तिवारी ने कहा: 'जेन एक्स, वाई और जेड' को विशेषाधिकार स्वीकार्य नहीं; भाजपा ने राहुल पर निशाना साधा
हक सुरेश
- 23 Sep 2025, 06:59 PM
- Updated: 06:59 PM
नयी दिल्ली, 23 सितंबर (भाषा) कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल में हुए सत्ता-विरोधी प्रदर्शनों का हवाला देते हुए मंगलवार को कहा कि ‘‘जेन एक्स, वाई और जेड को विशेषाधिकार अब स्वीकार्य नहीं है’’।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तिवारी द्वारा ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में "नेपो किड्स" जैसे शब्दों के इस्तेमाल किए जाने को लेकर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘कांग्रेस के जी-23 समूह के सदस्य रहे वरिष्ठ कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने राहुल गांधी पर निशाना साधा, जो भारतीय राजनीति के सबसे बड़े 'नेपो किड' हैं।’’
'नेपोकिड' शब्द का इस्तेमाल उन लोगों के लिए किया जाता है, जिन्हें अपने माता-पिता या परिवार की वजह से किसी क्षेत्र में आसानी से मौके मिल जाते हैं।
तिवारी ने अपनी पोस्ट में लिखा, ‘‘जुलाई, 2023 में श्रीलंका में राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे, जुलाई, 2024 में बांग्लादेश में शेख हसीना, सितंबर, 2025 में नेपाल में केपी शर्मा ओली और अब फिलीपीन में फर्डिनेंड मार्कोस जूनियर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन... इन सबके पीछे एक ही संदेश है कि जेन एक्स, वाई और जेड को अब विशेषाधिकार स्वीकार्य नहीं।’’
उन्होंने यह भी कहा, ‘‘...'राजवंशों' को गिराने वाले या चुनौती देने वाले सोशल मीडिया ट्रेंड्स' पर मेरा लेख जरूर पढ़ें। इस बीच, नेपो किड्स का अध्ययन करें।’’
तिवारी ने फिलीपीन में बाढ़ नियंत्रण धोखाधड़ी को लेकर हाल ही में हुए विरोध प्रदर्शनों पर मीडिया रिपोर्ट का हवाला दिया।
तिवारी की टिप्पणी का इस्तेमाल भाजपा ने कांग्रेस पर हमले के लिए किया।
भाजपा नेता अमित मालवीय ने गांधी को भारतीय राजनीति का ‘‘परम 'नेपो किड' करार दिया, जबकि संबित पात्रा ने कहा कि देश की जनता 2014 में ही इस ‘‘नेपोकिड’’ को हटा चुकी है।
उनका कहना है, ‘‘वरिष्ठ कांग्रेस नेता मनीष तिवारी, जो जी-23 समूह के सदस्य हैं, भारतीय राजनीति के परम नेपो किड' राहुल गांधी पर निशाना साधते हैं।’’
मालवीय ने दावा किया, "जनरेशन जेड को तो भूल ही जाइए, कांग्रेस के अपने दिग्गज भी उनकी प्रतिगामी राजनीति से तंग आ चुके हैं। अब विद्रोह अंदर से है।’’
तिवारी ने पलटवार करते हुए कहा कि उनकी टिप्पणी को ‘कांग्रेस बनाम भाजपा’ के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि (इसमें) देश के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा के गंभीर निहितार्थ हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हे भगवान, मैं बस यही चाहता हूं कि कुछ लोग ज़िंदगी में आगे बढ़ें। हर चीज को कांग्रेस-भाजपा या ‘इसने कहा-उसने कहा’ अथवा 'एक्स या वाई' को निशाना बनाने तक सीमित नहीं किया जा सकता।’’
भाषा हक