लखनऊ की पाककला हुयी वैश्विक: यूनेस्को की सूची में शामिल किये जाने से खुशी की लहर
मनीष जफर प्रशांत सुभाष
- 01 Nov 2025, 03:35 PM
- Updated: 03:35 PM
लखनऊ, एक नवंबर (भाषा) लखनऊ के जायकों की लज्ज़त हमेशा से खानपान के शौकीनों के बीच बेहद खास रही है, फिर चाहे इसके जाफरानी जायके की खुशबू हो या रेशमी नज़ाकत वाले पकवानों का लुत्फ़ उठाने की बात हो।
संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने अब शहर को पाककला के लिए ‘क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क’ (सीसीएन) में शामिल किया है। इससे राज्य की राजधानी के खाने-पीने के शौकीनों में खुशी की लहर है, जिन्हें लगता है कि इस वैश्विक सूची से शहर का भोजन और भी लोकप्रिय हो जाएगा।
अधिकारियों ने बताया कि कई दशकों तक अपने लजीज जायके और मेहमानवाजी से घरेलू तथा विदेशी मेहमानों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ने वाले नवाबों के शहर लखनऊ को यूनेस्को के ‘‘रचनात्मक शहरों’’ की सूची में शामिल किया गया है।
वहीं, शहर के ख्यालीगंज क्षेत्र में टुंडे कबाब की दुकान के मालिक मोहम्मद उस्मान ने कहा, "हम न केवल अच्छा खाना पसंद करते हैं, बल्कि हम इसे परोसने में भी बहुत गर्व महसूस करते हैं। किसी को शहर के जबरदस्त जायकों का लुत्फ लेते हुए देखने से ज़्यादा कुछ भी एक सच्चे लखनऊवासी को खुशी नहीं देता है।’’
‘फूडस्टोरीज़बायसोनी' नामक खाद्य चैनल चलाने वाली हिना खान ने कहा, ‘‘लखनऊ के खाने के जायके अवध क्षेत्र की रसोई में विकसित हुआ, जो मुगल सम्राटों से बड़े पैमाने पर प्रभावित था। लखनऊ के व्यंजन अपनी परिष्कृत तकनीकों, धीमी आंच पर पकाने के तरीक़ों, विशेष रूप से खाना पकाने की अपनी हॉलमार्क डुम शैली के लिए जाने जाते हैं, जहां व्यंजनों को सील किया जाता है और नमी खोए बिना स्वाद को केंद्रित करने के लिए उबाला जाता है।’’
शहर के आशियाना क्षेत्र में शाकाहारी रेस्तरां 'क्लेपॉट' चलाने वाली दीप्ति पांडे का कहना है कि लखनऊ में भोजन हमेशा 'प्यार' के साथ जोड़ा जाता है।
कहानीकार और लेखक हिमांशु बाजपेई ने पीटीआई-भाषा से कहा कि लखनऊ को जो मान्यता मिली है वह वास्तव में बहुत अच्छी है। उन्होंने कहा, ‘‘हम लखनऊ के विभिन्न व्यंजनों, उनकी प्रासंगिकता और उनके महत्व के बारे में जानते हैं। यह मान्यता निश्चित रूप से हमें सहज ख़ुशी देगी, लेकिन बड़ी बात यह है कि लखनवी भोजन, जो पहले से ही दुनिया भर में जाना जाता था, लोगों के बीच अपनी जगह को और मज़बूत करेगा।’’
यूनेस्को की महानिदेशक ऑद्रे अजोले ने 31 अक्टूबर को लखनऊ सहित 58 शहरों को सीसीएन में नये सदस्य के रूप में शामिल करने की घोषणा की। इसमें अब 100 से अधिक देशों के 408 शहर शामिल हैं।
अजोले ने कहा कि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ को ‘‘पाक कला’’ श्रेणी में मान्यता दी गई है।
लखनऊ को मिला यह सम्मान उसकी पाककला विरासत की वैश्विक स्वीकृति को प्रदर्शित करता है। यह सम्मान उस शहर को मिलता है जो अपनी खानपान परंपरा, सांस्कृतिक विविधता और नवाचार से विश्व को प्रेरित करता है।
‘यूनाइटेड नेशंस इन इंडिया’ ने शुक्रवार को ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘लज़ीज़ गलौटी कबाब से लेकर अवधी बिरयानी, लज़ीज़ चाट और गोलगप्पे, मक्खन मलाई जैसी मिठाइयां और भी बहुत कुछ... उत्तर प्रदेश का लखनऊ सदियों पुरानी परंपराओं से भरपूर खाने-पीने की चीजों की जन्नत है। लखनऊ को अब यूनेस्को द्वारा पाक-कला के रचनात्मक शहर के रूप में मान्यता दी गई है।’’
लखनऊ को मिले इस सम्मान पर प्रतिक्रिया देते हुए उप्र के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदृष्टि और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश आज देश का गौरव बन चुका है। लखनऊ की यह उपलब्धि उसके समृद्ध खानपान और संस्कृति की वैश्विक स्वीकृति है।’’
उत्तर प्रदेश सरकार ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘यह सम्मान शहर की समृद्ध पाक परंपराओं, अवधी विरासत और स्थायी एवं अभिनव पाककला को बढ़ावा देने में इसकी बढ़ती भूमिका का प्रतीक है। उत्तर प्रदेश के लिए यह गौरव का क्षण है, जहां हर स्वाद सदियों पुरानी संस्कृति और रचनात्मकता को दर्शाता है।’’
पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने एक बयान में कहा कि लखनऊ का चयन इसकी व्यंजन परंपरा और पाककला धरोहर तथा आतिथ्य परंपराओं को एक नयी अंतरराष्ट्रीय पहचान देगा।
उन्होंने बताया, ‘‘वर्ष 2024 में लखनऊ में 82.74 लाख पर्यटक आए थे, जबकि 2025 के पहले छह महीनों में ही 70.20 लाख पर्यटक आए। यह रुझान बताता है कि खानपान और संस्कृति, उत्तर प्रदेश में पर्यटन वृद्धि के प्रमुख आधार बन चुके हैं।’’
विशेष सचिव, पर्यटन ईशा प्रिया ने कहा, ‘‘लखनऊ अब दुनिया के उन चुनिंदा शहरों की श्रेणी में शामिल हो गया है जो खानपान को सांस्कृतिक संवाद और सतत विकास का माध्यम बना रहे हैं। आने वाले समय में पर्यटन विभाग इस वैश्विक पहचान को और सशक्त करने के लिए कई पहल करेगा।’’
भाषा
मनीष जफर प्रशांत