पराली जलाने पर रोक के लिए किसानों में जागरूकता पैदा करेंगे, मशीनरी देंगे : मान
अमित नरेश
- 22 Sep 2025, 07:03 PM
- Updated: 07:03 PM
चंडीगढ़, 22 सितंबर (भाषा) पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सोमवार को कहा कि उनकी सरकार राज्य में पराली जलाने की घटनाओं पर रोक के लिए किसानों के लिए जागरूकता शिविर आयोजित कर रही है और उन्हें पराली प्रबंधन (सीआरएम) मशीनरी भी दे रही है।
अक्टूबर और नवंबर में धान की फसल की कटाई के बाद दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ने के लिए अक्सर पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने को जिम्मेदार ठहराया जाता है।
चूंकि धान की कटाई के बाद रबी की फसल - गेहूं - के लिए समय बहुत कम होता है, इसलिए कुछ किसान अगली फसल की बुवाई के लिए पराली को शीघ्रता से साफ करने के लिए अपने खेतों में आग लगा देते हैं।
पराली जलाने पर एक सवाल के जवाब में मान ने कहा कि उनकी सरकार राज्य में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के प्रयास करेगी। गुरु नानक देव की शिक्षाओं का हवाला देते हुए मान ने कहा कि सरकार किसानों को पराली जलाने की घटनाओं के खिलाफ जागरूक कर रही है।
उन्होंने यहां पत्रकारों से कहा कि प्रेरणा शिविर आयोजित किए जा रहे हैं और उन्हें सीआरएम मशीनरी दी जाएगी।
इस सवाल पर कि गत सत्रह सितंबर को उच्चतम न्यायालय ने पंजाब सरकार से पूछा था कि पराली जलाने में शामिल कुछ किसानों को गिरफ्तार क्यों नहीं किया जाना चाहिए, मान ने कहा कि सभी को शीर्ष अदालत के फैसले को स्वीकार करना होगा।
हालांकि, उन्होंने उम्मीद जतायी कि ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो जिसमें 'अन्नदाता' को पुलिस थाने ले जाना पड़े और प्राथमिकी दर्ज करनी पड़े।
वर्ष 2024 में, पंजाब में पराली जलाने की कुल 10,909 घटनाएं हुईं, जबकि 2023 में यह संख्या 36,663 थी, इसके हिसाब से पराली जलाने की घटनाओं में 70 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई।
माल एवं सेवा कर (जीएसटी) दरों में कटौती के बारे में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए मान ने पूछा कि जीएसटी कौन लाया? उन्होंने कहा, ‘‘वे खुद इसे लाए थे और तब कहा था कि यह एक मास्टरस्ट्रोक है। अब भी वे यही कह रहे हैं।’’
उन्होंने मांग की कि केंद्र को राज्यों को जीएसटी का बकाया देना चाहिए।
पंजाब में हाल ही में आयी बाढ़ के बारे में मान ने कहा कि नदियों से गाद निकालने का काम जल्द ही शुरू किया जाएगा और उनकी प्राथमिकता जीवन को पटरी पर लाना है।
उन्होंने कहा कि खेतों को गेहूं की बुवाई के लिए तैयार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसान बाढ़ के पानी के कारण खेतों में जमा रेत निकाल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अभी तक यह आकलन नहीं किया गया है कि हाल ही में आई बाढ़ में कितने मवेशी मारे गए और बह गए। उन्होंने कहा कि एक बार इसका आकलन हो जाने के बाद, उचित मुआवज़ा दिया जाएगा।
मान से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पंजाब इकाई अध्यक्ष सुनील जाखड़ द्वारा बाढ़ के मुद्दे पर आप सरकार पर निशाना साधने पर भी टिप्पणी करने को कहा गया, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि रंजीत सागर बांध से निकलने वाली रावी नदी के कारण भारी नुकसान हुआ।
मुख्यमंत्री ने जवाब दिया कि डेरा बाबा नानक में बाढ़ का पानी 26 और 27 अगस्त को आया था और बाद में माधोपुर बैराज के गेट खोले गए थे।
उन्होंने कहा, "जाखड़ साहब पूरी तैयारी नहीं करते। उनकी पार्टी के नेता जो भी कहते हैं, वही बोलते हैं। क्या बाढ़ एक ही गेट से आई?"
उन्होंने अपील की कि इस मुद्दे पर राजनीति न हो। मुख्यमंत्री मान ने कहा, "फिर भी हम मामले की जांच करवाएंगे। हमने पहले ही अधिकारियों को निलंबित कर दिया है।"
बाढ़ के मुद्दे पर पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों को इस मुद्दे पर विधानसभा में चर्चा करनी चाहिए।
पंजाब सरकार 26 से 29 सितंबर तक राज्य विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलाएगी, जिसमें हाल में आई बाढ़ से हुए नुकसान से संबंधित नियमों में "जन-केंद्रित" संशोधनों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
राशन कार्ड से संबंधित एक प्रश्न के उत्तर में, मान ने कहा कि राज्य सरकार ने लाभार्थियों के सत्यापन के लिए केंद्र से छह महीने का समय मांगा है क्योंकि राज्य के अधिकारी बाढ़ संबंधी कार्यों में व्यस्त हैं। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार कोई भी राशन कार्ड रद्द नहीं होने देगी।
पिछले महीने, मान ने आरोप लगाया था कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत राज्य में 8 लाख से अधिक राशन कार्ड धारकों के नाम हटा देगी।
भाषा
अमित