तृणमूल नेता ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री संबंधी विधेयकों की आलोचना की
शोभना नरेश
- 31 Oct 2025, 02:54 PM
- Updated: 02:54 PM
नयी दिल्ली, 31 अक्टूबर (भाषा) तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने शुक्रवार को कहा कि लगातार 30 दिनों तक हिरासत में रहे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को हटाने के प्रावधान वाले विधेयकों से गिरफ्तारी को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किए जाने का खतरा है।
ओ ब्रायन ने अपने एक ब्लॉग पोस्ट में कहा कि ये विधेयक निर्दोषता की धारणा को कमजोर करते हैं, शासन को अस्थिर करते हैं और असमानता को बढ़ावा देते हैं।
गृह मंत्री अमित शाह ने अगस्त में लोकसभा में तीन विधेयक पेश किए थे - केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक-2025, संविधान (एक सौ तीसवां संशोधन) विधेयक-2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक-2025। इन विधेयकों में गंभीर आरोपों में लगातार 30 दिनों तक हिरासत में रहे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को पद से हटाने का प्रावधान है।
संसद के दोनों सदनों ने विधेयकों को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजने संबंधी प्रस्ताव पारित किया था।
तृणमूल नेता ने कहा कि विधेयक जवाबदेही को बढ़ावा देने का दावा करते हैं लेकिन बारीकी से निरीक्षण करने पर वे निर्दोषता की धारणा को कमजोर करते नजर आते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ लोकतंत्र को मजबूत करने के बजाय, इससे गिरफ़्तारियों को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने का खतरा है।’’
ओ ब्रायन ने जोर देकर कहा कि यह न्यायिक दोषसिद्धि के बिना मतदाताओं की इच्छा को दरकिनार करता है और राजनीतिक दुरुपयोग का रास्ता खोलता है।
उन्होंने कहा, ‘‘ 30 दिनों में अपनी सीट कैसे खोएं - पहला कदम: मतदाताओं को भूल जाइए, अदालतों को भूल जाइए - वे अब आपके भाग्य का फैसला नहीं करते... दूसरा कदम: राजनीतिक रूप से प्रेरित प्राथमिकियों का इंतजार कीजिए... तीसरा कदम: हिरासत में जाइए और प्रक्रियागत देरी 30 दिन से ज्यादा होने दीजिए।’’
उन्होंने कहा कि भारतीय आपराधिक न्यायशास्त्र एक मूलभूत सिद्धांत की बात करता है और वह है- दोषी साबित होने तक निर्दोष, लेकिन यह विधेयक उस सिद्धांत को उलट देता है, जिसमें केवल गिरफ्तारी और हिरासत के आधार पर जुर्माना और पद से बर्खास्तगी का प्रावधान है।
ओ ब्रायन ने कहा कि ये विधेयक शासन व्यवस्था को ठप कर सकते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर किसी प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री को थोड़े समय के लिए भी गिरफ़्तार किया जाता है तो उसके परिणामों पर विचार करें। शासन व्यवस्था ठप हो सकती है और ऐसे आरोप जिनके कोई प्रमाण नहीं हैं उनके कारण सरकारें अस्थिर हो सकती हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘राजनीति में जवाबदेही का आधार दोषसिद्धि होना चाहिए न कि हिरासत में लिया जाना...।’’
ओ ब्रायन ने इस सप्ताह की शुरुआत में उच्चतम न्यायालय द्वारा दिल्ली पुलिस को फटकार लगाए जाने का भी उल्लेख किया। शीर्ष अदालत ने कार्यकर्ता उमर खालिद, शरजील इमाम, मीरान हैदर, गुलफिशा फातिमा और शिफा उर रहमान द्वारा दायर जमानत याचिकाओं पर जवाब दाखिल नहीं करने के लिए पुलिस को फटकार लगाई थी। ये सभी कार्यकर्ता बिना किसी सुनवाई के पांच साल से अधिक समय से जेल में हैं।
उन्होंने पश्चिम बंगाल में मनरेगा को फिर से शुरू करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का भी हवाला दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘दोनों सुनवाइयों से यह स्पष्ट हुआ कि अदालत लंबी देरी आदि के खिलाफ मुखर हो रही है।’’ उन्होंने साथ ही कहा कि संसद की इन्हीं मुद्दों पर समझ ‘‘विपरीत दिशा में जाती प्रतीत होती है।’’
भाषा शोभना