तृणमूल कांग्रेस के मंच को हटाने के लिए केंद्र ने सेना का दुरुपयोग किया : ममता
प्रशांत दिलीप
- 01 Sep 2025, 10:08 PM
- Updated: 10:08 PM
कोलकाता, एक सितंबर (भाषा) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने सोमवार को केंद्र सरकार पर भाजपा शासित राज्यों में बांग्लाभाषी प्रवासी श्रमिकों पर कथित अत्याचार के विरोध में यहां बनाए गए मंच को हटाने के लिए सेना के “दुरुपयोग” का आरोप लगाया।
सेना ने मध्य कोलकाता के मैदान क्षेत्र में गांधी प्रतिमा के पास बनाए गए तृणमूल कांग्रेस के मंच को इस आधार पर तोड़ना शुरू कर दिया था कि पार्टी ने कार्यक्रम की अनुमति की अवधि पार कर ली थी, तभी बनर्जी मौके पर पहुंचीं।
बनर्जी ने आंशिक रूप से ध्वस्त ढांचे से संवाददाताओं से बात करते हुए आरोप लगाया, “मैं सेना को दोष नहीं देती, लेकिन इसके पीछे भारतीय जनता पार्टी की प्रतिशोध की राजनीति है। भाजपा की डबल इंजन वाली सरकार दोषी है। वे सेना का दुरुपयोग कर रहे हैं। यह अनैतिक, अलोकतांत्रिक है और यह शर्म की बात है कि भाजपा इस स्तर तक गिर गई है।”
तृणमूल कांग्रेस पिछले लगभग एक महीने से शनिवार और रविवार को इस स्थल पर धरना दे रही थी।
बनर्जी ने दावा किया, “भाजपा अपने उद्देश्यों के लिए सेना का दुरुपयोग करना चाहती है। यह एक दुखद संदेश है। उन्हें देश के आंतरिक मुद्दों या इसकी सीमा सुरक्षा की कोई परवाह नहीं है। उन्हें केवल बंगाल में तृणमूल कांग्रेस से लड़ने की चिंता है। लेकिन जितना अधिक वे ऐसा करेंगे, उनके लिए परिणाम उतना ही बुरा होगा।”
उन्होंने कहा कि सेना को मंच हटाने से पहले कोलकाता पुलिस से परामर्श करना चाहिए था।
उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस दिवस पर इस कृत्य से पुलिस का जानबूझकर अपमान किया गया। उन्होंने कहा, “वे मुझे बुला सकते थे और मैं कुछ ही मिनटों में मंच हटवा देती। वे राज्य पुलिस या कोलकाता पुलिस आयुक्त से संपर्क कर सकते थे, क्योंकि यह कानून-व्यवस्था का मामला था और यह राज्य का विषय है। वे हमारे खेल मंत्री अरूप बिस्वास से भी बात कर सकते थे, जैसा उन्होंने डूरंड कप के दौरान किया था।”
बनर्जी ने कहा, “मंच को हटाना सेना का काम नहीं है; यह पुलिस का काम है। वे स्थानीय पुलिस के बिना राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकते। वे कौन होते हैं हमारे झंडे और बैनर हटाने वाले? भाजपा ने उन्हें निर्देश दिए थे। सेना दोषी नहीं है, भाजपा दोषी है। हमें यह समझने की समझ है कि उन्होंने यह केंद्रीय रक्षा मंत्री के निर्देश पर किया। मैं भाजपा और रक्षा मंत्री को दोषी ठहरा रहा हूं।”
उन्होंने दावा किया कि उनकी पार्टी ने अनुमति के लिए रक्षा प्रतिष्ठान को 20,000 रुपये की सुरक्षा राशि दी थी, तथा कहा कि उस स्थल पर किसी अन्य पार्टी का कोई कार्यक्रम नहीं था।
मुख्यमंत्री ने कहा, “मैं सेना से केवल यही अपील करती हूं कि वह तटस्थ रहे, भाजपा के हाथों में न खेले और न ही किसी गंदे राजनीतिक खेल में शामिल हो, क्योंकि हर कोई उनसे प्यार करता है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें आते देख लगभग “200 सैन्यकर्मी घटनास्थल से चले गए”।
बनर्जी ने कहा, “मैंने पूछा, आप क्यों जा रहे हैं? आप हमारे दोस्त हैं? यह आपकी गलती नहीं है।”
बनर्जी ने कहा कि इस तरह की कार्रवाइयों ने और ज़ोरदार जवाबी कार्रवाई करने के उनके संकल्प को और मज़बूत किया है।
उन्होंने कहा, “मुझे कोई कार्यक्रम आयोजित करने के लिए मोदी बाबू की अनुमति की जरूरत नहीं है, मैं लोगों से अनुमति लेती हूं। मैं सेना को दोष नहीं दूंगी, क्योंकि वे देश के लिए काम करते हैं। क्या प्रधानमंत्री जब यहां आते हैं, तो हमसे अनुमति लेते हैं? हम इसकी अनुमति देते हैं क्योंकि यह राजनीतिक शिष्टाचार है।”
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने उनके साथ मौके पर गए मंत्री फिरहाद हकीम और अरूप बिस्वास सहित पार्टी नेताओं को निर्देश दिया कि मंगलवार से धरना स्थल को हटाकर कुछ सौ मीटर दूर एस्प्लेनेड चौराहे पर ले जाया जाए।
उन्होंने मंत्रियों से कहा, “कल से भाषाई आतंक के खिलाफ धरना रोज़ाना होगा। केएमसी के तहत मंच तैयार करें।”
बनर्जी ने घोषणा की कि “भाजपा ने आज जो किया उसके कारण” मंगलवार को सभी ब्लॉक, वार्ड और ज़िलों में विरोध रैलियां होंगी।
एक रक्षा अधिकारी ने बताया कि भारतीय सेना (स्थानीय सैन्य प्राधिकरण, कोलकाता) उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार मैदान क्षेत्र में दो दिनों की अवधि के लिए कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति देती है।
रक्षा अधिकारी ने एक बयान में कहा, “तीन दिन से अधिक अवधि के आयोजनों के लिए रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार से अनुमति प्राप्त करना आवश्यक है।”
उन्होंने कहा, “कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति दो दिनों के लिए दी गई थी। हालांकि, मंच लगभग एक महीने से लगा हुआ है। आयोजकों को अस्थायी ढांचा हटाने के लिए कई बार सूचित किया जा चुका है। हालांकि, इसे हटाया नहीं गया।”
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य ने कहा कि यह बनर्जी की “हताशा” थी, जिसने उन्हें रक्षा बलों पर हमला करने के लिए मजबूर किया।
उन्होंने दावा किया, “ऐसी चीजें तब होती हैं, जब आप आसन्न सत्ता खोने के डर से रातों की नींद हराम करते हैं। वह लंबे समय से बेलगाम सत्ता का आनंद ले रही हैं और जब उनके सत्ता से बेदखल होने का खतरा स्पष्ट और मौजूद है, तो वह अपनी कुंठा सेना पर निकालती हैं और भाजपा पर बेबुनियाद आरोप लगाती हैं।”
माकपा नेता सुजान चक्रवर्ती ने कहा कि तृणमूल के ‘भाषा आंदोलन’ प्रदर्शनों में शायद ही कोई व्यापक अपील है।
चक्रवर्ती ने दावा किया, “सेना ने तृणमूल कांग्रेस के साथ वही किया, जो पुलिस विपक्षी दलों के साथ अक्सर करती है। बांग्ला भाषा और पहचान के विनाश के लिए मुख्यमंत्री ज़िम्मेदार हैं। किसी को परवाह नहीं कि तृणमूल सड़कों पर क्या कर रही है।”
भाषा प्रशांत