युद्ध के तरीके बदल रहे हैं, अब जंग आमने-सामने नहीं लड़ी जाती: सेना प्रमुख जनरल द्धिवेदी
सुभाष नरेश
- 31 Oct 2025, 08:24 PM
- Updated: 08:24 PM
नयी दिल्ली, 31 अक्टूबर (भाषा) सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने शुक्रवार को कहा कि युद्ध के तरीके लगातार बदल रहे हैं और अब ये आमने सामने नहीं लड़े जाते, इसलिए सैन्य शक्ति, बौद्धिक और प्रौद्योगिकीय तैयारी करने की आवश्यकता है।
सेना प्रमुख ने लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती पर मानेकशॉ सेंटर में आयोजित एक कार्यक्रम में अपने संबोधन में कहा कि चाणक्य की शिक्षाएं ‘‘हमें याद दिलाती हैं कि उभरती शक्तियां अनिवार्य रूप से प्रतिपक्षी गठजोड़ को उकसाती हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रीय सुरक्षा में इन प्रतिक्रियाओं के विरुद्ध रणनीतिक संतुलन और प्रतिरोध की तैयारी शामिल है। इसमें हमारे लिए अपार अवसर है, दुनिया की सबसे युवा आबादी का जनसांख्यिकीय लाभांश, बदलती प्रौद्योगिकियां और एक रणनीतिक भूगोल।’’
सेना प्रमुख ने कहा कि चुनौतियां भी हैं।
उन्होंने युद्ध की बदलती प्रकृति और इस परिदृश्य में आवश्यक प्रतिक्रियाओं पर ज़ोर दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘सबसे पहले, हमारे बीच पारंपरिक प्रतिद्वंद्विता और कपटपूर्ण खतरे हैं, जिनके कारण आधे से अधिक, यानी ढाई से ज़्यादा, मोर्चे पर चुनौतियां पैदा हो रही हैं। दूसरा यह कि आतंकवाद, छद्म युद्ध और आंतरिक ख़तरे अभी भी बने हुए हैं। तीसरा, और उससे भी अधिक महत्वपूर्ण, दुष्प्रचार अभियान हमारे सामाजिक ताने-बाने को भीतर से तोड़ने की कोशिश करते हैं।’’
जनरल द्विवेदी ने कहा, ‘‘इसलिए युद्ध के तरीके अब तेजी से बदल रहे हैं और इसमें अब आमने-सामने की लड़ाई नहीं हो रही है। यह फ़ाइबर केबल से होकर गुज़रता है, स्क्रीन पर नजर आता है....। ज़ाहिर है, जवाबी कार्रवाई के लिए सिर्फ़ हथियारों की ताकत की ही नहीं, बल्कि बौद्धिक, प्रौद्योगिकीय और मानसिक तैयारी की भी जरूरत होती है।’’
उन्होंने कहा कि बहु-क्षेत्रीय चुनौतियों के इस युग में, राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्र निर्माण ‘‘अविभाज्य हैं, जिसके लिए समग्र राष्ट्र दृष्टिकोण’’ की आवश्यकता है, जिसमें शासन, उद्योग, शिक्षा और नागरिक समाज के संयुक्त संकल्प का उपयोग किया जाना चाहिए।
केंद्रीय मंत्री किरेन रीजीजू ने भी सेना और रक्षा थिंक टैंक ‘सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज’ द्वारा आयोजित ‘चाणक्य डिफेंस डायलॉग: यंग लीडर्स फोरम’ में सैन्य अधिकारियों, छात्रों और रक्षा विशेषज्ञों को संबोधित किया।
कर्नल सोफिया कुरैशी, जो ऑपरेशन सिंदूर पर मीडिया ब्रीफिंग करने वालों में शामिल रही थीं, भी इस कार्यक्रम में शरीक हुईं।
सेना प्रमुख ने कहा कि हाल में हुए ऑपरेशन सिंदूर में आप में से कई लोग सक्रिय रूप से शामिल रहे होंगे। कुछ युवा सैन्य अधिकारी के रूप में, कुछ एनसीसी कैडेट के रूप में, कुछ नागरिक सुरक्षा में, कुछ ड्रोन लैब में, और कुछ ‘‘सोशल मीडिया योद्धा’’ के रूप में।
उन्होंने कहा कि भारत की 65 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या 35 वर्ष से कम आयु की है और लगभग 50 प्रतिशत आबादी 25 वर्ष से कम आयु की है।
सेना प्रमुख ने कहा ‘‘यह युवाओं का देश हैं, असीम ऊर्जा, विचारों, रचनात्मकता और साहस का देश है।’’ उन्होंने कहा कि कौशल से लैस भारत का मानव संसाधन ‘‘हमारी शक्ति के सबसे बड़े स्रोत में से एक है।’’
अपने संबोधन में, उन्होंने देश की 'जेन ज़ेड' आबादी का ज़िक्र किया, जो उनके अनुसार दुनिया में सबसे बड़ी है। उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज़ में कहा कि हालांकि, भारतीय सेना दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सेना है, लेकिन ‘जेनरेशन ज़ेड’ उससे भी आगे निकल गई है।
उन्होंने कहा कि यह इस ‘‘नये युद्ध क्षेत्र, डिजिटल रूप से धाराप्रवाह, सामाजिक रूप से जागरूक और वैश्विक रूप से जुड़ाव’’ के केंद्र में है।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर वे अनुशासन से निर्देशित हों और उन्हें सही दिशा दी जाए, तो वे भारत की सबसे बड़ी ताकत हैं। यह जुनून और उद्देश्य का संगम है।’’
'जेन ज़ेड' वे युवा हैं जो लगभग 1990 के दशक के अंत और 2010 के दशक के प्रारंभ के बीच पैदा हुए।
सेना प्रमुख ने कहा कि सुरक्षा को एक सामूहिक उद्यम के रूप में समझने की इसी समझ के साथ, भारतीय सेना ने परिवर्तन के दशक की शुरुआत की है, जो सभी के साथ एकजुटता पर केंद्रित है, ‘‘जिसमें आज मौजूद या हमसे जुड़े युवा भी शामिल हैं, पुरानी संरचनाओं का पुनर्गठन और आधुनिकीकरण करते हुए अपने मानव संसाधनों का निरंतर विकास कर रहे हैं।’’
उद्योग, शिक्षा जगत और सशस्त्र बलों की तिकड़ी ‘‘इस परिवर्तन का मुख्य आधार स्तंभ’’ है।
जनरल द्विवेदी ने कहा, ‘‘युवाओं की इसके हर पहलू में भूमिका है... प्रयोगशालाओं, उद्योगों, स्टार्ट-अप, थिंक-टैंक और युद्धक्षेत्रों में, नेतृत्व के पारंपरिक केंद्रों, सैनिक स्कूल, सैन्य स्कूल, एनसीसी के अलावा भी, जिनसे हम भली-भांति अवगत हैं। सेना अब अपने 16 प्रौद्योगिकी समूहों के माध्यम से युवाओं तक पहुंच रही है। भारतीय सेना के इनक्यूबेशन सेंटर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) में भी हैं और 2025 में एक सशुल्क सेना इंटर्नशिप कार्यक्रम की भी शुरूआत की जाएगी।’’
सेना प्रमुख ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा केवल सीमाओं पर तैनात सैनिकों के बारे में नहीं है, बल्कि उन नागरिकों और युवाओं के बारे में भी है जो ‘‘इसके प्रति उदासीन नहीं हैं।’’
इस कार्यक्रम में घोषणा की गई कि चाणक्य रक्षा संवाद 2025 अगले महीने 27 और 28 तारीख को ‘‘सुधार से परिवर्तन: सशक्त और सुरक्षित भारत’’ विषय पर आयोजित किया जाएगा।
भाषा सुभाष