भूस्खलन से निपटने के लिये वैज्ञानिक समुदाय ‘सॉइल सेंसर’ विकसित करने की संभावना तलाशे : सिन्हा
राखी दिलीप
- 07 Sep 2025, 09:10 PM
- Updated: 09:10 PM
श्रीनगर, सात सितंबर (भाषा) जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने रविवार को वैज्ञानिक समुदाय से हिमालयी क्षेत्र में भूस्खलन की समस्या से निपटने के लिए नैनो प्रौद्योगिकी के जरिए 'सॉइल सेंसर' विकसित करने की संभावनाएं तलाशने का आह्वान किया।
कश्मीर विश्वविद्यालय में नैनो प्रौद्योगिकी पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए सिन्हा ने कहा, ‘‘जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को देखते हुए हमें ऐसे नैनो पदार्थ विकसित करने पर ध्यान देना चाहिए, जो रासायनिक उत्पादन में प्रदूषण को कम कर सकें। साथ ही, हमें हिमालयी क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से 'सॉइल सेंसर' विकसित करने की नयी संभावनाएं तलाशनी होगी।’’
उन्होंने कहा कि ये सेंसर उन्नत प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (एडवांस्ड अर्ली वार्निंग सिस्टम) का अभिन्न हिस्सा होंगे, जो मिट्टी की नमी के स्तर में बदलाव के आधार पर संभावित भूस्खलन की जानकारी अधिकारियों को पहले से दे सकेंगे।
सिन्हा ने जोर दिया कि इस तरह की परियोजनाएं भविष्य में प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान को रोकने में महत्वपूर्ण साबित होंगी।
पांच दिवसीय इस सम्मेलन का आयोजन कश्मीर विश्वविद्यालय ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) हैदराबाद के सहयोग से किया है, जिसमें देश-विदेश के अग्रणी वैज्ञानिक और शोधकर्ता नैनो टेक्नोलॉजी में हालिया प्रगति और इसके सतत जीवन में उपयोग को साझा कर रहे हैं।
उपराज्यपाल ने कहा कि नैनो प्रौद्योगिकी में हो रहे बदलाव जीवन और कार्य क्षेत्र को नए आयाम दे रहे हैं और इससे जीवन स्तर बेहतर हो रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘आज नैनो विज्ञान और नैनो प्रौद्योगिकी में हो रहे विकास का विभिन्न क्षेत्रों पर परिवर्तनकारी असर पड़ रहा है। भविष्य के शोध, स्वास्थ्य और पर्यावरण से जुड़ी वैश्विक चुनौतियों के समाधान में अहम भूमिका निभाएंगे।’’
सिन्हा ने वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों से आग्रह किया कि वे नैनो प्रौद्योगिकी के माध्यम से और अधिक संवेदनशील व सटीक सेंसर विकसित कर बाढ़ की प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली तैयार करने के लिए एक समूह का गठन करें।
उन्होंने नैनो प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों से रक्षा क्षेत्र में भी योगदान देने का आह्वान किया।
सिन्हा ने शैक्षणिक संस्थानों में नैनो प्रौद्योगिकी से जुड़े प्रतिभाशाली लोगों को प्रोत्साहन देने की योजना बनाने पर भी बल दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा ध्यान नैनो प्रौद्योगिकी को मानवता के हित में विकसित करने और उपयोग करने पर होना चाहिए। हम जलवायु परिवर्तन की गंभीर चुनौतियों को नजरअंदाज नहीं कर सकते। हमारे आविष्कार और पहलें दिखाती हैं कि हम कितनी तेजी से नैनो प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में अग्रणी हो रहे हैं।’’
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