आधुनिक युद्ध की बदलती प्रकृति के लिए एकीकृत तकनीकी समाधान जरूरी: सीडीएस जनरल चौहान
पारुल अविनाश
- 22 Sep 2025, 09:23 PM
- Updated: 09:23 PM
नयी दिल्ली, 22 सितंबर (भाषा) प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने ‘काइनेटिक’ और ‘नॉन-काइनेटिक’ युद्ध के बीच सिमटते फासले के मद्देनजर आधुनिक युद्ध की बदलती प्रकृति पर प्रकाश डालते हुए सोमवार को कहा कि इससे उन्नत और एकीकृत तकनीकी समाधानों की आवश्यकता बढ़ी है।
जनरल चौहान ने दिल्ली कैंट के मानेकशॉ केंद्र में आयोजित पहली त्रि-सेवा अकादमिक प्रौद्योगिकी संगोष्ठी (टी-एसएटीएस) में अपने संबोधन में यह टिप्पणी की। इस संगोष्ठी का मकसद राष्ट्रीय रक्षा के लिए महत्वपूर्ण विशिष्ट प्रौद्योगिकियों के विकास के वास्ते सेवा-अकादमिक अनुसंधान और विकास पारिस्थितिकी तंत्र में समन्वय स्थापित करना है।
रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक, सीडीएस ने भविष्य की अभियानगत मांग को पूरा करने के लिए मंचों, हथियारों, नेटवर्क और सिद्धांतों में स्वदेशी क्षमता विकसित करने की दिशा में शिक्षा, स्टार्ट-अप और उद्योग जगत की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।
उन्होंने संपूर्ण राष्ट्र का दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया और शिक्षा जगत से नवाचार को बढ़ावा देने तथा भारत को “अगली पीढ़ी की रक्षा प्रौद्योगिकियों के विकास में अग्रणी” बनाने के लिए प्रतिबद्ध होने का आग्रह किया।
बयान के अनुसार, अपने संबोधन में जनरल चौहान ने आधुनिक युद्ध की बदलती प्रकृति पर प्रकाश डाला, जो ‘काइनेटिक’ और ‘नॉन-काइनेटिक’ युद्ध के बीच सिमटते फासले का नतीजा है और कहा कि इससे उन्नत एवं एकीकृत तकनीकी समाधानों की आवश्यकता बढ़ी है।
‘काइनेटिक’ युद्ध में सैन्य या राजनीतिक उद्देश्यों को प्राप्त करने और दुश्मन को भारी नुकसान पहुंचाने के लिए भौतिक बल और हथियारों का प्रत्यक्ष इस्तेमाल किया जाता है। वहीं, ‘नॉन-काइनेटिक’ युद्ध में अप्रत्यक्ष, गैर-भौतिक साधनों जैसे साइबर हमले, दुष्प्रचार अभियान और आर्थिक प्रतिबंधों के जरिये दुश्मन को निशाना बनाया जाता है।
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि टी-एसएटीएस में भारतीय सशस्त्र बलों के लिए विशिष्ट और भविष्य की प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए सेवा-अकादमिक अनुसंधान और विकास पारिस्थितिकी तंत्र में समन्वय स्थापित करने पर जोर दिया गया।
संगोष्ठी का उद्घाटन जनरल चौहान ने किया। इसमें शैक्षणिक और प्रमुख अनुसंधान एवं विकास संस्थानों के निदेशकों और विभागाध्यक्षों के साथ-साथ आईआईटी, आईआईआईटी और निजी प्रौद्योगिकी संस्थानों सहित 62 संस्थानों के छात्रों ने हिस्सा लिया।
सीडीएस ने एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया, जिसमें शिक्षा जगत की ओर से विकसित 43 नवीन प्रौद्योगिकियां प्रदर्शित की गईं।
भाषा पारुल