सीबीआई ने आईडीबीआई के पूर्व अधिकारी के खिलाफ मामले को बंद किया
वैभव दिलीप
- 23 Sep 2025, 09:41 PM
- Updated: 09:41 PM
नयी दिल्ली, 23 सितंबर (भाषा) केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने आईडीबीआई के पूर्व उप प्रबंध निदेशक बी के बत्रा के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का एक मामला बंद कर दिया है, जो भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या की अब बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइंस के खिलाफ 950 करोड़ रुपये के ऋण धोखाधड़ी मामले में भी जांच के घेरे में हैं। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
सीबीआई ने एयरलाइंस को दिए गए ऋण के संबंध में गिरफ्तारी के एक साल बाद, 2018 में बत्रा के खिलाफ मामला दर्ज किया था। उन पर 1 जनवरी 2008 से 30 जुलाई 2016 तक बैंक में मुख्य महाप्रबंधक, कार्यकारी निदेशक और उप प्रबंध निदेशक के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान कथित तौर पर आय के ज्ञात स्रोत से अधिक 1.69 करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित करने का आरोप है।
बत्रा की संपत्ति के मामले में केंद्रीय एजेंसी की जांच तब शुरू हुई, जब बैंक से उनकी सेवानिवृत्ति से पहले उनके बैंक खाते में 60 लाख रुपये की क्रेडिट प्रविष्टियां पाई गईं।
ये अंतरण कथित तौर पर गुरुग्राम के एक निवासी द्वारा किए गए थे, जिसके बैंक खाते में पर्याप्त धनराशि नहीं थी, जिससे यह संदेह पैदा हुआ कि ये प्रविष्टियां बत्रा के खाते में फर्जी कंपनियों के माध्यम से की गईं।
जांच के दौरान, सीबीआई को पता चला कि बत्रा ने अपना फ्लैट गुरुग्राम निवासी को बेचा था और इसकी बिक्री के लिए 60 लाख रुपये की अग्रिम राशि प्राप्त की थी।
साठ लाख रुपये की यह राशि आय से अधिक संपत्ति की गणना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थी।
सीबीआई ने इस मामले में एक ‘क्लोजर रिपोर्ट’ दाखिल करने का फैसला किया, जिसे हाल ही में एक विशेष अदालत ने स्वीकार कर लिया।
किंगफिशर एयरलाइंस ऋण मामले के संबंध में, एजेंसी ने आरोप लगाया है कि बत्रा ने उचित प्रक्रियाओं का पालन किए बिना विमानन कंपनी को कुछ ऋण स्वीकृत करने में माल्या के साथ मिलीभगत की।
बत्रा को 2017 में आईडीबीआई द्वारा किंगफिशर एयरलाइंस को दिए गए 950 करोड़ रुपये के बैंक ऋण के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था, जो बाद में गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) में बदल गया और बाद में इसे धोखाधड़ी घोषित कर दिया गया।
सीबीआई के आरोपपत्र में आरोपी संख्या 8 के रूप में सूचीबद्ध, बत्रा कथित तौर पर एयरलाइंस को दिए गए तीनों ऋणों में शामिल थे। सीबीआई ने आरोप लगाया है कि घोटाले में उनकी ज़िम्मेदारी ‘‘सीएमडी के बाद दूसरे स्थान पर है’’।
माल्या मामले से बरी करने की उनकी याचिका पिछले साल मुंबई की एक विशेष अदालत ने खारिज कर दी थी।
भाषा
वैभव