कर्नाटक में मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण के भूखंड आवंटन में बड़े पैमाने पर घोटाला हुआ: ईडी
राजकुमार अविनाश
- 18 Sep 2025, 10:11 PM
- Updated: 10:11 PM
नयी दिल्ली, 18 सितंबर (भाषा) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि उसकी धन शोधन जांच में कर्नाटक में विभिन्न कानूनों और सरकारी आदेशों का उल्लंघन करके एमयूडीए भूखंडों के आवंटन में ‘‘बड़े पैमाने पर’’ घोटाला पाया गया है।
उसने यह भी कहा कि अयोग्य संस्थाओं/व्यक्तियों को मुआवजा स्थलों के ‘अवैध’ आवंटन में मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण(एमयूडीए) के पूर्व आयुक्त जी टी दिनेश कुमार की भूमिका अहम थी।
एमयूडीए मामला कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की पत्नी पार्वती को भूमि आवंटन में कथित अनियमितताओं से जुड़ा है।
कुमार को ईडी ने 16 सितंबर को बेंगलुरु में गिरफ्तार किया था और सांसदों/विधायकों से संबद्ध एक विशेष अदालत ने बुधवार को उन्हें 26 सितंबर तक ईडी की हिरासत में भेज दिया था।
निदेशालय ने दावा किया, ‘‘इस मामले में जांच के दौरान एकत्र किए गए साक्ष्य और दस्तावेजों से पता चला है कि जी टी दिनेश कुमार एमयूडीए के आयुक्त के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान व्यापक धन शोधन योजना में सक्रिय रूप से शामिल थे।’’
पिछले साल सितंबर में राज्य सरकार ने एमयूडीए के कामकाज में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं की रिपोर्ट मिलने के बाद आंतरिक जांच कराई थी, जिसके बाद कुमार को निलंबित कर दिया गया था।
यह धनशोधन का मामला कर्नाटक लोकायुक्त पुलिस की एक प्राथमिकी पर आधारित है।
ईडी ने कहा कि जांच में पाया गया कि विभिन्न क़ानूनों, सरकारी आदेशों और दिशानिर्देशों का ‘उल्लंघन’ करके और अन्य धोखाधड़ीपूर्ण तरीकों से एमयूडीए भूखंडों के आवंटन में ‘बड़े पैमाने पर घोटाला’ किया गया।
उसने कहा कि पूर्व एमयूडीए आयुक्त कुमार की भूमिका अयोग्य संस्थाओं/व्यक्तियों को मुआवजा भूखंडों के अवैध आवंटन में महत्वपूर्ण है।’’
उसने कहा, ‘‘जांच के दौरान, अवैध आवंटन के लिए नकदी, बैंक हस्तांतरण, चल/अचल संपत्तियों के रूप में रिश्वत लेने के संबंध में साक्ष्य एकत्र किए गए हैं।’’
एजेंसी ने कहा कि उसने ‘अवैध’ रूप से आवंटित अब तक 252 भूखंडों को कुर्क किया है, जिनका बाजार मूल्य लगभग 400 करोड़ रुपये है।
जुलाई में उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में पार्वती के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय की कार्यवाही रद्द करने के कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा था।
इस मामले में राज्य सरकार द्वारा गठित न्यायमूर्ति पी एन देसाई आयोग ने भी सिद्धरमैया और उनके परिवार को दोषमुक्त करार दिया है।
लोकायुक्त पुलिस ने भी सिद्धरमैया, पार्वती और दो अन्य को क्लीन चिट देते हुए कहा है कि आरोप ‘सबूतों के अभाव में साबित नहीं हो सके।’’
भाषा
राजकुमार