बिहार में महागठबंधन की ‘शानदार जीत’ की पूरी संभावना : माकपा
सुभाष दिलीप
- 21 Sep 2025, 05:12 PM
- Updated: 05:12 PM
(अंजलि ओझा)
नयी दिल्ली, 21 सितंबर (भाषा) मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव एम. ए. बेबी ने कहा है कि वाम दल आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में अधिक सीटों पर प्रत्याशी उतारने के हकदार हैं, लेकिन महागठबंधन के हिस्से के रूप में वे अपने दावे ‘‘यथार्थवादी और तर्कसंगत’’ तरीके से करेंगे।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव ने यह भी कहा कि महागठबंधन की ‘‘शानदार जीत’’ की पूरी संभावना है, क्योंकि राज्य में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के खिलाफ हाल में ‘‘वोटर अधिकार यात्रा’’ के दौरान लोग स्वत: ही उमड़ पड़े थे।
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए विपक्षी महागठबंधन में सीट बंटवारे पर बातचीत जारी है। माकपा राज्य में इस गठबंधन का हिस्सा है।
बेबी ने कहा, ‘‘बिहार में मैंने नौ जुलाई और एक सितंबर को लोगों, विशेषकर युवाओं और महिलाओं को जिस तरह स्वतः ही उमड़ते देखा, उससे पता चलता है कि महागठबंधन बहुत मजबूती से आगे बढ़ रहा है और राज्य में हमारी शानदार जीत की पूरी संभावना है।’’
विधानसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे की व्यवस्था में वाम दलों की अपेक्षाओं के बारे में पूछे जाने पर बेबी ने कहा कि वे अधिक सीट के हकदार हैं। उन्होंने कहा कि माकपा ने कुछ सीट को चिह्नित किया है, जहां वह मजबूत है। माकपा ने पिछली बार चार सीट पर चुनाव लड़ा था।
बेबी ने कहा, ‘‘वाम दल अधिक सीट के हकदार हैं। मैंने (राजद नेता) तेजस्वी यादव जी से इस बारे में चर्चा की है। पटना में मेरी उनसे विस्तार से चर्चा हुई। हमने उन्हें वाम दलों के अधिक सीट पर चुनाव लड़ने के महत्व से अवगत कराया, जिनका पिछले विधानसभा चुनाव में प्रदर्शन सराहनीय रहा था।’’
माकपा महासचिव ने कहा, ‘‘वह भी इसकी सराहना करते हैं। हालांकि, यह एक गठबंधन है। देखिए, अलग-अलग पार्टियां दावे कर रही हैं। हम अपने दावे बहुत यथार्थवादी और तर्कसंगत तरीके से करेंगे। हम चाहते हैं कि हमारे जनाधार की ताकत चुनावी मुकाबले में भी दिखाई दे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि महागठबंधन इस बारे में सौहार्दपूर्ण निर्णय पर पहुंच सकेगा कि प्रत्येक सहयोगी को कितनी सीट पर चुनाव लड़ना चाहिए।’’
वर्ष 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में, वाम दलों - भाकपा (मार्क्सवादी लेनिनवादी) लिबरेशन, माकपा और भाकपा ने कुल 29 सीट पर चुनाव लड़ा था और 16 पर जीत हासिल की थी। माकपा ने चार और भाकपा ने छह सीट पर चुनाव लड़ा था। दोनों ने दो-दो सीट जीती थीं। भाकपा (माले) लिबरेशन ने 19 सीट पर चुनाव लड़ा और 12 पर जीत दर्ज की थी।
माकपा महासचिव ने कहा, ‘‘पिछली बार हमने दो सीट पर जीत हासिल की थी और दो सीट पर मामूली अंतर से हारे थे। इसलिए स्वाभाविक रूप से इन चार सीट पर हमारा दावा बनता है। पिछली बार हमने कुछ अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में भी अपनी ताकत दिखाई थी। हम इसे भी तेजस्वी यादव जी के सामने रखेंगे, जो बिहार में विपक्ष के नेता हैं। हमें उम्मीद है कि हमारे बीच अच्छा समझौता होगा।’’
यह पूछे जाने पर कि सीट बंटवारे पर चर्चा कब तक पूरी होने की उम्मीद है, उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेताओं को पहल करनी होगी।
माकपा महासचिव ने कहा, ‘‘दो-तीन दौर की बातचीत होगी। सबसे पहले, राजद नेता को विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ बातचीत करने की पहल करनी होगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें किस क्रम में चर्चा करनी चाहिए, यह तेजस्वी यादव जी को खुद तय करना है। अगर यह जल्दी हो जाए, तो लोगों तक पहुंचना हमारे लिए आसान रहेगा। महागठबंधन में, वे इस पर निर्णय लेंगे।’’
माकपा ने हाल में 12 से 29 अगस्त तक 10 जिलों में 11 निर्वाचन क्षेत्र-स्तरीय सम्मेलन आयोजित किए थे।
वर्तमान में, माकपा के पास समस्तीपुर की विभूतिपुर और सारण की माझी सीट है। वर्ष 2020 के चुनाव में दो सीट - मटिहानी (बेगूसराय) और पिपरा (पूर्वी चंपारण) पर पार्टी के प्रत्याशियों को शिकस्त का सामना करना पड़ा था।
माकपा की राज्य समिति ने दूसरी प्राथमिकता सूची में सात सीट को चिह्नित किया है, जिसमें पूर्णिया (पूर्णिया जिला), बिस्फी (मधुबनी), परबत्ता (खगड़िया), महिषी (सहरसा), बहादुरपुर (दरभंगा), नौतन (पश्चिम चंपारण) और मोहिउद्दीन नगर (समस्तीपुर) शामिल हैं।
माकपा महासचिव ने बिहार में ‘‘घुसपैठियों’’ पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की टिप्पणी की भी आलोचना की और कहा कि ऐसा कहना गैर जिम्मेदाराना है। उन्होंने कहा कि यह समाज में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देने के लिए ‘‘ओछी राजनीतिक बयानबाजी’’ है।
भाषा सुभाष