मधु किश्वर के खिलाफ दर्ज हत्या के प्रयास से जुड़ी प्राथमिकी दिल्ली उच्च न्यायालय ने की रद्द
देवेंद्र नरेश
- 29 Oct 2025, 04:01 PM
- Updated: 04:01 PM
नयी दिल्ली, 29 अक्टूबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने शिक्षाविद् मधु किश्वर के खिलाफ 17 साल पुराने हत्या के प्रयास के मामले को रद्द कर दिया और कहा कि यह प्राथमिकी दुर्भावनापूर्ण रूप से बदले की भावना से दर्ज कराई गई थी।
किश्वर के खिलाफ प्राथमिकी बसोया परिवार के साथ हुए कथित विवाद को लेकर दर्ज की गई थी, जब वह अपने मानवाधिकार संगठन मानुषी के लिए शहर में कथित अनधिकृत निर्माण कार्यों की तस्वीरें ले रही थीं।
शुरुआत में, किश्वर ने उसी घटना के दौरान उन पर हमला करने के लिए बसोया परिवार के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की थी और एक निचली अदालत ने 2019 में मामले में आरोपी व्यक्तियों को दोषी ठहराया था।
उच्च न्यायालय ने कहा कि केवल इस आधार पर आपराधिक कानून तंत्र को सक्रिय करना कि शिकायत में संज्ञेय अपराध का खुलासा हुआ है, न्यायालय की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा।
न्यायमूर्ति अमित महाजन ने 16 अक्टूबर को इस संबंध में आदेश पारित किया।
न्यायमूर्ति महाजन ने कहा, ‘‘यदि शिकायतकर्ता के आरोपों को सर्वोच्च माना जाए, तो भी उसी घटना से उत्पन्न मामले में शिकायतकर्ता की दोषसिद्धि को ध्यान में रखते हुए, इसे अधिक से अधिक आत्मरक्षा या झड़प ही माना जा सकता है।’’
उच्च न्यायालय ने यह आदेश किश्वर की याचिका को स्वीकार करते हुए पारित किया, जिसमें उन्होंने जून 2008 में उनके खिलाफ तत्कालीन भारतीय दंड संहिता के तहत हत्या के प्रयास, जानबूझकर चोट पहुंचाने और आपराधिक धमकी के कथित अपराधों के लिए दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध किया था।
प्राथमिकी 31 दिसंबर 2007 को शिकायतकर्ता के परिवार और किश्वर के बीच हुए विवाद से संबंधित है।
शिकायतकर्ता ने किश्वर पर आरोप लगाया था कि उन्होंने कोटला मुबारकपुर इलाके में सेवा नगर मार्केट में दुकानों के कथित आवंटन को लेकर हुए विवाद के दौरान अपने चालक को उन्हें (शिकायतकर्ता) और उनके परिवार के सदस्यों को कार से कुचलने का निर्देश दिया था।
प्राथमिकी में आरोप था कि किश्वर और उनके साथियों ने शिकायतकर्ता और उसके परिवार के सदस्यों पर हमला किया, जिससे उन्हें गंभीर चोट आईं।
हालांकि, किश्वर के वकील ने दावा किया कि उन्होंने (किश्वर) शिकायतकर्ता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जिसके जवाब में शिकायतकर्ता ने उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई।
किश्वर के वकील ने कहा कि जब किश्वर और कुछ स्वयंसेवकों ने बाजार में तस्वीरें खींचनी शुरू कीं, तो शिकायतकर्ता और उसके परिवार के सदस्यों ने झगड़ा शुरू कर दिया और याचिकाकर्ता और उसके चालक पर हमला कर दिया।
उच्च न्यायालय ने कहा कि किश्वर द्वारा दर्ज कराये गये मामले में शिकायतकर्ता को निचली अदालत द्वारा पहले ही दंगा करने, आपराधिक धमकी देने और ऐसे शब्द बोलकर या इशारे करके महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के अपराधों के लिए दोषी ठहराया जा चुका है।
अदालत ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता से बदला लेने के लिए प्राथमिकी दर्ज कराना दुर्भावना से प्रेरित जवाबी कार्रवाई है। दोनों प्राथमिकी 31 दिसंबर, 2007 को हुई घटना से संबंधित हैं।”
भाषा
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