बंगाल में ‘राष्ट्रीयता प्रमाण पत्र’ ने हैम रेडियो लाइसेंस के इच्छुक उम्मीदवारों की राह में बाधा डाली
धीरज पारुल
- 07 Sep 2025, 06:27 PM
- Updated: 06:27 PM
(प्रदीप्त तापदार)
कोलकाता, सात सितंबर (भाषा) पश्चिम बंगाल के शौकिया रेडियो संचालक चक्रवात और बाढ़ जैसी आपदाओं के दौरान राज्य के प्रथम गुमनाम प्रत्युत्तरदाता रहे हैं, लेकिन अब ‘राष्ट्रीयता प्रमाण पत्र’ ने उनके सामने नया पेंच पैदा कर दिया है, क्योंकि इससे नये हैम लाइसेंस बाधित होने का खतरा है, जिससे आपदा प्रबंधन हलकों में चिंता पैदा हो गई है।
केंद्र की रेडियो लाइसेंसिंग व्यवस्था के तहत, इच्छुक हैम रेडियो संचालकों को संचार मंत्रालय के सरल संचार पोर्टल के माध्यम से एमेच्योर स्टेशन ऑपरेटर सर्टिफिकेट (एएसओसी) परीक्षा के लिए आवेदन करना होगा।
यह परीक्षा लाइसेंस प्राप्त करने के लिए अनिवार्य है और इसके लिए आवेदकों को आधार, पैन और जन्म संबंधी दस्तावेज अपलोड करने होंगे।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यदि आवेदक के पास पासपोर्ट नहीं है, तो पोर्टल एक निर्धारित प्रारूप में, राजपत्रित अधिकारी द्वारा सत्यापित ‘‘राष्ट्रीयता प्रमाण पत्र’’ की मांग करता है और यहीं असली पेंच फंसता है।
पश्चिम बंगाल रेडियो क्लब (डब्ल्यूबीआरसी) के सचिव अंबरीश नाग विश्वास ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ऐसे दस्तावेजों को सत्यापित करने के लिए अधिकृत कोई भी अधिकारी, फिर चाहे सरकारी विद्यालयों और महाविद्यालयों के प्रधानाचार्य हों या राज्य या केंद्र के राजपत्रित अधिकारी, राष्ट्रीयता प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार नहीं हैं। वे कह रहे हैं कि आधार, पैन को राष्ट्रीयता के प्रमाण के रूप में नहीं आंका जा सकता, क्योंकि इसे लेकर बहुत सारे विवाद हैं, तो वे किस आधार पर इस पर हस्ताक्षर करेंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘पहले वे आधार, दसवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा के प्रवेश पत्र, पैन या मतदाता पहचान पत्र की मूल प्रतियों की पुष्टि करने के बाद हस्ताक्षर करते थे। अब वे इनकार कर रहे हैं। इससे प्रक्रिया ठप हो गई है और कई हैम रेडियो अभ्यर्थी परीक्षा में बैठने में असमर्थ हो गए हैं।’’
हैम या शौकिया रेडियो संचालकों को केंद्रीय संचार मंत्रालय के तहत लाइसेंस दिया जाता है और उन्हें विशिष्ट रेडियो फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल करने के लिए अधिकृत किया जाता है।
राष्ट्रीयता प्रमाण पत्र का उद्देश्य भले ही आधिकारिक तौर पर आवेदक की नागरिकता को सत्यापित करना है, लेकिन इसे बंगाल में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और मतदाता सूची के संभावित विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर तीखी राजनीतिक बहस के बीच लागू किया गया है।
संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि मोर्स कोड के इस्तेमाल के वास्ते हैम रेडियो लाइसेंस प्राप्त करने के लिए सटीक दस्तावेज अनिवार्य हैं, फिर चाहे वह प्रतिबंधित ग्रेड हो, जो निम्न आवृत्ति के लिए है, या सामान्य ग्रेड हो, जो उच्च आवृत्ति के लिए है।
मोर्स कोड एक दूरसंचार प्रणाली है, जो अक्षरों, संख्याओं और विराम चिह्नों को दर्शाने के लिए दो सिग्नल अवधि, ‘‘डॉट्स’’ और ‘‘डैश’’का इस्तेमाल करती है। इसका द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान व्यापक रूप से उपयोग किया गया था।
दूरसंचार विभाग के अंतर्गत कोलकाता वायरलेस मॉनिटरिंग ऑर्गेनाइजेशन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पहचान गुप्त रखने की शर्त पर बताया, ‘‘हम उचित सत्यापन के बिना हैम रेडियो लाइसेंस जारी नहीं कर सकते। अगर किसी के पास पासपोर्ट है, तो उसे राष्ट्रीयता प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है। लेकिन अगर पासपोर्ट नहीं है, तो आधार, पैन और अन्य दस्तावेजों की जांच के बाद वरिष्ठ रैंक के राजपत्रित अधिकारी को राष्ट्रीयता प्रमाण पत्र के प्रारूप पर हस्ताक्षर करना होगा। यह एक पुराना नियम है।’’
उन्होंने सवाल किया, ‘‘यदि किसी आवेदक के पास न तो पासपोर्ट है और न ही राष्ट्रीयता प्रमाण पत्र, तो हम कैसे जान सकेंगे कि वह व्यक्ति भारतीय है?’’
विश्वास के अनुसार, पश्चिम बंगाल में लगभग 12,000 लाइसेंस प्राप्त हैम संचालक हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘लाइसेंस प्राप्त अधिकांश लोग प्रतिबंधित ग्रेड में हैं और सामान्य ग्रेड में अपग्रेड होना चाहते हैं, लेकिन दस्तावेज संबंधी बाधाओं के कारण ऐसा नहीं कर पा रहे हैं। इन 12,000 में से केवल मुट्ठी भर ही स्वैच्छिक सार्वजनिक सेवा में संलग्न हैं।’’
विश्वास ने कहा, ‘‘हर महीने 30-40 हैम संचालक उम्मीदवार परीक्षा में शामिल होते हैं। लेकिन पिछले दो महीनों में, कई लोगों ने शिकायत की है कि वे राष्ट्रीयता प्रमाण पत्र की आवश्यकता के कारण आवेदन नहीं कर सकते, क्योंकि उनके पास पासपोर्ट नहीं है। कुछ का तो यह भी कहना है कि पासपोर्ट होने के बावजूद, पोर्टल अब भी राष्ट्रीयता प्रमाण पत्र मांग रहा है।’’
तृणमूल कांग्रेस ने इसे केंद्र द्वारा ‘‘गुप्त रूप से राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) लागू’’ किए जाने का एक और उदाहरण बताया है।
पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ दल के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘शासन में हर स्तर पर एनआरसी को लेकर डर फैल रहा है। अधिकारी इस बात को लेकर चिंतित हो सकते हैं कि नागरिकता पर बहस के कारण उन्हें जवाबदेह ठहराया जाएगा। यहां तक कि आपदाओं के दौरान जान बचाने वाले हैम संचालकों को भी अब नये सिरे से नागरिकता ‘साबित’ करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। यह कागजी कार्रवाई के नाम पर उत्पीड़न है।’’
हालांकि, राज्य के मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने दस्तावेजीकरण को आवश्यक बताया है।
भाजपा के एक पदाधिकारी ने कहा, ‘‘रेडियो तरंगें सीमाओं का सम्मान नहीं करतीं। अगर लाइसेंस देने की प्रक्रिया में ढील दी गई, तो घुसपैठिये और विदेशी एजेंट रेडियो का दुरुपयोग कर सकते हैं। अगर कोई नागरिक है, तो उसे नागरिकता साबित करने में डर क्यों लगता है?’’
राजनीतिक बहस के बीच आपदाग्रस्त बंगाल में हैम संचालकों की अहम भूमिका का मुद्दा कहीं खो गया है।
विश्वास ने चेतावनी देते हुए कहा, ‘‘हर बार जब कोई आपदा आती है, तो यह साबित हो जाता है कि जब संचार का हर माध्यम विफल हो जाता है, तब भी हैम रेडियो काम करता है। अगर नये संचालकों को लाइसेंस नहीं दिया जाता, तो हमारा नेटवर्क कमजोर हो जाएगा, जिससे चक्रवात के अगले मौसम में बंगाल खतरनाक रूप से असुरक्षित हो जाएगा।’’
डब्ल्यूबीआरसी ने दूरसंचार विभाग को औपचारिक रूप से पत्र लिखकर तत्काल हस्तक्षेप का आग्रह किया है।
भाषा धीरज