सैन्य प्रशिक्षण के दौरान दिव्यांग हुए कैडेटों के लिए ईसीएचएस सुविधा: केंद्र
नेत्रपाल नरेश
- 04 Sep 2025, 05:48 PM
- Updated: 05:48 PM
नयी दिल्ली, चार सितंबर (भाषा) केंद्र ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय को आश्वासन दिया कि वह प्रशिक्षण के दौरान दिव्यांगता के कारण सैन्य संस्थानों से निकाले गए कैडेटों को ‘पूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना’ (ईसीएचएस) के तहत चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करेगा।
न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ को अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने सूचित किया कि 29 अगस्त से ऐसे सभी कैडेटों को ईसीएचएस योजना में शामिल कर लिया गया है।
भाटी ने बताया कि उनके लिए एकमुश्त सदस्यता शुल्क भी माफ कर दिया गया है।
इस दलील पर गौर करते हुए शीर्ष अदालत ने केंद्र को निर्देश दिया कि पंजीकरण 15 सितंबर तक पूरा कर लिया जाए। इसने साथ ही इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता रेखा पल्ली को न्यायमित्र नियुक्त किया।
पीठ ने कहा, ‘‘भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के सैनिक कल्याण विभाग ने सभी दिव्यांग ‘आउटबोर्ड कैडेटों’ को ईसीएचएस के रूप में चिकित्सा सुविधा प्रदान की है, जिसके लिए कोई सदस्यता शुल्क नहीं लिया जाता। वर्तमान में अधिकारियों द्वारा देय 1,20,000 रुपये का एकमुश्त सदस्यता शुल्क ऐसे दिव्यांग/आउटबोर्ड कैडेटों से नहीं लिया जाता।’’
शीर्ष अदालत ने कहा कि यह सराहनीय है।
मौद्रिक लाभ के मुद्दे पर, न्यायालय ने 2017 से प्रभावी अनुग्रह राशि पर ध्यान दिया तथा इसे बढ़ाने का आह्वान किया, विशेष रूप से मुद्रास्फीति और मूल्य वृद्धि की वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए।
वर्तमान में लागू बीमा योजना के संबंध में शीर्ष अदालत ने कहा कि यह पर्याप्त नहीं हो सकती। इसने कहा कि ‘आउटबोर्डेड’ कैडेटों के लिए बीमा कवर बढ़ाने के प्रयास किए जा सकते हैं।
न्यायालय ने यह भी कहा कि पुनर्वास के उद्देश्य से ‘आउटबोर्डेड’ कैडेटों का पुनर्मूल्यांकन किया जाना चाहिए और केंद्र को चिकित्सा पुनर्मूल्यांकन के लिए योजना तैयार करनी चाहिए।
पीठ ने कहा, ‘‘ये शिक्षित लोग हैं और उन्होंने प्रवेश परीक्षा पास की है। वे किसी न किसी तरह की नौकरी करने में सक्षम हैं। पूर्व सैनिक के रूप में नहीं, लेकिन जहां तक संभव हो सके, उन्हें किसी तरह का डेस्क कार्य दिया जा सकता है।’’
भाटी ने बताया कि मृत्यु की स्थिति में एकमुश्त अनुग्रह राशि के रूप में 12.5 लाख रुपये तथा परिजनों को 9,000 रुपये प्रति माह दिए जाते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘1992 से वायुसेना, थलसेना और नौसेना के पास अपना बीमा है जो सदस्यता आधारित बीमा की तरह है। इसलिए कैडेटों को इसमें शामिल किया जाता है। सेना समूह बीमा निधि है। मासिक बीमा प्रीमियम का भुगतान सैन्य कर्मियों द्वारा किया जाता है।’’
शीर्ष अदालत ने दलीलों पर गौर किया और मामले की सुनवाई सात अक्टूबर के लिए टाल दी।
भाषा नेत्रपाल