नीतीश ने सीवान में 558 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाएं शुरू कीं
कैलाश सुरभि
- 07 Sep 2025, 09:53 PM
- Updated: 09:53 PM
सीवान (बिहार), सात सितंबर (भाषा) बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को सीवान जिले में लगभग 558.35 करोड़ रुपये की नौ विकास परियोजनाओं का आरंभ किया और कहा कि सरकार महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है।
मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) द्वारा जारी एक बयान के अनुसार इन परियोजनाओं में 222 करोड़ रुपये की लागत से मैरवा में एक ग्रिड सबस्टेशन और उससे जुड़ी लाइनों का निर्माण और 120.48 करोड़ रुपये की लागत से मोहम्मदपुर (एनएच-531) से छपिया-टेढ़ी घाट-गोपालपुर (एनएच-227) मार्ग तक पचरुखी बाईपास का चौड़ीकरण शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने जिन परियोजनाओं की शुरुआत की उनमें राज्य राजमार्ग 89 (बबुनिया-सिसवां रोड) पर सीवान और पचरुखी रेलवे स्टेशनों के बीच लेवल क्रॉसिंग 91 पर 92.16 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से एक रेल ओवरब्रिज का निर्माण भी शामिल है।
अन्य परियोजनाओं में 67.47 करोड़ रुपये की लागत से सीवान-आंदर मार्ग का चौड़ीकरण, 18.26 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से जमापुर बाजार होते हुए भंटापोखर-जीरादेई मार्ग का चौड़ीकरण और 9.93 करोड़ रुपये की लागत से सोनकारा और माधोपुर (महाराजगंज) में 33/11 केवी विद्युत उपकेंद्रों का निर्माण शामिल है।
कई सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘आप सभी आत्मविश्वास बनाए रखें और आगे बढ़ते रहें। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए राज्य सरकार हर स्तर पर निरंतर प्रयास कर रही है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जब राज्य में हमारी सरकार बनी तो वर्ष 2006 में पंचायती राज संस्थाओं और वर्ष 2007 में नगर निकाय चुनावों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया गया। इसके बाद विश्व बैंक से कर्ज लेकर स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा देने का काम शुरू किया गया, जिसके परिणामस्वरूप आज बिहार में 11 लाख से अधिक स्वयं सहायता समूह सक्रिय हैं और इनमें 1.40 करोड़ से ज्यादा ‘जीविका दीदियां’ जुड़ी हुई हैं। वर्ष 2024 में शहरी क्षेत्रों में भी इस समूह का गठन शुरू किया गया।’’
उन्होंने कहा वर्ष 2013 में पुलिस भर्ती में महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण दिया गया और 2016 में यह व्यवस्था सभी सरकारी सेवाओं में लागू की गई।
मुख्यमंत्री ने स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी सभी ‘जीविका दीदियों’ के कार्यों की भी सराहना की।
उन्होंने कहा कि स्वयं सहायता समूहों से जुड़कर महिलाएं शिक्षित, जागरूक और आत्मनिर्भर बन रही हैं।
मुख्यमंत्री ने ‘जीविका दीदियों’ से कहा, ‘‘समर्पण से काम करें... सरकार आपको हर संभव सहयोग दे रही है। अपने परिवारों की प्रगति सुनिश्चित करें और बिहार के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दें।’’
राज्य सरकार के ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत एक स्वायत्त निकाय के माध्यम से विश्व बैंक द्वारा वित्तपोषित ‘बिहार ग्रामीण आजीविका परियोजना’ को स्थानीय रूप से ‘जीविका’ के नाम से जाना जाता है, जिसका नेतृत्व बिहार सरकार कर रही है। इसका उद्देश्य ग्रामीण गरीबों का सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण है। इस परियोजना से जुड़ी महिलाओं को ‘जीविका दीदी’ कहा जाता है।
रविवार को ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना’ से संबंधित 250 जागरूकता वाहनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना करते हुए उन्होंने कहा कि इस योजना से महिलाओं को रोजगार मिलेगा, परिवार की आमदनी बढ़ेगी और उनका जीवन स्तर बेहतर होगा।
इस योजना के तहत प्रत्येक परिवार की एक महिला को सितंबर से ही अपनी पसंद के रोजगार के लिए 10 हजार रुपये की पहली किस्त मिलेगी और रोजगार शुरू करने के बाद आकलन के आधार पर दो लाख रुपये तक की अतिरिक्त राशि दी जाएगी।
उन्होंने यह भी कहा कि महिलाओं की मांग पर ही राज्य में शराबबंदी लागू की गई और उनके उत्थान के लिए मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना, मुख्यमंत्री महिला उद्यमी योजना तथा मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना जैसी योजनाएं संचालित की जा रही हैं।
कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, राज्य के मंत्री विजय कुमार चौधरी, मंगल पांडे और क्षेत्र के निर्वाचित प्रतिनिधि तथा राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
कैलाश भाषा