न्यायमूर्ति राव को एआईएफएफ के वाणिज्यिक भागीदार के चयन की निगरानी करने का मिला निर्देश
आनन्द सुधीर
- 02 Sep 2025, 08:01 PM
- Updated: 08:01 PM
नयी दिल्ली, दो सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने देश की शीर्ष-स्तरीय लीग के आयोजन का मार्ग प्रशस्त करते हुए अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के लिए एक नया वाणिज्यिक साझेदार चुनने की निविदा प्रक्रिया की निगरानी के लिए अपने पूर्व न्यायाधीश एल नागेश्वर राव को जिम्मेदारी दी है।
देश के शीर्ष घरेलू टूर्नामेंट इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) के आयोजक और एआईएफएफ के वाणिज्यिक साझेदार फुटबॉल स्पोर्ट्स डेवलपमेंट लिमिटेड (एफएसडीएल) ने राष्ट्रीय महासंघ के साथ मास्टर राइट्स एग्रीमेंट (एमआरए) के नवीनीकरण को लेकर अनिश्चितता के कारण 11 जुलाई को 2025-26 सत्र को ‘रोक’ दिया, जिसके कारण कम से कम तीन क्लबों को या तो अपनी मुख्य टीम के संचालन को रोकना पड़ा या खिलाड़ियों और कर्मचारियों के वेतन को निलंबित करना पड़ा। एफएसडीएल के इस फैसले से भारतीय फुटबॉल का संकट और गहरा गया।
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, ‘‘ एआईएफएफ इंडियन सुपर लीग के आयोजन के लिए अपने वाणिज्यिक भागीदार के चयन हेतु एक खुली, प्रतिस्पर्धी और पारदर्शी प्रक्रिया के लिए आवश्यक निविदाएं भी जारी करेगा। इसके लिए हमने इस न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव को यह सुनिश्चित करने के लिए नियुक्त किया है कि वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप आईएसएल आयोजित करने के लिए एक सक्षम, प्रतिष्ठित और कुशल फर्म का वाणिज्यिक भागीदार के रूप में चयन किया जाये। न्यायमूर्ति राव ने इस जिम्मेदारी के लिए हामी भर दी है’’
आईएसएल को लेकर पुराने एमआरए पर 2010 में हस्ताक्षर किया गया था। यह करार 2025 के दिसंबर तक वैध है। आम तौर पर आईएसएल अक्टूबर महीने में शुरू होता है और दिसंबर तक इसके आयोजन के तीन महीने पूरे हो जाते है।
एआईएफएफ की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार और एफएसडीएल के नीरज किशन कौल ने पीठ को आश्वासन दिया कि दोनों संगठन फुटबॉल कैलेंडर की समय पर शुरुआत और ‘प्रतिस्पर्धी निरंतरता बनाए रखने’ के लिए समन्वय करेंगे।
एआईएफएफ और एफएसडीएल दोनों इस प्रक्रिया पर सहमत हो गए हैं। एफएसडीएल ने खुले टेंडर की सुविधा के लिए अपनी बातचीत के शुरुआती अधिकार को छोड़ने का फैसला किया है।
उच्चतम न्यायालय ने इस बीच एआईएफएफ के लिए एक नया संविधान अपनाने और आईएसएल के आयोजन को मंजूरी देने के मुद्दे पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वह राष्ट्रीय खेल प्रशासन अधिनियम, 2025 के औपचारिक रूप से अधिसूचित होने तक फैसले को नहीं रोकेगा।
भाषा आनन्द