कोरेगांव प्रकरण: जांच आयोग ने पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को कारण बताओ नोटिस जारी किया
राजकुमार नरेश
- 30 Oct 2025, 06:56 PM
- Updated: 06:56 PM
मुंबई, 30 अक्टूबर (भाषा) कोरेगांव भीमा हिंसा मामले की जांच कर रहे एक आयोग ने मामले से संबंधित दस्तावेज पेश करने के अनुरोध वाली एक अर्जी का जवाब नहीं देने पर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को बृहस्पतिवार को कारण बताओ नोटिस जारी किया।
उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जे एन पटेल की अध्यक्षता वाले जांच आयोग ने ठाकरे को नोटिस भेजकर पूछा कि आयोग उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी करने की मांग करते हुए प्रकाश आंबेडकर द्वारा दिये गये आवेदन को क्यों न स्वीकार कर ले।
इस मामले में गवाह वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) के नेता आंबेडकर ने इस साल फरवरी में एक आवेदन देकर ठाकरे को राकांपा (एसपी) प्रमुख शरद पवार द्वारा 2020 में सौंपे गये दस्तावेज को पेश करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।
आंबेडकर के अनुसार, पवार ने ठाकरे को सौंपे दस्तावेजों में दावा किया था कि 2018 में पुणे शहर के पास कोरेगांव भीमा में हुई हिंसा के लिए कुछ दक्षिणपंथी संगठन जिम्मेदार थे।
आयोग ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसने ठाकरे को आवेदन पर जवाब मांगने के लिए दो बार - 12 सितंबर और 27 अक्टूबर को - नोटिस जारी किए थे।
हालांकि, ठाकरे नोटिस का जवाब देने में विफल रहे, जिसके बाद आंबेडकर ने अपने वकील किरण कदम के माध्यम से ठाकरे के खिलाफ जमानती वारंट जारी करने की मांग करते हुए एक आवेदन दिया।
आयोग ने ठाकरे को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा है कि आवेदन को क्यों न स्वीकार कर लिया जाए।
आयोग ने मामले की सुनवाई दो दिसंबर के लिए निर्धारित की है और कहा है कि अगर उस दिन ठाकरे या उनके कानूनी प्रतिनिधि आयोग के समक्ष उपस्थित नहीं होते हैं, तो कानून के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।
महाराष्ट्र सरकार ने कोरेगांव हिंसा की जांच के लिए फरवरी 2018 में एक आयोग का गठन किया था। आयोग के अध्यक्ष उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जे एन पटेल हैं। पूर्व मुख्य सचिव सुमित मलिक इसके सदस्य हैं।
पुलिस के अनुसार, 1818 के कोरेगांव भीमा युद्ध की द्विशताब्दी वर्षगांठ के दौरान, एक जनवरी, 2018 को पुणे जिले में युद्ध स्मारक के पास समूहों के बीच हिंसा भड़क उठी थी।
इस हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और 10 पुलिसकर्मियों सहित कई अन्य घायल हो गए थे।
पुणे पुलिस ने आरोप लगाया था कि 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित 'एल्गार परिषद सम्मेलन' में दिए गए भड़काऊ भाषणों के कारण कोरेगांव भीमा के पास हिंसा भड़की थी।
पुलिस ने दावा किया था कि एल्गार परिषद सम्मेलन के आयोजकों के माओवादियों से संबंध थे।
भाषा राजकुमार