अगर हिंदू बहुसंख्यक रहे तो धर्मनिरपेक्षता व साम्यवाद बचे रहेंगे : केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार
प्रशांत नरेश
- 03 Sep 2025, 06:45 PM
- Updated: 06:45 PM
कोलकाता, तीन सितंबर (भाषा) केंद्र सरकार द्वारा संशोधित नागरिकता अधिनियम (सीएए) की वैधता को 10 साल के लिए बढ़ाए जाने के बाद, केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने कहा कि भारत में धर्मनिरपेक्षता और साम्यवाद तभी तक जीवित रहेंगे जब तक हिंदू बहुसंख्यक रहेंगे।
भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) द्वारा यहां आयोजित एक कार्यक्रम में मजूमदार ने सीएए लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद दिया।
उन्होंने कहा, “दशकों तक पूर्वी बंगाल से आए दलित शरणार्थियों के बारे में किसी ने नहीं सोचा। यह पहली बार है कि नरेन्द्र मोदी ने उनकी दुर्दशा पर विचार किया है।”
विभाजन काल के इतिहास का हवाला देते हुए उन्होंने पाकिस्तान के पहले कानून मंत्री जोगेंद्र नाथ मंडल का उल्लेख किया, जिन्हें अपने उच्च पद के बावजूद अपनी “गरिमा बचाने” के लिए अपनी पत्नी और बेटी के साथ भारत भागना पड़ा था।
मजूमदार ने कहा कि दलित समुदाय, जिसने पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में ही रहने के मंडल के आह्वान पर भरोसा किया था, को उसके बाद लगातार उत्पीड़न का सामना करना पड़ा, जिसके कारण शरणार्थियों की कई पीढ़ियां भारत में पलायन करने को मजबूर हुईं।
जनसंख्या संबंधी अपने पूर्ववर्ती बयान को दोहराते हुए भाजपा नेता ने कहा, “भारत में धर्मनिरपेक्षता और साम्यवाद तब तक ही टिके रह सकते हैं जब तक हिंदू बहुसंख्यक हैं। अन्यथा, ये विचारधाराएं जीवित नहीं रह पाएंगी, क्योंकि हिंदू ही एकमात्र समुदाय है जो समावेशिता में विश्वास करता है।”
मजूमदार ने इस बात पर जोर दिया कि धार्मिक अल्पसंख्यकों, विशेषकर दलितों को बांग्लादेश में अत्याचारों का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा, “ये शरणार्थी 1947 से भारत आ रहे हैं। खासकर महिलाओं को लगातार प्रताड़ित किया गया है। सालों तक किसी ने उनकी आवाज नहीं उठाई। पहली बार नरेन्द्र मोदी ने उनके भविष्य के बारे में सोचा और सीएए पारित करवाया।”
केंद्र ने हाल ही में अधिसूचित किया कि सीएए के तहत नागरिकता के लिए आवेदन करने की समय सीमा 2024 तक बढ़ा दी गई थी, जिससे बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न के कारण आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता प्राप्त करने की प्रक्रिया में मदद मिली।
मजूमदार ने विदेशी अधिनियम में किए गए बदलावों का भी उल्लेख किया तथा गृह मंत्रालय की नई अधिसूचना पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा, “यदि विश्व में कहीं भी किसी हिंदू को उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है या उसे अपने धर्म का पालन करने से रोका जाता है, तो वह व्यक्ति भारत में शरण ले सकता है।”
पिछले वर्ष लागू हुए संशोधित नागरिकता अधिनियम (सीएए) के अनुसार, इन प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी, बशर्ते वे 31 दिसंबर, 2014 या उससे पहले भारत आए हों।
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