भारत ने ओजोन क्षरण करने वाले तत्वों को चरणबद्ध तरीके से कम करने की दिशा में प्रगति की: मंत्री
वैभव नरेश
- 16 Sep 2025, 02:54 PM
- Updated: 02:54 PM
नयी दिल्ली, 16 सितंबर (भाषा) केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने मंगलवार को कहा कि भारत ने मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल की समय-सीमा से काफी पहले ही नियंत्रित अनुप्रयोगों के लिए हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन (एचसीएफसी) के उत्पादन और खपत में 67.5 प्रतिशत चरणबद्ध कमी के लक्ष्य को सफलतापूर्वक हासिल कर लिया है।
विश्व ओजोन दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में एक वीडियो संदेश में यादव ने कहा कि इस वैश्विक संधि ने दुनिया भर में ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाले 99 प्रतिशत पदार्थों को समाप्त कर दिया है, जिससे ओजोन परत को ठीक होने में मदद मिली है।
उन्होंने कहा, ‘‘ओजोन परत ठीक हो रही है और लगभग 2050 तक इसके 1980 से पहले के स्तर पर लौटने की उम्मीद है।’’
मंत्री ने कहा, ‘‘1 जनवरी, 2025 तक, भारत ने नियंत्रित अनुप्रयोगों और कार्यों के लिए एचसीएफसी के उत्पादन और खपत में 67.5 प्रतिशत चरणबद्ध कमी के लक्ष्य को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है, जो मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के लक्ष्यों से काफी पहले पूरा हो गया है।’’
सभी 198 पक्षों द्वारा अनुमोदित मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल को व्यापक रूप से सबसे सफल अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण समझौते के रूप में मान्यता प्राप्त है। इसके परिणामस्वरूप रेफ्रिजरेशन, एयर कंडीशनिंग, अग्निशमन फोम और यहां तक कि एरोसोल में इस्तेमाल होने वाले ओजोन-क्षयकारी पदार्थों को चरणबद्ध तरीके से हटाया गया है, जिससे पराबैंगनी विकिरण से स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्र के जोखिम कम हुए हैं।
यादव ने कहा कि बढ़ती शीतलन मांग को पूरा करना एक चुनौती और अवसर दोनों है।
भारत एक व्यापक शीतलन कार्य योजना अपनाने वाले पहले देशों में से एक था, जिसके बारे में मंत्री ने कहा कि यह ‘‘शीतलन आवश्यकताओं को पूरा करने और इसके नकारात्मक प्रभावों को बेअसर करते हुए स्थायी शीतलन प्रदान करने हेतु कार्यान्वयन योग्य मार्ग तैयार करने में उच्च अंतर-मंत्रालयी और अंतर-क्षेत्रीय सहयोग’’ को प्रदर्शित करता है।
मंत्री ने कहा कि उनके मंत्रालय ने अगली पीढ़ी के कम ग्लोबल वार्मिंग क्षमता वाले रेफ्रिजरेंट और शीतलन उपकरणों के स्वदेशी विकास के लिए एक कार्य योजना भी तैयार की है। इस योजना में अनुसंधान को बढ़ावा देने और एक मजबूत अनुसंधान एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए आठ भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के साथ सहयोग शामिल है।
यादव ने कहा, ‘‘विश्व ओजोन दिवस मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल की उल्लेखनीय उपलब्धियों का जश्न मनाने का एक मूल्यवान अवसर प्रदान करता है। यह सरकारों, संगठनों और व्यक्तियों को ओजोन परत की सुरक्षा में अपने अथक प्रयास जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करता है।’’
भाषा वैभव