अप्रैल-जून तिमाही में असंगठित उद्यमों में कामगारों की संख्या घटकर 12.85 करोड़ हुई: सरकारी सर्वेक्षण
योगेश अजय
- 03 Sep 2025, 07:33 PM
- Updated: 07:33 PM
नयी दिल्ली, तीन सितंबर (भाषा) देश में असंगठित क्षेत्र के उद्यमों में काम करने वाले लोगों की संख्या अप्रैल-जून तिमाही में घटकर 12.85 करोड़ रह गई है, जबकि इससे पिछली तिमाही (जनवरी से मार्च) में यह 13.13 करोड़ थी। बुधवार को जारी एक सर्वेक्षण में यह जानकारी दी गई।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने बुधवार को असंगठित क्षेत्र के उद्यमों का पहला तिमाही बुलेटिन' जारी किया, जिसमें जनवरी-मार्च, 2025 और अप्रैल-जून, 2025 के आंकड़े शामिल हैं।
यह बुलेटिन 'असंगठित क्षेत्र उद्यमों के वार्षिक सर्वेक्षण' का ही एक तिमाही संस्करण है।
सर्वेक्षण के अनुसार, अप्रैल-जून 2025 के दौरान रोजगार के अनुमानों में यह उतार-चढ़ाव मुख्य रूप से काम पर रखे गए कर्मचारियों की संख्या में कमी और असंगठित विनिर्माण क्षेत्र के मध्यम प्रदर्शन से जुड़ा है। इस तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार की हिस्सेदारी पिछली तिमाही की तुलना में दो प्रतिशत से अधिक घट गई।
बयान में कहा गया कि जनवरी से मार्च, 2025 के बीच असंगठित क्षेत्र के उद्यमों में काम करने वाले लोगों की संख्या पहली बार 13 करोड़ से ऊपर पहुंचकर 13.13 करोड़ हो गई थी। यह पिछले सभी सालाना आंकड़ों से ज्यादा था। लेकिन अप्रैल से जून 2025 के दौरान यह संख्या थोड़ी घटकर 12.86 करोड़ हो गई।
फिर भी दोनों तिमाहियों के आंकड़े 2023-24 के वार्षिक सर्वेक्षण के मुकाबले काफी बेहतर हैं, जो इस क्षेत्र में रोजगार के स्तर में वृद्धि को दर्शाते हैं। इसी अवधि में, असंगठित क्षेत्र के उद्यमों में काम करने वाले प्रतिष्ठानों की संख्या जनवरी-मार्च में 7.85 करोड़ थी, जो अप्रैल-जून में बढ़कर 7.94 करोड़ हो गई।
महिलाओं का हिस्सा भी इस क्षेत्र में बढ़कर 28 प्रतिशत से अधिक हो गया है, जो लैंगिक समावेशन और महिला उद्यमिता के लिए एक सकारात्मक संकेत है। साथ ही, अप्रैल-जून तिमाही में इंटरनेट का उपयोग करने वाले असंगठित क्षेत्र के उद्यमों की संख्या भी बढ़कर 36.03 प्रतिशत हो गई, जो पिछले तिमाही के 34.20 प्रतिशत से ऊपर है, जिससे डिजिटल प्रौद्योगिकी को अपनाने की गति का पता चलता है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस दौरान वेतनभोगी कर्मचारियों की संख्या में गिरावट आई है, जो जनवरी-मार्च में 26.86 प्रतिशत थी, वह अप्रैल-जून में घटकर 24.38 प्रतिशत रह गई। वहीं, स्व-रोजगार और उद्यमशीलता की ओर रुझान बढ़ा है, क्योंकि काम करने वाले मालिकों का हिस्सा 58.29 प्रतिशत से बढ़कर 60.18 प्रतिशत हो गया है। खासतौर पर विनिर्माण क्षेत्र में यह बदलाव स्पष्ट नजर आया है।
ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यबल भी बढ़ा है, जो जनवरी-मार्च में 5.97 करोड़ था और अप्रैल-जून में बढ़कर 6.25 करोड़ पहुंच गया, जिससे यह क्षेत्र ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इसके अलावा, परिवार के बिना वेतन वाले कामगारों की संख्या भी बढ़ी है।
इस सर्वेक्षण में देश भर के 5,885 प्रथम चरण इकाइयों का जनवरी-मार्च और 5,893 इकाइयों का अप्रैल-जून तिमाही में सर्वेक्षण किया गया।
भाषा योगेश