उच्चतम न्यायालय की ओर से निर्धारित नियमों के अनुसार ही हो बेदखली अभियान: अरशद मदनी
प्रशांत माधव
- 02 Sep 2025, 08:53 PM
- Updated: 08:53 PM
गुवाहाटी, दो सितंबर (भाषा) जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने मंगलवार को मांग की कि असम सरकार द्वारा चलाए जा रहे बेदखली अभियानों को उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार ही संचालित किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसे सभी वैध नागरिकों का पुनर्वास सुनिश्चित करना चाहिए जो इस तरह की गतिविधियों से प्रभावित हुए हैं।
यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मदनी ने कहा, “इस राज्य में बेदखली अभियान जारी है। ऐसा कई जगहों पर होता है। लेकिन यहां जिस तरह से यह हो रहा है, उसे देखकर दुख होता है।”
उन्होंने सोमवार को गोलपाड़ा और आसपास के इलाकों में बेदखल किए गए लोगों से मुलाकात की।
उन्होंने दावा किया कि यहां बेदखली “निर्धारित दिशानिर्देशों का पालन किए बिना” की जा रही है। उन्होंने कहा, “जब भी व्यवस्था के विरुद्ध कुछ किया जाता है, तो उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित व्यवस्था की अनदेखी की जाती है। यह और भी निंदनीय हो जाता है।”
मदनी ने दावा किया, “और फिर, वे सत्ता हथियाने और सत्ता में बने रहने के लिए लोगों को धर्म के आधार पर बांट रहे हैं। वे लोगों को ‘मियां’, ‘अज्ञात’, ‘संदिग्ध’ कहते हैं... यह रवैया बेदखली से भी ज्यादा निराशाजनक है।”
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यदि कोई व्यक्ति ‘संदिग्ध’ है तो उसे स्पष्ट करने के लिए प्रणालियां मौजूद हैं।
उन्होंने कहा, “अगर विदेशी मौजूद हैं, तो उन्हें वापस क्यों नहीं भेजा जाता? हम इसका विरोध नहीं करते। अगर कोई विदेशी यहां रहता है, तो यह हमें स्वीकार्य नहीं है।”
जमीयत नेता ने मांग की कि जिन भारतीय नागरिकों को किसी भी उचित कारण से बेदखल किया गया है, उनका उच्चतम न्यायालय के दिशानिर्देशों के अनुसार पुनर्वास किया जाना चाहिए।
सोमवार को गोलपाड़ा और आसपास के क्षेत्रों में बेदखल किए गए लोगों से मुलाकात के बाद यहां आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मदनी ने कहा, “हम बेदखली का विरोध नहीं कर रहे हैं। सरकार को सड़कों के चौड़ीकरण या अन्य विकास कार्यों के लिए भूमि की आवश्यकता हो सकती है। लेकिन सभी बेदखली अभियान उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार ही होने चाहिए।”
उन्होंने यह भी कहा कि असम सरकार को व्यवस्था के तहत निष्कासन अभियान चलाना चाहिए, न कि “नफरत के भाव” से।
मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा द्वारा पहले अपने बेदखली विरोधी रुख की आलोचना किए जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए मदनी ने कहा, “मैं कल से यहीं हूं। अगर उन्हें आपत्ति थी, तो उन्हें मेरे खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए थी।”
जमीयत नेता ने मांग की कि जिन भारतीय नागरिकों को किसी भी उचित कारण से बेदखल किया गया है, उनका सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों के अनुसार पुनर्वास किया जाना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा, “उच्चतम न्यायालय ने बार-बार कहा है कि जब भी बेदखली होती है, तो पुनर्वास योजना भी होनी चाहिए। हम मांग करते हैं कि असम सरकार प्रभावित लोगों के पुनर्वास की व्यवस्था करे।”
मदनी ने कहा कि सरकार को सड़कों के चौड़ीकरण जैसे विभिन्न कार्यों के लिए बेदखली करनी पड़ सकती है, लेकिन “यह व्यवस्था के भीतर और मानवीय दृष्टिकोण के साथ किया जाना चाहिए”।
भाषा प्रशांत