बुलडोजर फैसले से बहुत संतुष्टि मिली क्योंकि यह मानवीय समस्याओं से निपटता है: सीजेआई गवई
सुभाष नरेश
- 23 Sep 2025, 08:20 PM
- Updated: 08:20 PM
नयी दिल्ली, 23 सितंबर (भाषा) प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बी. आर. गवई ने कहा है कि बुलडोजर कार्रवाई पर उनके फैसले से उन्हें ‘‘अत्यधिक संतुष्टि’’ मिली है, क्योंकि यह ‘‘मानवीय समस्याओं’’ से निपटता है।
न्यायमूर्ति गवई और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की उच्चतम न्यायालय की पीठ ने 13 नवंबर 2024 को ‘‘बुलडोजर न्याय’’ की तुलना एक अराजक स्थिति से की थी और देशभर के लिए दिशानिर्देश निर्धारित किये थे।
शीर्ष न्यायालय के वकीलों के एक शैक्षणिक समूह द्वारा 19 सितंबर को आयोजित एक अभिनंदन समारोह में सीजेआई गवई ने कहा कि उन्हें लगभग छह महीने तक न्यायमूर्ति विश्वनाथन के साथ पीठ साझा करने का अवसर मिला।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि बुलडोजर से जुड़ा निर्णय, उन निर्णयों में से एक है जिसने हम दोनों को अत्यधिक संतुष्टि दी। इस निर्णय के मूल में मानवीय समस्याएं और मानव द्वारा सामना की जाने वाली समस्याएं थीं। परिवार को केवल इसलिए परेशान किया जा रहा था कि उसके सदस्य या तो अपराधी या कथित अपराधी हैं।’’
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि हालांकि, इसका श्रेय उन्हें ही जाता है, लेकिन इस फैसले को लिखने का बराबर का श्रेय न्यायमूर्ति विश्वनाथन को भी जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सीजेआई के कार्यकाल का न्याय प्रशासन पर कोई असर नहीं पड़ता।
सीजेआई ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि प्रधान न्यायाधीश के कार्यकाल का न्याय प्रशासन की दक्षता से कोई सीधा संबंध है। हमारे पास ढाई महीने तक न्यायमूर्ति ललित और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना जैसे सर्वश्रेष्ठ प्रधान न्यायाधीश रहे हैं, जिन्होंने अपनी छाप छोड़ी है तथा वे न्याय प्रदान करने और (न्याय) प्रशासन में अपने योगदान के लिए जाने जाते हैं।’’
प्रधान न्यायाधीश गवई ने कहा कि उन्होंने न्याय की बेहतरी और देश भर में न्यायपालिका के बुनियादी ढांचे में सुधार लाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने न्याय प्रशासन की बेहतरी और देश भर में न्यायिक बुनियादी ढांचे में सुधार लाने तथा यह सुनिश्चित करने के लिए हर पल प्रयास किया है कि उच्च न्यायालयों में नियुक्तियां शीघ्रता से तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचें।’’
प्रधान न्यायाधीश के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में उच्चतम न्यायालय में वकालत कर रहे युवा वकीलों को ‘‘अच्छा प्रतिनिधित्व’’ देने का प्रयास किया गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें पूरा विश्वास है कि उच्चतम न्यायालय में उन्हें जो समृद्ध अनुभव प्राप्त होता है, वह वास्तव में उच्च न्यायालय स्तर पर दक्षता लाने या उसे बढ़ाने में मदद करता है।’’
भाषा सुभाष