बीएमडब्ल्यू दुर्घटना: अदालत ने आरोपी महिला की न्यायिक हिरासत बढ़ाई
प्रीति नरेश
- 17 Sep 2025, 08:33 PM
- Updated: 08:33 PM
नयी दिल्ली, 17 (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने धौला कुआं में हुई दुर्घटना में बीएमडब्ल्यू कार चालक आरोपी महिला की न्यायिक हिरासत बुधवार को 27 सितंबर तक बढ़ा दी।
इस दर्दनाक हादसे में वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी की मौत हो गई थी और उनकी पत्नी घायल हो गई थीं।
न्यायिक मजिस्ट्रेट अंकित गर्ग ने 38 वर्षीय गगनप्रीत कौर के अदालत में पेश होने के बाद उसकी न्यायिक हिरासत बढ़ा दी।
कौर की पैरवी करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश गुप्ता ने दुर्घटना के सीसीटीवी फुटेज को संरक्षित करने के लिए एक याचिका दाखिल की, जिसके लिए अदालत ने नोटिस जारी किया और मामले की सुनवाई बृहस्पतिवार के लिए निर्धारित की।
गुप्ता ने इस संबंध में तर्क देते हुए कहा कि दुर्घटना के मामले को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 105 के तहत गैर इरादतन हत्या के मामले में बदल दिया गया है।
उन्होंने कहा कि इसके संबंधित पूर्ववर्ती भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304 थी, जिसमें दो भाग थे। पहले भाग में आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान था जबकि दूसरे भाग में ऐसी कोई अधिकतम सजा निर्धारित नहीं थी।
अधिवक्ता ने दलील में कहा, ‘‘जांच अधिकारी (आईओ) द्वारा मुझे (महिला) गिरफ़्तार करने के 10 घंटे बाद ही प्राथमिकी दर्ज कर ली गई। पुलिस कह रही है कि धारा 304 इसलिए लगाई गई क्योंकि घायलों को दूर के अस्पताल ले जाया गया था। दोनों परिवार दुखी हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘उनके (दंपति के) पांच और सात साल के दो बच्चे हैं। वे भी घायल हुए हैं।’’
अधिवक्ता ने कहा कि संबंधित पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) को इस मामले में गवाह बनाया जाना चाहिए क्योंकि वह उन दो गवाहों से मिलने वाले पहले व्यक्ति थे जिन्होंने उन्हें दुर्घटना के बारे में बताया था।
गुप्ता ने कहा कि घटनाक्रम के अनुसार कार ने एक बस को भी टक्कर मारी थी और बस को भी जब्त करने की जरूरत है।
अधिवक्ता ने कहा, ‘‘उसके बाद वहां एक एम्बुलेंस रुकी थी, लेकिन उसने घायलों को अस्पताल ले जाने से इनकार कर दिया...मेडिकल वैन रुकी या नहीं इसकी पुष्टि करना क्या डीसीपी की ड्यूटी नहीं है? ’’
उन्होंने दावा किया कि जांच अधिकारी की केस डायरी क्रमांकित नहीं थी।
गुप्ता ने कहा कि कौर ने घायलों को राहत पहुंचाने के लिए हरसंभव प्रयास किया। उन्होंने अपने ससुर को फोन किया, जिन्होंने उन्हें अस्पताल के बारे में बताया।
उन्होंने कहा, ‘‘महिला खुद वैन में बैठी थी। वह गलती से अपना फ़ोन कार में ही छोड़ गई। उसे इस हादसे में घायल हुए अपने बच्चों और पति को कार में ही छोड़ कर जाना पड़ा...इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।’’
इस मामले में शिकायतकर्ता के अधिवक्ता ने गुप्ता की दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि कौर गंभीर रूप से घायल नहीं थीं और यह जानते हुए भी कि जब कोई गंभीर रूप से घायल होता है तो हर मिनट महत्वपूर्ण होता है, इसके बावजूद वह वैन चालक से घायल को 20 किलोमीटर दूर स्थित अस्पताल ले कर गईं।
वकील ने दावा किया कि कौर का इरादा गलत था।
पीड़िता के अधिवक्ता ने कहा, ‘‘इसके बाद महिला (कौर) अस्पताल के आईसीयू में एडमिट हो जाती हैं... पांच घंटे बाद फर्जी ‘मेडिको-लीगल केस’ (एमएलसी) बना रही हैं...’’
उन्होंने कहा, ‘‘एक तो बहुत तेज गाड़ी चला रही थीं, सोचो रफ्तार कितनी अधिक होगी की इससे बीएमडब्ल्यू ही पलट गई... करोड़ रुपये की गाड़ी चलाओगे तो खुद सुरक्षित रहोगे ही, लेकिन जिसको लगी है उनको सहायता प्रदान कराओगे ना।’’
अधिवक्ता ने बताया कि वैन चालक ने बयान दिया है कि जब उसने बार-बार पीड़ित को नजदीकी अस्पताल ले जाने के लिए कहा तो गगनप्रीत ने उसकी बात नहीं सुनी।
उन्होंने कहा, ‘‘तुमने एम्बुलेंस क्यों नहीं बुलाई? बेस अस्पताल कुछ ही मिनट की दूरी पर था।’’
गगनप्रीत कौर (38) को गैर इरादतन हत्या और अन्य अपराधों के आरोप में गिरफ्तार करने के बाद 15 सितंबर को दो दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया था।
आर्थिक मामलों के विभाग में उप सचिव एवं हरि नगर के निवासी नवजोत सिंह (52) की दिल्ली छावनी मेट्रो स्टेशन के पास रिंग रोड पर रविवार दोपहर को हुई दुर्घटना में मौत हो गई थी।
वह बंगला साहिब गुरुद्वारे में मत्था टेकने के बाद घर लौट रहे थे।
इस घटना के संबंध में बीएनएस की धारा 281 (तेज गति से वाहन चलाना), 125बी (दूसरों के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालना), 105 (गैर इरादतन हत्या) और 238 (साक्ष्यों को गायब करना) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
भाषा
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