गार्ड कोचों से ‘श्वान-बक्से’ हटाएं: ट्रेन संचालन सुरक्षा चिंताओं के चलते मुंबई रेल मंडल की मांग
सुमित सुरेश
- 14 Sep 2025, 07:54 PM
- Updated: 07:54 PM
नयी दिल्ली, 14 सितंबर (भाषा) मुंबई रेल मंडल ने यात्रियों के पालतू जानवरों को ले जाने के लिए रेलवे गार्ड के कोच में रखे गए बड़े आकार के ‘श्वान-बक्सों’ (डॉग-बॉक्स) को ट्रेन में कहीं और स्थानांतरित करने की मांग की है, क्योंकि इससे ट्रेन के सुरक्षित संचालन को खतरा है और यह एक स्वास्थ्य संबंधी चिंता का विषय है।
मेल और एक्सप्रेस ट्रेन के गार्ड कोच में ‘श्वान बक्से’ उपलब्ध कराए जाते हैं, जिससे यात्रियों को यात्रा के दौरान शुल्क देकर अपने पालतू जानवरों को साथ ले जाने की सुविधा मिलती है। इन कोच को ‘ब्रेक वैन’ या ‘बैठने की व्यवस्था सहित सामान रेक’ (एसएलआर) कोच भी कहा जाता है।’’
एक अधिकारी ने कहा, ‘‘अन्य कई चुनौतियों के अलावा इन बड़े बक्सों के कारण गार्डों को सिग्नल देखने में असुविधा होती है।’’
कुछ दिन पहले एक वरिष्ठ मंडल अधिकारी ने मध्य रेलवे जोन मुख्यालय को पत्र लिखकर इस मुद्दे पर मंत्रालय का ध्यान आकर्षित करने का आग्रह किया था।
उन्होंने कहा, ‘‘मेल, एक्सप्रेस ट्रेन के वातानुकूलित एसएलआर में उपलब्ध ‘श्वान-बक्सों’ में बकरी, भेड़ ले जाते समय ट्रेन प्रबंधकों को अपने काम के दौरान होने वाली असुविधा के संबंध में कुछ चिंताएं हैं।
वरिष्ठ मंडल अधिकारी ने अपने पत्र में कहा, ‘‘इसलिए ‘श्वान-बक्सों’ में पालतू पशुओं की बुकिंग के संबंध में निर्देशों की समीक्षा करने का आग्रह किया जाता है।’’
उन्होंने कहा कि एसी ‘एसएलआर’ कोच में अनियमित और बड़े आकार के ‘श्वान-बक्सों’ के कारण ट्रेन प्रबंधकों को स्टेशन कर्मी, गेटमैन और गुजरती ट्रेनों द्वारा प्रदर्शित सिग्नलों को देखने में असुविधा होती है, जिससे उनके लिए अपने आवश्यक कर्तव्यों का निर्वहन करना मुश्किल हो जाता है।
अधिकारी ने यह भी बताया कि बड़े आकार का ‘श्वान-बक्सा’ छोटी साइड खिड़की के लगभग आधे हिस्से को ढक लेता है, जिससे दृश्यता और भी कम हो जाती है।
स्वास्थ्य संबंधी चिंता का मुद्दा उठाते हुए उन्होंने कहा कि वातानुकूलित वातावरण में पशुओं के मल-मूत्र के साथ-साथ उनसे निकलने वाली अप्रिय गंध के कारण वातावरण बहुत खराब हो जाता है और प्राकृतिक वायुसंचार (क्रॉस-वेटिलेशन) के अभाव में विभिन्न स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं।
उन्होंने लिखा, "ऐसी बुकिंग से नगण्य आय होती है।"
इससे पहले, ट्रेन प्रबंधकों के लिए पंजीकृत ट्रेड यूनियन - ‘ऑल इंडिया गार्ड्स काउंसिल’ (एआईजीसी) ने रेल मंत्रालय को कई पत्र लिखकर ‘श्वान-बक्सों’ को हटाने की मांग की थी, क्योंकि इससे ट्रेन संचालन में असुविधा हो रही थी।
एआईजीसी के पूर्व महासचिव एसपी सिंह ने कहा कि एलएचबी (कोच का एक प्रकार) एसी कोच शुरू करने के बाद केवल गार्ड के कोच में ही पालतू जानवरों को ले जाने का प्रावधान किया गया था।
उन्होंने कहा, "परिषद इस मुद्दे को 2023 से रेलवे बोर्ड के समक्ष उठा रही है। असुविधा और स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के अलावा बड़े आकार के डिब्बे ट्रेन प्रबंधकों के सुचारू कामकाज में बाधा उत्पन्न करते हैं और सुरक्षा संबंधी चिंताएं भी पैदा करते हैं।’’
उन्होंने मांग की कि इन ‘श्वान-बक्सों’ को कहीं और स्थानांतरित किया जाए।
ट्रेन प्रबंधकों ने कहा कि चूंकि ट्रेन के डिब्बे एक-दूसरे से ‘गलियारे’ से जुड़े होते हैं, इसलिए पालतू जानवरों को ले जाने वाले लोग अक्सर गार्ड के डिब्बे में जाकर अपने पालतू जानवरों को खाना खिलाने या पानी पिलाने के लिए परेशान करते हैं।
एक गार्ड ने कहा, "मालिक को देखते ही पालतू जानवर चिल्लाना शुरू कर देते हैं और मालिक के कोच से चले जाने के बाद भी अपनी आवाजों से परेशान करते हैं। सुरक्षा संबंधी ड्यूटी पर तैनात ट्रेन मैनेजर के लिए यह बहुत परेशान करने वाली बात है।"
भाषा सुमित