पाकिस्तान, अफगानिस्तान वार्ता फिर से शुरू करने पर सहमत: रिपोर्ट
सुमित मनीषा
- 31 Oct 2025, 02:10 PM
- Updated: 02:10 PM
(सज्जाद हुसैन)
इस्लामाबाद, 31 अक्टूबर (भाषा) पाकिस्तान और अफगानिस्तान ने शुक्रवार को सीमा पर संघर्ष विराम कायम रखने और इस सप्ताह असफल रही शांति वार्ता को फिर से शुरू करने के लिए बातचीत करने पर सहमति जताई है। एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।
पाकिस्तान और अफगान तालिबान के प्रतिनिधिमंडलों के बीच दूसरे दौर की चर्चा शनिवार को इस्तांबुल में शुरू हुई थी लेकिन यह विफल हो गई क्योंकि पाकिस्तान ने तालिबान पर सीमा पार हमलों को रोकने का आश्वासन देने में अनिच्छा दिखाने का आरोप लगाया।
‘डॉन’ अखबार की शुक्रवार की रिपोर्ट के अनुसार, नवीनतम दौर की वार्ता के मेजबान तुर्किये द्वारा शुक्रवार को जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया है कि छह नवंबर को इस्तांबुल में एक प्रमुख-स्तरीय बैठक के दौरान "कार्यान्वयन के आगे के तौर-तरीकों पर चर्चा की जाएगी और निर्णय लिया जाएगा"।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि बयान में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि प्रमुख वार्ताकार कौन होंगे लेकिन उम्मीद के अनुसार, इसका मतलब यह है कि दोनों देशों के रक्षा मंत्री, जिन्होंने दोहा में पहले दौर की वार्ता में अपने-अपने पक्षों का नेतृत्व किया था, अब इस्तांबुल में भी मिलेंगे।
संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि इस दौरान दोनों देशों ने शांति बनाए रखने तथा संघर्ष विराम का उल्लंघन करने वाले पक्ष पर जुर्माना लगाने के लिए एक “निगरानी और सत्यापन तंत्र” पर भी सहमति व्यक्त की।
तुर्किये के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी संयुक्त बयान में कहा गया है, "सभी पक्ष एक निगरानी और सत्यापन तंत्र स्थापित करने पर सहमत हुए हैं, जो शांति बनाए रखने और उल्लंघन करने वाले पक्ष पर जुर्माना लगाना सुनिश्चित करेगा।"
बयान में कहा गया है कि मध्यस्थ के रूप में तुर्किये और कतर ने “दोनों पक्षों के सक्रिय योगदान” के लिए उनकी सराहना की और दोनों देश “स्थायी शांति और स्थिरता” के लिए पाकिस्तान और अफगानिस्तान के साथ अपना सहयोग जारी रखेंगे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि तुर्किये और कतर के पाकिस्तान के साथ गहरे संबंध हैं, जबकि कतर ने अफगान तालिबान और नाटो बलों के बीच वार्ता में भी प्रमुख भूमिका निभाई थी।
तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने इस घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए कहा, "जिस तरह इस्लामी अमीरात अन्य पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंध चाहता है, उसी तरह वह पाकिस्तान के साथ भी सकारात्मक संबंध चाहता है और आपसी सम्मान, आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने और किसी भी पक्ष के लिए खतरा पैदा न करने पर आधारित संबंधों के लिए प्रतिबद्ध है।"
संयुक्त बयान पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के उस बयान के तुरंत बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि इस्तांबुल वार्ता में "प्रकाश की एक किरण" दिखाई दे रही है। आसिफ ने पहले भी वार्ता में गतिरोध के बाद काबुल को कड़े शब्दों में चेतावनी जारी की थी।
उन्होंने ‘जियो’ न्यूज के एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘अंतिम समझौते के लिए विभिन्न मसौदों का आदान-प्रदान किया जा रहा है। कहा जा सकता है कि कुछ उम्मीद की किरण दिखाई दे रही है; स्थिति को लेकर बहुत सतर्क आशावाद है। आइए, उम्मीद करते हैं कि इससे कोई रूपरेखा सामने आए।"
रक्षा मंत्री ने कहा, "कतर और तुर्किये हमारे लिए बहुत सम्मानीय हैं और हमारे शुभचिंतक हैं। तुर्किये ने पाकिस्तान-भारत संघर्ष में हमारा खुलकर समर्थन किया था, इसलिए हम उनका और उनकी राय का सम्मान करते हैं।"
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस्तांबुल वार्ता पाकिस्तान की इस मुख्य मांग पर केंद्रित थी कि अफगानिस्तान, अफगान क्षेत्र से सीमा पार हमलों में शामिल तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) और अन्य आतंकवादी समूहों के खिलाफ "स्पष्ट, सत्यापन योग्य और अपरिवर्तनीय कार्रवाई" करे।
सेनाध्यक्ष फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने पहले पेशावर में बोलते हुए पाकिस्तान की स्पष्ट सीमाओं को दोहराया और कहा कि इस्लामाबाद अपने सभी पड़ोसियों के साथ शांति चाहता है, वह “अफगान क्षेत्र से पाकिस्तान के खिलाफ सीमापार आतंकवाद को अंजाम देने की अनुमति नहीं देगा।”
बातचीत में भाग लेते हुए तालिबान प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि वह टीटीपी के सदस्यों को पूरी तरह से नियंत्रित नहीं कर सकता।
रिपोर्ट के अनुसार, एक वरिष्ठ तालिबान अधिकारी ने कहा कि अफगान पक्ष ने अफगान क्षेत्र में पाए जाने वाले किसी भी टीटीपी सदस्य को हिरासत में लेने और निष्कासित करने की पेशकश की है।
रिपोर्ट में अफगान अधिकारी के हवाले से कहा गया है, ‘‘लेकिन पाकिस्तान बार-बार इस बात पर जोर देता है कि हम पाकिस्तान के भीतर टीटीपी के हमलों को नियंत्रित करें।” उन्होंने कहा, “ये लड़ाके पाकिस्तानी नागरिक हैं जो पाकिस्तान के भीतर ही सक्रिय हैं।”
इसमें कहा गया है कि पाकिस्तानी वार्ताकारों ने यह भी मांग की कि तालिबान औपचारिक रूप से टीटीपी को आतंकवादी संगठन घोषित करे और सार्वजनिक रूप से इसे ‘फितना’ कहकर इसकी निंदा करे - जो कि देशद्रोह या शरारत के लिए इस्लामी शब्द है।
राजनयिक सूत्रों ने बताया कि पांच दिनों के दौरान दोनों प्रतिनिधिमंडलों के बीच सीधा संपर्क सीमित रहा तथा अधिकांश बातचीत मध्यस्थों के माध्यम से की गई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के संबंध हाल के हफ्तों में और तनावपूर्ण हो गए हैं। इस दौरान सीमा पर झड़पें, आपसी बयानबाजी और एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप की घटनाएं सामने आईं।
भाषा सुमित