राहुल के 'वोट चोरी' के आरोपों पर विपक्ष-सत्तारूढ़ दलों में तकरार, फडणवीस के इस्तीफे की मांग
प्रशांत सुरेश
- 18 Sep 2025, 08:44 PM
- Updated: 08:44 PM
मुंबई, 18 सितंबर (भाषा) मतदाता सूची में अनियमितताओं के कांग्रेस नेता राहुल गांधी के ताजा आरोपों के बाद सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के बीच वाकयुद्ध शुरू हो गया है तथा विपक्षी दलों ने बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के इस्तीफे की मांग की।
राहुल ने इन आरोपों के सिलसिले में महाराष्ट्र के एक खास क्षेत्र का भी उल्लेख किया।
विपक्षी राकांपा (शरदचंद्र पवार) ने कहा कि गांधी के आरोपों ने भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) की ईमानदारी पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है और आयोग से इन आरोपों की स्वतंत्र जांच कराने की मांग की।
कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री फडणवीस के इस्तीफे की मांग की और कहा कि गांधी द्वारा चंद्रपुर जिले के राजौरा विधानसभा क्षेत्र में “वोट चोरी” का पर्दाफाश करने के बाद उन्हें पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।
गांधी ने “वोट चोरी” के अपने दावे को आगे बढ़ाते हुए बृहस्पतिवार को मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर “लोकतंत्र को नष्ट करने” वालों को बचाने का आरोप लगाया और कर्नाटक विधानसभा क्षेत्र के आंकड़ों का हवाला देते हुए दावा किया कि चुनाव से पहले कांग्रेस समर्थकों के वोट व्यवस्थित रूप से हटाए जा रहे थे।
उन्होंने महाराष्ट्र की राजौरा सीट का उदाहरण भी दिया और दावा किया कि स्वचालित सॉफ्टवेयर का उपयोग करके धोखाधड़ीपूर्ण तरीके से मतदाताओं को जोड़ा गया।
शरद पवार के नेतृत्व वाली राकांपा (शरदचंद्र पवार) के प्रवक्ता क्लाइड क्रैस्टो ने कहा कि मतदाता सूची से बड़े पैमाने पर नाम हटाए जाने के संबंध में गांधी द्वारा लगाए गए आरोप “गंभीर प्रकृति के” हैं और इनकी स्वतंत्र जांच होनी चाहिए।
उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट एक बयान में कहा कि कांग्रेस सांसद ने दिखाया है कि किस तरह संदिग्ध तरीकों से मतदाता सूची से नाम हटाए जा रहे हैं, जिससे निर्वाचन आयोग की ईमानदारी पर सवाल उठ रहे हैं।
क्रैस्टो ने कहा, “इन नाम-काटने वालों को किसी व्यक्ति के वोटर आईडी खाते तक कैसे पहुंच मिली? निर्वाचन आयोग का पोर्टल इतनी आसानी से कैसे हैक हो सकता है? या इसमें आयोग के किसी सदस्य की मिलीभगत है? ये ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब निर्वाचन आयोग और केंद्र सरकार को देना होगा।”
उन्होंने कहा कि आरोप दिन-प्रतिदिन गंभीर होते जा रहे हैं, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि निर्वाचन आयोग के पास इनका कोई वैध जवाब नहीं है।
उन्होंने कहा, “ईसीआई को स्वतंत्र जांच करानी चाहिए और भारत की जनता के सामने सच्चाई और तथ्य पेश करने चाहिए।”
शिवसेना प्रवक्ता हर्षल प्रधान ने कहा कि गांधी “भाजपा का असली चेहरा उजागर करने का उत्कृष्ट काम” कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “राहुल गांधी के सबूतों के साथ लगाए गए नए आरोपों से भाजपा घबरा गई है।”
ठाणे में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने दावा किया कि राजौरा विधानसभा क्षेत्र में 6,850 वोटों में हेराफेरी की गई और यहां तक कि मुख्यमंत्री फडणवीस के नेतृत्व वाले गृह मंत्रालय के अधीन राज्य पुलिस ने भी इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की।
ठाणे में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए सपकाल ने कहा, “राहुल गांधी ने एक बार फिर उजागर किया है कि महाराष्ट्र में लोकतंत्र का किस तरह गला घोंटा जा रहा है। राजौरा में 6,000 से ज्यादा मतों की चोरी हुई, जिसकी पुष्टि अब मुख्यमंत्री फडणवीस की अपनी पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी से होती है, यह साबित करती है कि महायुति गठबंधन को सत्ता में बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।”
उन्होंने कहा, “भाजपा ने निर्वाचन आयोग की मदद से वोट चुराकर सत्ता हासिल की। फडणवीस को अपनी आंखें खोलनी चाहिए और तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए।”
आयोग पर दोहरे मानदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार एक राजनीतिक नेता की तरह बोल रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने हालांकि गांधी के आरोपों को “निराधार” करार दिया और कहा कि मतदाता सूचियों से नाम हटाने की घटनाएं कांग्रेस के शासनकाल में भी हुई थीं।
आरपीआई (ए) प्रमुख ने ‘पीटीआई वीडियो’ से बातचीत में यह भी कहा कि गांधी अक्सर विरोधाभासी दावे करते हैं। उन्होंने कहा, “कभी वह कहते हैं कि मतदाताओं को जोड़ा गया, तो कभी वह दावा करते हैं कि मतदाताओं को हटाया गया।”
उन्होंने कहा कि मतदाता सूची से नाम अक्सर गायब हो जाते हैं और ऐसा तब भी हुआ था जब कांग्रेस सत्ता में थी। उन्होंने कहा, “यह समस्या वर्तमान सरकार के दौरान उत्पन्न नहीं हुई।”
सत्ताधारी भाजपा और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने भी इस मुद्दे पर गांधी की आलोचना की।
प्रदेश भाजपा के मुख्य प्रवक्ता केशव उपाध्याय ने कांग्रेस सांसद को वोट चोरी का “बादशाह” करार दिया और कहा कि उन्हें चुनाव प्रक्रिया के बारे में बार-बार निराधार आरोप लगाने के लिए भारत की जनता से माफी मांगनी चाहिए।
भाजपा पदाधिकारी ने कहा, “केवल आरोपों से कुछ साबित नहीं किया जा सकता। आपको संविधान के दायरे में कानूनी लड़ाई लड़नी होगी...गांधी को संवाददाता सम्मेलन करने के बजाय कानूनी लड़ाई पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।”
उपाध्याय ने यह भी दावा किया कि महाराष्ट्र में कई लोगों ने मतदाता पहचान पत्र प्राप्त करने के लिए अपने पते के रूप में पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण के कराड स्थित आवास का उल्लेख किया था।
उन्होंने कहा कि जब बिहार में एक अगस्त को मतदाता सूची का मसौदा जारी किया गया था, तो आयोग ने आपत्तियां उठाने के लिए एक सप्ताह का समय दिया था।
उन्होंने कहा, “इसलिए अगर किसी मतदाता के नाम हटाए जा रहे थे, तो कांग्रेस उस समय संदेह जता सकती थी, लेकिन पार्टी ने कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई। विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर आपत्ति जताने वाले एक भी राजनीतिक दल ने एक से आठ अगस्त के बीच कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई। अब मतदाता सूची में हेराफेरी का दावा कैसे हो सकता है? वे देश में अराजकता और अस्थिरता चाहते हैं।”
अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष सुनील तटकरे ने बृहस्पतिवार को ‘वोट चोरी’ के राहुल गांधी के ताजा आरोपों को “बचकाना” करार दिया और कहा कि मतदाता इतने जानकार हैं कि वे कांग्रेस नेता और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ द्वारा गढ़े जा रहे विमर्श को समझ सकते हैं।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ऐसे आरोप इसलिए लगा रही है क्योंकि वह नवंबर 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में अपनी “भारी हार” को पचा नहीं पा रही है।
तटकरे ने कहा, “राहुल गांधी निश्चित रूप से विपक्ष के नेता हैं, लेकिन उन्हें बूथ स्तर (चुनाव प्रक्रिया) का ज्ञान नहीं है और उनके बयान बहुत बचकाने हैं।”
तटकरे ने कहा, “हार के कारण, वह (राहुल) इस तरह “वोट चोरी’ के आरोप लगा रहे हैं। लेकिन मतदाता इतने जानकार हैं कि वे ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव एलायंस’ (इंडिया) और राहुल गांधी द्वारा गढ़े जा रहे विमर्श को समझ सकते हैं।”
भाषा प्रशांत