प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गृहनगर में धूमधाम से मनाया गया उनका 75वां जन्मदिन
राजकुमार नरेश
- 17 Sep 2025, 03:48 PM
- Updated: 03:48 PM
वडनगर (गुजरात), 17 सितंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गृहनगर वडनगर में उनका 75वां जन्मदिन धूमधाम से मनाया गया जहां उनके चचेरे भाइयों ने भी उन्हें हार्दिक शुभकामनाएं दीं।
गुजरात के मेहसाणा जिले के एक छोटे से शहर वडनगर के लोगों ने प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर रक्तदान और नेत्र जांच शिविर, प्रसिद्ध हाटकेश्वर महादेव मंदिर में प्रार्थना और स्वच्छता अभियान का आयोजन किया।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की वडनगर इकाई के पदाधिकारी भावेश पटेल ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘मंगलवार को रक्तदान शिविर आयोजित किया गया। प्रधानमंत्री मोदी के बड़े भाई सोमाभाई मोदी ने बुधवार सुबह नेत्र जांच स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया।’’
उन्होंने बताया, ‘‘सुबह साढ़े सात बजे हाटकेश्वर महादेव मंदिर में विशेष पूजा की गई। शाम चार बजे हवन होगा और मिठाइयां बांटी जायेंगी।’’
उन्होंने बताया कि सुबह साढ़े नौ बजे के बाद शहर में सफाई अभियान भी चलाया गया।
भाजपा पदाधिकारी ने कहा,‘‘हमने वडनगर के लोगों के लिए शाम को एक भव्य गुजराती लोक संगीत (दैरो) कार्यक्रम भी रखा है, जिसमें राजभा गढ़वी और उस्मान मीर जैसे प्रसिद्ध लोक कलाकार प्रस्तुति देंगे।’’
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने राजनीतिक सपनों को पूरा करने के लिए बहुत पहले ही अपना गृहनगर वडनगर छोड़ दिया था, लेकिन उनके दो चचेरे भाई - भरतभाई मोदी (65) और अशोकभाई मोदी (61) - अब भी वडनगर में रहते हैं।
ये दोनों प्रधानमंत्री के पिता दामोदरदास मोदी के छोटे भाई, स्वर्गीय नरसिंहदास मोदी के पुत्र हैं।
भरतभाई एक छोटे से किराये के मकान में किराने की दुकान चलाते हैं, जबकि अशोकभाई अपनी छोटी सी दुकान में धार्मिक सामग्री और मौसमी सामान बेचते हैं एवं लगभग 5,000 रुपये प्रति माह कमाते हैं।
अशोकभाई ने अपना पूरा जीवन वडनगर में बिताया है, जबकि भरतभाई चार साल पहले निजी नौकरी से सेवानिवृत्त होने के बाद यहां लौटे और किराए की दुकान खोली।
शहर में लगभग हर कोई जानता है कि दोनों प्रधानमंत्री मोदी के चचेरे भाई हैं, लेकिन वे दशकों से उनसे नहीं मिले हैं और न ही उन्होंने कभी अपने रिश्ते को भुनाने की कोशिश की।
भरतभाई ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हम सभी को गर्व है कि नरेन्द्रभाई मोदी जैसे व्यक्ति का जन्म मोदी परिवार में हुआ। मैं उन्हें जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। मैं प्रार्थना करता हूं कि वह और अधिक सफलता प्राप्त करें और देश को आगे ले जाएं। वह भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं और हम सब इस प्रयास में उनके साथ हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘वैसे तो वडनगर में लगभग सभी जानते हैं कि मैं प्रधानमंत्री का चचेरा भाई हूं लेकिन मैंने कभी भी इस रिश्ते का फायदा उठाने की कोशिश नहीं की। मेरा मानना है कि हर किसी को अपनी किस्मत खुद लिखनी चाहिए। अगर ट्रैफिक पुलिस मेरी मोटरसाइकिल रोकती है, तो मैं अपनी पहचान बताकर पुलिस को प्रभावित करने की कोशिश करने के बजाय विनम्रता से जुर्माना भर देता हूं।’’
अशोकभाई ने यह भी कहा कि मामूली कमाई के बावजूद उन्होंने कभी प्रधानमंत्री मोदी से कोई मदद नहीं मांगी।
उन्होंने कहा, ‘‘नरेन्द्रभाई को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं। ईश्वर उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करें। हालांकि मैं हर महीने केवल 5,000 रुपये कमाता हूं, लेकिन मैंने कभी मोदी से किसी भी तरह की मदद मांगने के बारे में नहीं सोचा।"
वडनगर निवासी प्रधानमंत्री के बचपन के दोस्त और सहपाठी दशरथभाई पटेल ने कहा कि मोदी ने 1969 में ही गुजरात के मुख्यमंत्री बनने का सपना देखा था, यानी 2001 में उनके शीर्ष पद संभालने से तीन दशक से भी ज़्यादा पहले।
प्रधानमंत्री की साधारण शुरुआत का ज़िक्र करते हुए उन्होंने याद किया कि वडनगर रेलवे स्टेशन पर मोदी के पिता की चाय की दुकान थी और वह (नरेन्द्र मोदी) कैसे स्कूल के दिनों में ट्रेन के एक डिब्बे से दूसरे डिब्बे में जाकर यात्रियों को चाय बेचा करते थे।
उन्होंने स्मरण करते हुए कहा, ‘‘मोदी और मैंने वडनगर के प्राथमिक विद्यालय से लेकर विसनगर (मेहसाणा ज़िले में) के कॉलेज तक साथ-साथ पढ़ाई की। हम आरएसएस की शाखाओं में साथ-साथ जाया करते थे। मोदी और उनके दोस्त एक बार मेरे खेत पर आए थे और हम सबने सूरत के एक स्वादिष्ट व्यंजन 'उंधियू' का आनंद लिया था। हम स्कूल के नाटकों में भी हिस्सा लेते थे।’’
भाषा राजकुमार