प्रधानमंत्री जीएसटी व्यवस्था संशोधनों का ‘पूर्ण श्रेय’ लेने का दावा कर रहे हैं: रमेश
शफीक सुरेश
- 21 Sep 2025, 08:20 PM
- Updated: 08:20 PM
नयी दिल्ली, 21 सितंबर (भाषा) कांग्रेस ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर माल एवं सेवा कर (जीएसटीत्र व्यवस्था में किए गए संशोधनों का ‘‘पूर्ण श्रेय’’ लेने का आरोप लगाया और कहा कि मौजूदा सुधार अपर्याप्त हैं, तथा राज्यों की मुआवजे की अवधि को और पांच साल के लिए बढ़ाने की मांग का कोई समाधान नहीं किया गया है।
विपक्षी दल ने सुधारों की आलोचना करते हुए कहा कि ये ‘‘गहरे घाव देने के बाद मरहम लगाने जैसा है।’’
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि सरकार को आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी लगाने के लिए जनता से माफी मांगनी चाहिए।
जीएसटी दरों में कटौती लागू होने से एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को स्वदेशी वस्तुओं को बढ़ावा देने की पुरजोर वकालत की। उन्होंने कहा कि अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधार भारत की वृद्धि गाथा को गति देंगे, कारोबारी सुगमता को बढ़ाएंगे और अधिक निवेशकों को आकर्षित करेंगे।
मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा कि नवरात्रि के पहले दिन से ‘जीएसटी बचत उत्सव’ शुरू होगा और आयकर छूट के साथ यह ज्यादातर लोगों के लिए ‘‘दोहरा लाभ’’ होगा।
प्रधानमंत्री के संबोधन पर प्रतिक्रिया देते हुए खरगे ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘नौ सौ चूहे खाकर, बिल्ली हज को चली! नरेन्द्र मोदी जी, आपकी सरकार ने कांग्रेस के सरल और कुशल जीएसटी के बजाय, अलग-अलग नौ स्लैब से वसूली कर ‘गब्बर सिंह टैक्स’ लगाया और आठ साल में 55 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा वसूले।
उन्होंने कहा, ‘‘अब आप 2.5 लाख करोड़ रुपये के ‘बचत उत्सव’ की बात करके जनता को गहरे घाव देने के बाद मामूली ‘बैंड ऐड’ लगाने की बात कर रहे हैं। जनता कभी नहीं भूलेगी कि आपने उनके दाल, चावल, अनाज, पेंसिल, किताब, इलाज, किसानों के ट्रैक्टर- सबसे जीएसटी वसूला था। आपकी सरकार को तो जनता से माफी मांगनी चाहिये।’’
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए ‘‘संवैधानिक निकाय जीएसटी परिषद द्वारा जीएसटी व्यवस्था में किए गए संशोधनों का पूर्ण श्रेय लेने का दावा’’ किया है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस लंबे समय से यह तर्क देती रही है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) ‘‘विकास को अवरुद्ध करने वाला एक कर’’ रहा है।
रमेश ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘यह बड़ी संख्या में कर श्रेणियों वाली व्यवस्था, आम उपभोग की वस्तुओं पर ‘दंडात्मक’ कर दरों, बड़े पैमाने पर कर चोरी और गलत वर्गीकरण, महंगे अनुपालन बोझ और एक उलट शुल्क ढांचे (इनपुट की तुलना में आउटपुट पर कम कर) से ग्रस्त है।’’
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘हम जुलाई 2017 से ही जीएसटी 2.0 की मांग कर रहे हैं। यह 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए हमारे न्याय पत्र में किया गया एक प्रमुख वादा था।’’
रमेश ने दावा किया कि मौजूदा जीएसटी सुधार अपर्याप्त हैं और इसमें कई लंबित मुद्दे हैं, जिनमें अर्थव्यवस्था में प्रमुख रोजगार सृजनकर्ता एमएसएमई की व्यापक चिंताएं भी शामिल हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रमुख प्रक्रियागत परिवर्तनों के अलावा, इसमें अंतरराज्यीय आपूर्तियों पर लागू होने वाली सीमाओं को और बढ़ाना भी शामिल है।’’
रमेश ने दावा किया कि कपड़ा, पर्यटन, हस्तशिल्प और कृषि जैसे क्षेत्रों के मुद्दे भी हैं, जिनसे निपटना जरूरी है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि राज्यों को राज्य-स्तरीय जीएसटी लागू करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, ताकि बिजली, शराब, पेट्रोलियम और रियल एस्टेट को भी इसमें शामिल किया जा सके।
रमेश ने कहा, ‘‘सहकारी संघवाद की सच्ची भावना से राज्यों की प्रमुख मांग यानी उनके राजस्व की पूरी तरह से रक्षा के लिए मुआवजे को पांच साल और बढ़ाने की मांग- अभी तक अनसुलझी है।’’
उन्होंने आश्चर्य जताया कि क्या ‘‘आठ साल की देरी’’ से लागू किए गए जीएसटी बदलाव, वास्तव में उच्च जीडीपी वृद्धि के लिए आवश्यक निजी निवेश को बढ़ावा देंगे।
रमेश ने यह भी कहा कि पिछले पांच वर्षों में चीन के साथ व्यापार घाटा दोगुना होकर 100 अरब अमेरिकी डॉलर को पार कर गया है।
जीएसटी सुधारों के लागू होने से रसोई के सामान से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स तक, दवाओं और उपकरणों से लेकर ऑटोमोबाइल तक, लगभग 375 वस्तुओं पर दरें सोमवार से घट जाएंगी।
उपभोक्ताओं को एक बड़ा तोहफा देते हुए, केंद्र और राज्यों की जीएसटी परिषद ने 22 सितंबर, यानी नवरात्रि के पहले दिन से जीएसटी की दरें कम करने का फैसला किया था।
भाषा
शफीक