भाजपा सांसद सुधाकर की पत्नी ने 'डिजिटल अरेस्ट' के जरिये गंवाये 14 लाख रुपये, रकम बरामद
अमित नरेश
- 23 Sep 2025, 05:13 PM
- Updated: 05:13 PM
बेंगलुरु, 23 सितंबर (भाषा) बेंगलुरु पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए वे 14 लाख रुपये बरामद कर लिये हैं जो चिक्काबल्लापुरा से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद के. सुधाकर की पत्नी प्रीति ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ के जरिये एक साइबर धोखाधड़ी में गंवा दिए थे।
पुलिस के अनुसार, यह घटना 26 अगस्त को हुई थी।
‘डिजिटल अरेस्ट’ एक साइबर घोटाला है जिसमें धोखेबाज पुलिस या प्रवर्तन एजेंसी के अधिकारियों का रूप धारण करते हैं और पीड़ितों को व्हाट्सऐप वीडियो कॉल के माध्यम से यह दावा करते हुए धमकाते हैं कि उन पर आपराधिक मामले दर्ज हैं।
बेंगलुरु के बसवेश्वरनगर निवासी प्रीति (44) को साइबर धोखेबाजों से एक व्हाट्सऐप कॉल आयी, जिसमें उन्होंने खुद को मुंबई साइबर अपराध पुलिस का अधिकारी बताया।
जालसाजों ने प्रीति को बताया कि उनके बैंक खाते से अवैध रूप से पैसे ट्रांसफर हुए हैं। वे उनके पैसे को सत्यापन के लिए आरबीआई भेजेंगे और 45 मिनट के भीतर उसे उनके खाते में वापस ट्रांसफर कर देंगे। जालसाज़ों ने यह भी कहा कि अगर वह उनके बताए गए खाते में पैसे ट्रांसफर नहीं करती, तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। पुलिस ने कहा, ‘‘उन्होंने (जालसाजों ने) धमकाकर शिकायतकर्ता के एचडीएफसी बैंक खाते से कुल 14 लाख रुपये एक अज्ञात यस बैंक खाते में ट्रांसफर करवा लिए और धोखाधड़ी की।"
पुलिस ने बताया कि बाद में, उसी शाम प्रीति ने पुलिस में एक शिकायत दर्ज करायी। पुलिस ने बताया कि शिकायतकर्ता ने 'गोल्डन ऑवर' के दौरान राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन (एनसीआरपी) नंबर 1930 पर भी कॉल करके शिकायत दर्ज करायी।
इसके बाद, मामला दर्ज किया गया और जांच शुरू की गई।
पुलिस ने बताया कि परिणामस्वरूप, आरोपी के खाते में ट्रांसफर की गई धनराशि के लेनदेन पर रोक लगा दी गई। पुलिस ने बताया कि तीन सितंबर को, 47वीं एसीजेएम अदालत ने एक आदेश जारी करके यस बैंक अधिकारियों को ‘फ्रीज’ (लेनदेन पर रोक) की गई राशि शिकायतकर्ता के खाते में वापस करने का निर्देश दिया।
एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया, "आदेश पर कार्रवाई करते हुए, 14 लाख रुपये की पूरी राशि शिकायतकर्ता को वापस कर दी गई।"
पश्चिम संभाग के पुलिस उपायुक्त गिरीश एस. ने संवाददाताओं को बताया कि आरोपियों का पता लगाने के प्रयास जारी हैं। उन्होंने लोगों से अपील की कि अगर वे इस तरह की धोखाधड़ी का शिकार होते हैं तो घबराएं नहीं।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन (एनसीआरपी) नंबर 1930 पर तुरंत (गोल्डन ऑवर के भीतर) शिकायत दर्ज करायी जाए और बिना किसी देरी के निकटतम पुलिस थाने में मामला दर्ज कराया जाए तो नुकसान को रोकने के लिए त्वरित कार्रवाई की जा सकती है।"
भाषा अमित