ष्य ‘‘प्रथम दृष्टया आवेदक की सक्रिय संलिप्तता दर्शाते हैं’’।
अदालत ने कहा कि वर्तमान मामले से पहले, आरोपियों के खिलाफ गंभीर और संज्ञेय अपराधों के लिए 19 अपराध दर्ज किए गए थे, जिनमें से सात पिछले 10 वर्षों में घटित हुए थे, जो ‘‘आवेदक और सह-अभियुक्तों की गैरकानूनी गतिविधियों में निरंतर संलिप्तता को दर्शाता है’’।
अदालत ने कहा कि मामले के तथ्य और परिस्थितियां ‘‘प्रथम दृष्टया यह दर्शाती हैं कि अभियुक्त की मिलीभगत मानने के लिए उचित आधार मौजूद हैं।’’
भाषा
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