दिल्ली पुलिस ने साइबर धोखाधड़ी की ई-प्राथमिकी की जांच के लिए दिशानिर्देश जारी किए
अमित नरेश
- 31 Oct 2025, 06:58 PM
- Updated: 06:58 PM
नयी दिल्ली, 31 अक्टूबर (भाषा) दिल्ली पुलिस ने एक लाख रुपये और उससे अधिक के धोखाधड़ी वाले लेनदेन से जुड़े वित्तीय साइबर अपराध मामलों में ई-प्राथमिकी की जांच के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रियाओं पर शुक्रवार को विस्तृत दिशानिर्देश जारी किये।
ये दिशानिर्देश गृह मंत्रालय द्वारा इस वर्ष की शुरुआत में शुरू की गई भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आ4सी) पहल के तहत जारी किए गए हैं।
पुलिस आयुक्त सतीश गोलचा द्वारा जारी परिपत्र के अनुसार, एक नवंबर से प्रभावी नया ढांचा, साइबर धोखाधड़ी के मामलों में ई-प्राथमिकी के पंजीकरण, जांच और सत्यापन सहित पुलिस अधिकारियों के लिए चरण-दर-चरण प्रक्रियाएं निर्धारित करता है।
नये दिशानिर्देशों में स्वचालित ई-प्राथमिकी दर्ज करने की सीमा भी 10 लाख रुपये से घटाकर एक लाख रुपये कर दी गई है।
संशोधित प्रणाली के तहत, नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग एवं प्रबंधन प्रणाली (सीएफसीएफआरएमएस) पोर्टल या 1930 साइबर हेल्पलाइन के माध्यम से प्राप्त एक लाख रुपये से अधिक की वित्तीय साइबर धोखाधड़ी की कोई भी शिकायत स्वचालित रूप से ई-प्राथमिकी उत्पन्न करेगी।
परिपत्र में कहा गया है कि पीड़ित, चाहे किसी भी क्षेत्र का हो, दिल्ली के किसी भी पुलिस थाने में एकीकृत सहायता डेस्क (आईएचडी) पर शिकायत दर्ज कराने के लिए संपर्क कर सकता है।
ई-प्राथमिकी जारी होने के बाद, यह संबंधित राशि के आधार पर स्वचालित रूप से संबंधित पुलिस थाने को भेज दी जाएगी। 25 लाख रुपये तक की राशि के मामले जिला साइबर अपराध पुलिस थाने को, 25 लाख रुपये से 50 लाख रुपये तक की राशि के मामले अपराध शाखा साइबर प्रकोष्ठ को और 50 लाख रुपये से अधिक की राशि के मामले विशेष प्रकोष्ठ की आईएफएसओ इकाई को भेजे जाएंगे।
परिपत्र में यह अनिवार्य किया गया है कि जांच अधिकारी ई-प्राथमिकी प्राप्त होने के बाद शिकायतकर्ता के हस्ताक्षर की प्रतीक्षा किए बिना, तुरंत कार्रवाई शुरू कर दें।
इसके बाद शिकायतकर्ता को ई-प्राथमिकी के बारे में सूचित किया जाना चाहिए और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), 2023 की धारा 173 के अनुसार, मुद्रित प्रति पर हस्ताक्षर करने के लिए 72 घंटे के भीतर पुलिस थाने आने के लिए कहा जाना चाहिए।
इसमें कहा गया है कि यदि शिकायतकर्ता निर्धारित समय के भीतर उपस्थित होने में विफल रहता है तो नोटिस जारी किया जाएगा और कानूनी प्रावधानों के अनुसार ई-प्राथमिकी बंद की जा सकती है।
आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि ‘सीरीज-2 शिकायतें’ — जो नागरिकों द्वारा सीधे साइबरक्राइमडॉटजीओवीडॉटइन पोर्टल पर दर्ज की जाती हैं — फिलहाल स्वचालित रूप से ई-प्राथमिकी में परिवर्तित नहीं होंगी। इसमें कहा गया है कि इसके बजाय, ऐसे मामलों को संज्ञेय अपराध की पुष्टि और शिकायतकर्ता का बयान दर्ज करने के बाद संबंधित पुलिस थानों में नियमित प्राथमिकी के रूप में दर्ज किया जाएगा।
परिपत्र में कहा गया है कि आयुक्त ने सभी जांच अधिकारियों, थाना प्रभारियों और पर्यवेक्षी अधिकारियों को नयी मानक संचालन प्रक्रिया का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया है, जिसका उद्देश्य पूरी में साइबर धोखाधड़ी की शिकायतों का तेजी से पंजीकरण, त्वरित जांच और समान निस्तारण सुनिश्चित करना है।
भाषा अमित