पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीमा पार तनाव को सुलझाने के लिए तुर्किये में वार्ता जारी
गोला सिम्मी
- 28 Oct 2025, 11:15 AM
- Updated: 11:15 AM
(सज्जाद हुसैन)
इस्लामाबाद, 28 अक्टूबर (एपी) पाकिस्तान और पड़ोसी अफगानिस्तान के बीच सीमा पार सैन्य और अन्य मुद्दों पर अपने विवाद को सुलझाने के लिए तुर्किये में वार्ता अब भी जारी है लेकिन वे अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं।
वार्ता शनिवार को शुरू हुई और सोमवार तक जारी रही, लेकिन कोई अंतिम समझौता नहीं हो सका।
अधिकारियों के हवाले से ‘डॉन’ अखबार ने खबर दी कि अंतिम समझौता अभी नहीं हुआ है।
बंद कमरे में हुई बातचीत से परिचित सूत्रों ने बताया कि हालांकि ‘‘दोनों पक्षों के बीच अधिकांश बिंदुओं पर आपसी सहमति बन गई है’’ लेकिन अफगान क्षेत्र से सक्रिय आतंकवादी समूहों के खिलाफ ठोस कार्रवाई मुख्य मुद्दा बना हुआ है।
अखबार ने एक सूत्र के हवाले से कहा, ‘‘हमें उम्मीद थी कि हम जल्द ही अफगानिस्तान के साथ एक पारस्परिक दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर सकेंगे जिसके बाद एक संयुक्त बयान जारी किया जाएगा लेकिन यह अब भी हमारी पहुंच से बाहर है।’’
सोमवार की सुबह वार्ता काफी सकारात्मक रही। इसमें भाग लेने वाले अधिकारियों ने दोनों प्रतिनिधिमंडलों की ओर से ‘‘उत्साहजनक प्रगति’’ और ‘‘गंभीर भागीदारी’’ का जिक्र किया।
जैसे-जैसे वक्त आगे बढ़ा और बातचीत शाम तक जारी रही तो उम्मीद की रोशनी फीकी पड़ती गयी। एक सूत्र ने कहा, ‘‘यह एक मुश्किल दौर है।’’
अखबार के अनुसार, रात होते-होते ऐसा लगने लगा कि वार्ता में एक बार फिर से व्यवधान पैदा हो गया है।
सूत्रों के अनुसार, अफगान तालिबान प्रतिनिधिमंडल ने लिखित रूप में कुछ भी देने से इनकार कर दिया, विशेष रूप से प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) को समर्थन न देने के लिए गारंटी प्रदान करने के मुद्दे पर।
प्रतिनिधिमंडल के एक सदस्य ने कहा, ‘‘अफगान पक्ष ने स्पष्ट कर दिया है कि तनाव से किसी को कोई फ़ायदा नहीं है। हमें उम्मीद है कि इस वार्ता का सकारात्मक परिणाम निकलेगा।’’
ऐसी जानकारी है कि तुर्किये और कतर के मध्यस्थों ने भी ऐसे ही विचार साझा किए और संपर्क बनाए रखने तथा प्रक्रिया को बाधित होने से रोकने के महत्व पर जोर दिया।
लंबे समय से जारी गतिरोध के बावजूद राजनयिक सूत्रों ने सोमवार के सत्र को ‘‘महत्वपूर्ण’’ बताया।
एक मध्यस्थ ने कहा, ‘‘भले ही वार्ता में कोई बड़ी उपलब्धि हासिल नहीं हुई लेकिन दोनों पक्षों का लगातार तीन दिन तक बातचीत में शामिल रहना अपने आप में महत्वपूर्ण है। यह दिखाता है कि कोई भी पक्ष वार्ता प्रक्रिया को टूटने नहीं देना चाहता।’’
अखबार के अनुसार, सोमवार देर शाम तक इस्तांबुल में वार्ताकार यह विचार कर रहे थे कि क्या चर्चाओं को चौथे दिन तक बढ़ाया जाए।
इससे पहले, इस महीने की शुरुआत में हुई झड़पों में कई सैनिकों, आम नागरिकों और आतंकवादियों की मौत हो गई थी, जिससे युद्ध जैसी स्थिति बन गई थी। हालांकि, कतर और तुर्किये की मध्यस्थता में 19 अक्टूबर को हुई बातचीत के बाद अस्थायी रूप से शांति बहाल हो गई थी।
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने शनिवार को चेतावनी दी थी कि अगर ये वार्ताएं विफल रहीं, तो पाकिस्तान को ‘‘अफगान तालिबान के साथ पूर्ण युद्ध’’ का सामना करना पड़ सकता है।
भाषा गोला