उद्योग संगठन ने निचले ग्रेड के लौह अयस्क पर निर्यात शुल्क को लेकर चेताया
अजय अजय
- 21 Sep 2025, 12:21 PM
- Updated: 12:21 PM
नयी दिल्ली, 21 सितंबर (भाषा) उद्योग संगठन यूसीसीआईएल ने चेताया है कि निम्न ग्रेड वाले लौह अयस्क पर निर्यात शुल्क लगाने से उत्पादन, घरेलू कीमतें कम हो जाएंगी, क्षमता में दीर्घकालिक नुकसान होगा और भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धा कम हो जाएगी।
सरकार इस साल अक्टूबर से निचले ग्रेड वाले लौह अयस्क पर 30 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाने की योजना बना रही है।
उत्कल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री लिमिटेड (यूसीसीआईएल) ने एक बयान में कहा, ‘‘निर्यात शुल्क से इस क्षेत्र में अस्थिरता पैदा होगी, उत्पादन में गिरावट, घरेलू कीमतों में भारी गिरावट, भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धा क्षमता में कमी और दीर्घकालिक क्षमता का नुकसान होगा। इसका असर रोजगार, क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था और औद्योगिक उत्पादन पर भी होगा।’’
यूसीसीआईएल ने ओडिशा सरकार से आग्रह किया कि वह राज्य के लौह अयस्क खनन उद्योग की रक्षा करे, क्योंकि केंद्र सरकार निचले ग्रेड वाले लौह अयस्क पर निर्यात शुल्क लगाने को लेकर चर्चा कर रही है।
संगठन ने कहा कि ऐसा कदम निश्चित रूप से इस क्षेत्र को नुकसान पहुंचाएगा, इससे खनन वाले राज्यों के खजाने को 16,200 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान होगा और राज्यों में खनन पर निर्भर लाखों लोगों की आजीविका खतरे में पड़ जाएगी।
यूसीसीआईएल ने चेतावनी दी कि प्रस्तावित निर्यात शुल्क से इस क्षेत्र में अस्थिरता पैदा होगी, उत्पादन में गिरावट, घरेलू कीमतों में भारी गिरावट, भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धा क्षमता में कमी और दीर्घकालिक क्षमता का नुकसान होगा।
संगठन ने कहा, ‘‘इसका असर रोजगार, क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था और औद्योगिक उत्पादन पर भी होगा।’’
वित्त वर्ष 2024-25 में लौह अयस्क का अनुमानित उत्पादन लगभग 27.78 करोड़ टन था।
ओडिशा देश में लौह अयस्क का प्रमुख उत्पादक राज्य है। यह देश के कुल लौह अयस्क उत्पादन में 55 प्रतिशत का योगदान देता है। 2024-25 में लौह अयस्क की प्रमुख उत्पादक एनएमडीसी लिमिटेड, ओडिशा माइनिंग कॉरपोरेशन, सेल, टाटा स्टील लिमिटेड और जेएसडब्ल्यू थीं।
ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी को लिखे पत्र में, चैंबर ने कहा कि ऐसा कोई भी कदम न केवल राज्य के राजस्व पर बल्कि खनन गतिविधियों की व्यवहार्यता और इस क्षेत्र पर निर्भर हजारों लोगों की आजीविका पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालेगा, खासकर दूरदराज और आर्थिक रूप से कमजोर क्षेत्रों में।
उद्योग के अनुमानों और डेटा मॉडल के अनुसार, निचले ग्रेड वाले लौह अयस्क पर प्रस्तावित निर्यात शुल्क लगाने से ओडिशा के खजाने को सालाना 10,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो सकता है।
भाषा अजय