तेल-तिलहनों के टूटते थोक दाम पर खुदरा बाजार बेअसर
राजेश राजेश अजय
- 23 Sep 2025, 08:15 PM
- Updated: 08:15 PM
नयी दिल्ली, 23 सितंबर (भाषा) देश के तेल-तिलहन बाजार में मंगलवार को सरसों एवं मूंगफली तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल के थोक दाम में गिरावट देखी गई जबकि नये बढ़े हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) वाले सोयाबीन के कमजोर हाजिर दाम के बीच सोयाबीन तिलहन के थोक दाम स्थिर बने रहे। एक ओर खाद्य तेल-तिलहनों के थोक दाम निरंतर टूट रहे हैं पर खुदरा बाजार पर इस गिरावट का कोई खास असर नहीं हो रहा है।
मलेशिया और शिकॉगो एक्सचेंज में फिलहाल गिरावट जारी है।
बाजार सूत्रों ने कहा कि निर्यात बढ़ाने के मकसद से अर्जेंटीना ने खाद्य तेल पर निर्यात शुल्क 31 अक्टूबर तक हटा लिया है जिससे विशेषकर आयातित तेलों में गिरावट आई है और इस गिरावट के कारण देशी तेल-तिलहन कीमतों पर भी दबाव बना हुआ है। स्थिति यह है कि विशेषकर सोयाबीन, मूंगफली, सूरजमुखी और कपास फसल के हाजिर थोक दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 20-30 प्रतिशत नीचे चल रहे हैं। वहीं अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) को ऊंचा रखे जाने की आड़ में, खुदरा बाजार में उपभोक्ताओं को थोक दाम में आई गिरावट के लाभ से वंचित रखा जा रहा है।
उन्होंने कहा कि एक अजीब सी स्थिति है कि देश अपनी खाद्य तेलों की आधे से अधिक मांग के लिए आयात पर निर्भर है और ऐसे में आयातकों को, बंदरगाहों पर ही अपने माल को लागत से कम दाम पर बेचने की कौन सी मजबूरी आ रही है? इस स्थिति की ओर ध्यान देकर इसे सुलझाये बगैर, देश को तेल-तिलहन मामले में कभी आत्मनिर्भरता की ओर नहीं ले जाया जा सकेगा।
सूत्रों ने कहा कि रुपया मंगलवार को 47 पैसे टूटकर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 88.75 (अस्थायी) के अपने सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ। एक ओर रुपये में गिरावट देखी जा रही है और वहीं खाद्य तेलों के लिए देश की आयात पर निर्भरता बढ़ती जा रही है। यह तेल-तिलहन कारोबार के लिए कहीं से अच्छा नहीं है। इस ओर ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि सरसों के दाम ऊंचा होने से इसकी मांग प्रभावित हो रही है। मूंगफली के थोक हाजिर दाम टूटे पड़े हैं। सुस्त कामकाज के बीच इन दोनों तेलों के दाम में गिरावट आई। अर्जेंटीना ने अपने खाद्य तेल निर्यात को बढ़ाने के लिए सजगता दिखाते हुए निर्यात शुल्क को कुछ समय के लिए हटा लिया है। यही सजग रुख भारत को भी अपनाना चाहिये। कपास की नयी फसल का एमएसपी अधिक है पर मिलावटी बिनौला खल के कारण कपास के हाजिर दाम एमएसपी से काफी नीचे हैं। इस वजह से बिनौला तेल की थोक कीमतों में भी गिरावट देखी गई।
सूत्रों ने कहा कि पिछले लगभग 20 वर्षो से तमाम विशेषज्ञों एवं समीक्षकों को विभिन्न परिचर्चाओं में खाद्य तेलों के दाम बढ़ने पर गंभीर चिंता दर्शाते देख जाता रहा है। लेकिन इन परिचर्चाओं और तमाम सुझावों के बावजूद, क्यों देश की तेल-तिलहन मामले में आयात पर निर्भरता बढ़ती ही जा रही है, यह सोच का विषय है। संभवत: ये परिचर्चायें किसी निजी हित से संचालित होती हैं या फिर उसमें तेल-तिलहन कारोबार की जमीनी हकीकत से कोई रिश्ता नहीं होता। इस पर विचार करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति में तेल आयातक, तेल मिलें, किसान या उपभोक्ता सभी प्रभावित हैं। इसे सुलझाकर तेल-तिलहन कारोबार को बचाना होगा।
तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन - 7,125-7,175 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली - 5,300-5,675 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 12,750 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल - 2,115-2,415 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 15,050 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,535-2,635 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,535-2,670 रुपये प्रति टिन।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,100 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 12,850 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 10,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 11,550 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,250 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 13,200 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 12,100 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना - 4,525-4,575 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 4,225-4,325 रुपये प्रति क्विंटल।
भाषा राजेश राजेश