भाजपा ने पंजाब में हाल में आई बाढ़ की सेवानिवृत्त न्यायाधीश से जांच कराने की मांग की
अमित देवेंद्र
- 21 Sep 2025, 10:24 PM
- Updated: 10:24 PM
चंडीगढ़, 21 सितंबर (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पंजाब इकाई के प्रमुख सुनील जाखड़ ने राज्य में हाल में आयी बाढ़ के कारणों की जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में जांच की रविवार को मांग की। उन्होंने पंजाब की भगवंत मान सरकार से रंजीत सागर बांध से छोड़े गए पानी की मात्रा के बारे में भी सवाल किया।
जाखड़ ने कहा कि पठानकोट में रंजीत सागर बांध से बहने वाली रावी नदी के कारण व्यापक क्षति हुई है तथा यह पूरी तरह से राज्य सरकार के नियंत्रण में है।
उन्होंने दावा किया कि 20 से 26 अगस्त के बीच नदी के जलग्रहण क्षेत्र में भारी बारिश की चेतावनी के बावजूद, बांध से बहुत कम पानी छोड़ा गया।
उन्होंने कहा कि सरकार के अपने दावों के अनुसार, 27 अगस्त को 2.75 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के एक मुख्य अभियंता ने मीडिया को बताया था कि शाहपुर कंडी के निचले इलाकों में छोटे-छोटे नालों के जरिए 4.70 लाख क्यूसेक पानी घुस गया।
जाखड़ ने कहा कि हालांकि, रंजीत सागर बांध और माधोपुर हेडवर्क्स के बीच कोई और नदी या नाला नहीं है जिसके जरिये इतनी बड़ी मात्रा में पानी आ सके। उन्होंने कहा कि यह सारा पानी दरअसल पंजाब सरकार द्वारा नियंत्रित रंजीत सागर बांध से छोड़ा गया था।
आम आदमी पार्टी (आप) सरकार पर निशाना साधते हुए जाखड़ ने कहा कि जिस कंपनी को पठानकोट के माधोपुर बैराज की क्षमता की जांच का ठेका दिया गया था, उसे जल विज्ञान का कोई अनुभव नहीं था और वह वास्तव में सामाजिक विज्ञान में शोध करने वाली एक कंपनी थी।
उन्होंने राज्य सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि उसने केवल तीन अधिकारियों को निलंबित किया, लेकिन उन लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जिन्होंने कंपनी को ठेका दिया था।
उन्होंने राज्य सरकार से सवाल किया, ‘‘इस कंपनी को ठेका क्यों दिया गया? क्या तटबंधों को मजबूत करने के लिए आवंटित धनराशि खर्च की गई?’’
राज्य सरकार ने शनिवार को माधोपुर बैराज हादसे में एक कार्यकारी अभियंता समेत तीन अधिकारियों को निलंबित कर दिया था। पिछले महीने पठानकोट जिले में हेडवर्क्स के दो ‘फ्लडगेट’ क्षतिग्रस्त हो गए थे। सरकार ने कंपनी पर महोधपुर हेडवर्क्स के फाटक की मजबूती का गलत प्रमाण देने का आरोप लगाया था।
जाखड़ ने कहा कि जल संसाधन मंत्री ने कहा था कि तटबंधों को मजबूत करने के लिए 203 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
जाखड़ ने दावा किया, हालांकि वास्तव में, सरकार ने केवल 80 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। उन्होंने सरकार से आठ अगस्त तक यह स्पष्ट करने को कहा कि इन परियोजनाओं के लिए वास्तव में कितने कार्य आदेश जारी किए गए थे।
जाखड़ ने आरोप लगाया कि राज्य में 1,000 किलोमीटर लंबे नदी तटबंध और 800 किलोमीटर लंबे नाले (जल निकासी चैनल) हैं, फिर भी सरकार नदी के किनारों को मजबूत करने और समय पर नालों की सफाई करने में विफल रही।
उन्होंने दावा किया कि नालों की सफाई न होने के कारण हजारों एकड़ कीनू के बाग नष्ट हो गए हैं और लुधियाना के ससराली इलाके में भी नदी में दरार अवैध खनन के कारण आई है।
जाखड़ ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘इस पूरे मामले की एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा समयबद्ध तरीके से जांच कराई जानी चाहिए ताकि वास्तविक कारणों का पता लगाया जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि ऐसी आपदा दोबारा न हो।’’
जाखड़ ने कहा कि उन्होंने सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे "झूठ" के बारे में चंडीगढ़ पुलिस में शिकायत दर्ज करायी है, जिसमें बाढ़ के लिए केंद्र सरकार और भाजपा को ज़िम्मेदार ठहराया जा रहा है।
उन्होंने मान सरकार पर भी निशाना साधा और आरोप लगाया कि वह वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए हाल में आई बाढ़ के मुद्दे पर राज्य विधानसभा का सत्र बुला रही है।
भाषा अमित