एनआईआरएफ विदेशी एजेंसियों की रैंकिंग का विश्वसनीय विकल्प, बढ़ावा देने की जरूरत: बिट्स पिलानी कुलपति
पारुल सुरेश
- 14 Sep 2025, 07:39 PM
- Updated: 07:39 PM
नयी दिल्ली, 14 सितंबर (भाषा) बिट्स पिलानी समूह के कुलपति वी रामगोपाल राव ने कहा कि शिक्षा मंत्रालय का राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग ढांचा (एनआईआरएफ) एक दशक पहले अपनी स्थापना के बाद से काफी मजबूत हो चुका है और विदेशी निजी एजेंसियों की ओर से की जाने वाली रैंकिंग का एक विश्वसनीय विकल्प बनकर उभरा है।
हालांकि, राव का मानना है कि एनआईआरएफ रैंकिंग प्रणाली अब भी कुछ चुनौतियों का सामना कर रही है, जिनका समाधान किया जाना जरूरी है।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ साक्षात्कार में कहा, “बड़ी बात यह है कि एनआईआरएफ की घोषणा भारत सरकार करती है। इसे आधिकारिक मान्यता प्राप्त है। ‘क्यूएस’ या ‘टाइम्स हायर एजुकेशन’ निजी रैंकिंग एजेंसियां हैं और वे अपने बिजनेस मॉडल के चलते पैमानों को बहुत ऊंचा रखती हैं। आप इन सेवाओं के लिए उन्हें नियुक्त कर सकते हैं।”
राव ने कहा, “एनआईआरएफ में पिछले 10 वर्षों में काफी सुधार हुआ है और इसके कुछ मानकों को मजबूत करने में सफलता मिली है। हालांकि, अब भी कई चुनौतियां बरकरार हैं।”
उन्होंने कहा कि एनआईआरएफ में 14,000 से अधिक संस्थान हिस्सा ले रहे हैं और भारत सरकार उनकी रैंकिंग कर रही है, जिसका इस्तेमाल वित्त पोषण और अन्य चीजों के लिए किया जाता है, ऐसे में इस ढांचे को और अधिक मजबूत किए जाने की जरूरत है।
एनआईआरएफ के 10वें संस्करण की घोषणा चार सितंबर को की गई थी।
बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (बिट्स), पिलानी ने इस सूची में पहली बार शीर्ष 10 में जगह बनाई और सातवां स्थान हासिल किया।
संस्थान ने अपनी समग्र रैंकिंग में भी सुधार किया और 26वें स्थान से 23वें पायदान पर पहुंच गया। वहीं, इंजीनियरिंग संस्थानों के बीच रैंकिंग में छलांग लगाते हुए उसने पिछले साल 20वें स्थान के मुकाबले इस बार 11वां पायदान हासिल किया। फार्मेसी संस्थानों की सूची में बिट्स को दूसरे स्थान पर रखा गया।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), दिल्ली के निदेशक रह चुके राव ने कहा कि संस्थानों का सटीक मूल्यांकन करने के लिए शोध के मूल्यांकन के मानकों में कुछ बदलाव की जरूरत है।
उन्होंने कहा, “अगर आप शोध के मापदंडों पर गौर करें, तो लगभग 21 फीसदी रैंकिंग शोध के लिए है, चाहे वह शोध पत्रों की संख्या हो या उद्धरणों की बात हो।”
राव ने कहा कि अगर किसी संस्थान की रैंकिंग में महत्वपूर्ण सुधार आता है, तो उसकी ऑडिट की जानी चाहिए, क्योंकि रैंकिंग स्वयं-रिपोर्ट किए गए आंकड़ों पर निर्भर करती है।
उन्होंने कहा, “बहुत सारे ऑडिट की जरूरत है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम उन संस्थानों का बेतरतीब ढंग से ऑडिट करें, जो रैंकिंग में उल्लेखनीय सुधार दिखा रहे हैं।”
भाषा पारुल