गाजा के भविष्य के लिए ट्रंप का दृष्टिकोण बताने वाली योजना
द कन्वरसेशन रवि कांत नेत्रपाल
- 13 Sep 2025, 05:36 PM
- Updated: 05:36 PM
(रफीफ जियादाह, किंग्स कॉलेज लंदन)
लंदन, 13 सितंबर (द कन्वरसेशन) गाजा के पूरे इलाके खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। हजारों लोग तंबुओं में ठूंसे हुए हैं तथा भोजन, पानी और बिजली के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
इस तबाही के बावजूद, डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के लीक हुए 38-पृष्ठ के दस्तावेज - ‘गाजा पुनर्गठन, आर्थिक त्वरण और परिवर्तन (ग्रेट) ट्रस्ट’ में गाजा को मौलिक रूप से बदलने और इसे भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) में शामिल करने का प्रस्ताव है।
इस पुनर्निर्माण योजना के रूप में तैयार की गई इस योजना में ‘बड़े पैमाने पर अमेरिकी लाभ’, आईएमईसी की गति में तेजी, और ‘अब्राहमिक क्षेत्रीय वास्तुकला’ के सुदृढ़ीकरण की रूपरेखा दी गई है। यह शब्द 2020 के अब्राहम समझौते को संदर्भित करता है। यह समझौता अमेरिका की मध्यस्थता में किया गया था, जिसके जरिये इजराइल, यूएई और बहरीन के बीच संबंध सामान्य हुए थे।
कई मायनों में यह दस्तावेज इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू द्वारा प्रचारित “गाजा 2035” योजना की प्रतिध्वनि करता है। यह 2024 का प्रस्ताव था, जिसमें गाजा को सऊदी अरब की नियोम मेगा-परियोजना से जुड़े एक स्वच्छ लॉजिस्टिक केंद्र के रूप में देखा गया था, तथा इसमें फलस्तीन की सार्थक मौजूदगी को समाप्त कर दिया गया था।
जैसा कि मेरे सह-लेखकों और मैंने अपनी हालिया पुस्तक ‘रेसिस्टिंग इरेज़र: कैपिटल, इम्पीरियलिज्म एंड रेस इन फलस्तीन’ में बताया है, यह नीतियों का एक पैटर्न जारी है जो फलस्तीनियों को राजनीतिक एजेंसी से वंचित करता है और गाजा को एक निवेश अवसर तक सीमित कर देता है।
आईएमईसी की शुरुआत नयी दिल्ली में 2023 के जी-20 शिखर सम्मेलन में की गई थी। अमेरिका, यूरोपीय संघ, भारत, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात द्वारा हस्ताक्षरित इस परियोजना को एक परिवर्तनकारी बुनियादी ढांचा परियोजना बताया गया।
इसमें रेलवे, बंदरगाह, पाइपलाइन और डिजिटल केबल की एक श्रृंखला शामिल थी जो दक्षिण एशिया को अरब प्रायद्वीप के माध्यम से यूरोप से जोड़ती थी।
इजराइल औपचारिक रूप से हस्ताक्षरकर्ता नहीं था, लेकिन उसकी भूमिका अंतर्निहित थी। यह गलियारा भारतीय बंदरगाहों से संयुक्त अरब अमीरात तक, सऊदी अरब और जॉर्डन होते हुए जमीनी रास्ते इजराइल के हाइफा बंदरगाह तक, फिर भूमध्य सागर पार करके यूनान और यूरोप तक जाता है।
ऐसी अनेक मेगा-परियोजनाओं की तरह, आईएमईसी का विपणन भी दक्षता की भाषा में किया जाता है - तीव्र व्यापार समय, कम लागत, नयी ऊर्जा और डेटा गलियारे।
लेकिन इसका गहरा राजनीतिक महत्व है। वाशिंगटन के लिए, यह चीन की बेल्ट एंड रोड पहल (बीआरआई) के प्रतिकार के रूप में कार्य करता है। यूरोप इसे स्वेज नहर और रूसी पाइपलाइन के विरुद्ध एक बचाव के रूप में देखता है।
खाड़ी के राजतंत्रों को इस क्षेत्र में व्यापार और परिवहन के मुख्य केंद्र के रूप में अपनी स्थिति बनाने का अवसर दिखाई दे रहा है। इजराइल हाइफा को यूरो-एशियाई व्यापार के प्रवेश द्वार के रूप में बढ़ावा दे रहा है। इस बीच, भारत को यूरोप तक तेजी से पहुंच मिल रही है तथा साथ ही वाशिंगटन और खाड़ी दोनों के साथ उसके संबंध मजबूत हो रहे हैं।
गाजा एक बाधा और प्रवेश द्वार के रूप में---
इस योजना में गाजा को आईएमईसी को कमजोर करने वाली ईरानी चौकी के रूप में तथा मिस्र, अरब, भारत और यूरोप को जोड़ने वाले व्यापार मार्गों के ऐतिहासिक चौराहे के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
गाजा के इतिहास को एक व्यापारिक मार्ग के रूप में उद्धृत करते हुए योजना इस क्षेत्र को एक प्राकृतिक रसद प्रवेश द्वार के रूप में प्रस्तुत करती है, जो ‘‘अमेरिका समर्थक क्षेत्रीय व्यवस्था’’ के केंद्र में ‘‘एक बार फिर फलने-फूलने’’ के लिए तैयार है।
इस ब्लूप्रिंट में मिस्र के अल-अरिश से गाजा के बंदरगाह का विस्तार करने, इसके उद्योगों को क्षेत्रीय आपूर्ति श्रृंखलाओं में एकीकृत करने तथा इसकी भूमि को ‘नियोजित शहरों’ और डिजिटल अर्थव्यवस्थाओं में पुनर्गठित करने का प्रस्ताव है।
जो कल्पना की जा रही है, वह इसके निवासियों के लिए पुनर्वास नहीं है, बल्कि गाजा को आईएमईसी की सेवा करने वाले एक रसद केंद्र में परिवर्तित करना है।
ग्रेट ट्रस्ट का शायद सबसे क्रांतिकारी तत्व इसका प्रत्यक्ष ट्रस्टीशिप मॉडल है। इस योजना में अमेरिका के नेतृत्व में संरक्षकता की परिकल्पना की गई है, जिसकी शुरुआत एक द्विपक्षीय अमेरिका-इज़राइल समझौते से होगी और अंततः एक बहुपक्षीय ट्रस्ट में विस्तारित होगी।
यह निकाय गाजा पर शासन करेगा, सुरक्षा की देखरेख करेगा, सहायता का प्रबंधन करेगा और पुनर्विकास को नियंत्रित करेगा। फलस्तीनी राजव्यवस्था स्थापित होने के बाद, ट्रस्ट अभी भी फ्री एसोसिएशन के एक समझौते के माध्यम से शक्तियां बरकरार रखेगा।
द कन्वरसेशन रवि कांत