सरकार, सीएसआर कोष से एमएसएमई को मिल सकती है जलवायु संकट से निपटने में मदद: विशेषज्ञ
योगेश अजय
- 21 Sep 2025, 02:37 PM
- Updated: 02:37 PM
नयी दिल्ली, 21 सितंबर (भाषा) सरकार से मिलने वाले समर्थन और कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के तहत मिलने वाले धन से सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रम (एमएसएमई) को कार्बन उत्सर्जन पर अंकुश लगाने के उपायों के वित्तपोषण में मदद मिल सकती है। विशेषज्ञों ने यह जानकारी दी।
विशेषज्ञों ने कहा कि स्वच्छ ऊर्जा में बदलाव, जलवायु-सूचित भवन उपनियम और श्रमिकों की उत्पादकता में सुधार के लिए सक्रिय और निष्क्रिय शीतलन प्रौद्योगिकियों का संयोजन कुछ अन्य कदम हैं जो एमएसएमई को जलवायु-संबंधी जोखिमों से बचा सकते हैं।
अंतरराष्ट्रीय जल प्रबन्धन संस्थान में जल डेटा फॉर क्लाइमेट रेजिलिएन्स के ग्रुप लीडर गिरिराज अमरनाथ ने कहा, ‘‘सरकार और निजी क्षेत्र को शुरुआती पूंजी देनी चाहिए ताकि औद्योगिक समूह स्थानीय प्रतिनिधियों को जोखिम का अनुमान लगाने, योजनाएं तैयार करने और जलवायु संबंधी संकट आने से पहले सक्रिय रूप से काम करने के लिए सशक्त बना सकें।’’
उन्होंने कहा कि सीएसआर कोष का उपयोग भी लचीलेपन के उपाय बनाने के लिए किया जा सकता है।
एमएसएमई पर चरम मौसम के प्रभाव का उदाहरण देते हुए प्रयागराज डाइंग एंड प्रिंटिंग मिल्स के राघव डालमिया ने बताया कि सूरत के कपड़ा एमएसएमई को तीव्र गर्मी के तनाव की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जहां मशीनें 130-180 डिग्री पर काम करती हैं और खराब वेंटिलेशन समस्या को और बढ़ा देता है।
उमामहेश्वरन राजशेखर ने नए बुनियादी ढांचे की स्थापना की सिफारिश की, जो डिजाइन चरण के दौरान उभरते जलवायु जोखिमों को ध्यान में रख सके।
उन्होंने कहा कि पहले से काम कर रहे एमएसएमई संकुलों में बाढ़ जैसी आपदाओं से बचने के लिए बदलाव करना कठिन होता है। एमएसएमई को यह मार्गदर्शन दिया जाना चाहिए कि वे अपने महत्वपूर्ण उपकरण जैसे बैटरियां और इलेक्ट्रिकल पैनल ऊंचे, सुरक्षित स्थानों पर लगाएं।
क्लाइमेट ग्रुप के दक्षिण एशिया नीति प्रमुख आदित्य राघव ने कहा, ‘‘संकुल स्तर पर जोखिम का आकलन करके एमएसएमई में टिकाऊ ढांचे की योजना को शामिल किया जा सकता है। हीट एक्शन प्लान और बाढ़ ड्रिल जैसी जलवायु अनुकूल योजनाएं, जो बड़ी कंपनियों ने विकसित की हैं, उन्हें एमएसएमई तक प्रभावी रूप से पहुंचाया जाना चाहिए।’’
भाषा योगेश