कोबरापोस्ट ने अनिल अंबानी के समूह पर लगाया 41,900 करोड़ रुपये के दुरुपयोग का आरोप
प्रेम अजय
- 30 Oct 2025, 05:18 PM
- Updated: 05:18 PM
नयी दिल्ली, 30 अक्टूबर (भाषा) खोजी ऑनलाइन मंच ‘कोबरापोस्ट’ ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस समूह की कंपनियों ने अपने कोष को दूसरी जगह भेजकर वर्ष 2006 से अब तक करीब 41,921 करोड़ रुपये का वित्तीय फर्जीवाड़ा किया है। हालांकि, रिलायंस समूह ने इन आरोपों को ‘दुष्प्रचार अभियान एवं साजिश’ बताते हुए सिरे से खारिज कर दिया।
कोबरापोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि करीब 28,874 करोड़ रुपये की रकम बैंक ऋण, आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) और बॉन्ड के जरिये जुटाई गई थी। इस रकम को रिलायंस कम्युनिकेशंस, रिलायंस कैपिटल, रिलायंस होम फाइनेंस, रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस और रिलायंस कॉरपोरेट एडवाइजरी सर्विसेज जैसी सूचीबद्ध कंपनियों से निकालकर प्रवर्तक से जुड़ी फर्मों में भेज दिया गया।
इस रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया है कि करीब 1.535 अरब डॉलर (करीब 13,047 करोड़ रुपये) विदेशी मुखौटा कंपनियों के मार्फत भारत में ‘धोखाधड़ीपूर्ण तरीके’ से भेजे गए। इसके लिए सिंगापुर, मॉरीशस, साइप्रस, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड, अमेरिका और ब्रिटेन में पंजीकृत इकाइयों का इस्तेमाल किया गया।
कोबरापोस्ट का दावा है कि सिंगापुर स्थित कंपनी ‘इमर्जिंग मार्केट इन्वेस्टमेंट्स एंड ट्रेडिंग पीटीई (ईएमआईटीएस)’ को 'रहस्यमयी' कंपनी नेक्सजेन कैपिटल से 75 करोड़ डॉलर मिले थे जिन्हें बाद में रिलायंस इनोवेंचर्स (समूह की मूल कंपनी) को स्थानांतरित कर दिया गया। हालांकि, बाद में यह कंपनी भंग कर दी गई। पोर्टल ने कहा कि यह लेनदेन धनशोधन की श्रेणी में आ सकता है।
यह रिपोर्ट कंपनी अधिनियम, धनशोधन निवारक अधिनियम (पीएमएलए), विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा), सेबी अधिनियम और आयकर कानून के उल्लंघनों का हवाला देते हुए कहती है कि ये निष्कर्ष सरकारी अभिलेखों, मंत्रालयों, नियामकीय संस्थाओं और विदेशी न्यायालयों के आदेशों पर आधारित हैं।
कोबरापोस्ट ने अपनी जांच में यह आरोप भी लगाया कि रिलायंस समूह ने कंपनियों के कोष का दुरुपयोग व्यक्तिगत विलासिता के लिए किया। वर्ष 2008 में एक सूचीबद्ध कंपनी के जरिये दो करोड़ डॉलर का एक याट (नौका) भी खरीदा गया।
जांच रिपोर्ट के मुताबिक, अनिल धीरूभाई अंबानी समूह ने कंपनियों की रकम की आवाजाही को छिपाने के लिए कई पास-थ्रू इकाइयों (केवल धन के हस्तांतरण के लिए बनाई गई कंपनियां) और विशेष प्रयोजन वाली कंपनियों का इस्तेमाल किया। बाद में इन इकाइयों को बंद कर दिए जाने से समूह की छह प्रमुख सूचीबद्ध कंपनियां वित्तीय संकट में आ गईं।
कोबरापोस्ट का दावा है कि घरेलू और विदेशी स्तर पर कुल 41,921 करोड़ रुपये से अधिक राशि की हेराफेरी की गई, जिसे ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड, साइप्रस, मॉरीशस, सिंगापुर, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में फैली दर्जनों मुखौटा कंपनियों एवं अनुषंगी इकाइयों के जरिये अंजाम दिया गया।
खोजी पोर्टल कोबरापोस्ट के संपादक अनिरुद्ध बहल ने कहा, “इस फर्जीवाड़े के कारण सार्वजनिक संपत्ति को कुल 3.38 लाख करोड़ का नुकसान हुआ है, जिसमें बाजार पूंजीकरण में आई गिरावट और बैंकों के फंसे हुए कर्ज शामिल हैं।”
इन आरोपों पर अपनी प्रतिक्रिया में अनिल अंबानी की अगुवाई वाले रिलायंस समूह ने कहा कि ‘ये आरोप पुराने, सार्वजनिक रूप से उपलब्ध सूचना पर आधारित हैं जिनकी जांच एजेंसियां पहले ही पड़ताल कर चुकी हैं।’
समूह ने कोबरापोस्ट पर हमलावर रुख अपनाते हुए कहा, “यह एक ‘कॉरपोरेट हिट जॉब’ है जिसे एक 'खत्म हो चुके मंच को पुनर्जीवित कर' ऐसी इकाइयों ने चलाया है जिनका सीधा व्यावसायिक हित समूह की संपत्तियों को हासिल करने में है।
समूह ने कहा कि इस रिपोर्ट का उद्देश्य रिलायंस समूह, अनिल अंबानी एवं 55 लाख शेयरधारकों की साख धूमिल करना और कंपनियों के शेयरों को लेकर बाजार में घबराहट पैदा करना है।
हालांकि, समूह ने अपनी प्रतिद्वंद्वी कंपनियों के नाम का उल्लेख नहीं किया लेकिन यह जरूर कहा कि यह बीएसईएस लिमिटेड, मुंबई मेट्रो एवं 1,200 मेगावाट रोजा पावर प्रोजेक्ट जैसी संपत्तियों को सस्ते दाम पर हासिल करने की साजिश है।
इस बीच, रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड और रिलायंस पावर लिमिटेड ने सेबी से अपने शेयरों में हुए हालिया सौदों के तरीके की जांच कराने की मांग की है।
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