बिहार चुनाव: गायिका मैथिली ठाकुर को अलीनगर में राजनीतिक अनुभव की कमी के पूरा होने की उम्मीद
कैलाश प्रशांत नेत्रपाल
- 01 Nov 2025, 03:49 PM
- Updated: 03:49 PM
अलीनगर (दरभंगा), एक नवंबर (भाषा) लगभग एक दशक पहले जब बिहार की एक किशोरी ने अपनी मधुर आवाज़ से संगीत जगत में पहचान बनानी शुरू की थी, तब शायद ही किसी ने सोचा होगा कि वही संकोची लड़की एक दिन राजनीति के मैदान में उतर जाएगी।
अब बिहार विधानसभा चुनाव के सबसे चर्चित उम्मीदवारों में शामिल 25 वर्षीय मैथिली ठाकुर ने कहा, ‘‘मैं अलीनगर में घर बनाना चाहती हूं और इसे ही अपना स्थायी ठिकाना बनाऊंगी। मेरे ननिहाल की जड़ें यहीं हैं। मैं कहीं और नहीं रहना चाहती।’’
दरभंगा जिले के अलीनगर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार ठाकुर को ‘‘बाहरी’’ होने के आरोपों का सामना करना पड़ रहा है। वह स्थानीय मैथिली भाषा में निपुण हैं और उनकी पारिवारिक जड़ें पास के मधुबनी जिले में हैं। कुछ समय से वह अपने माता-पिता और भाइयों के साथ दिल्ली में रह रही थीं।
ठाकुर ने 14 अक्टूबर को भाजपा की सदस्यता ली, लेकिन इसके पहले से ही उनके राजनीति में आने की अटकलें तेज थीं। पांच अक्टूबर को, जब चुनाव की घोषणा से ठीक एक दिन पहले भाजपा महासचिव विनोद तावड़े और केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय के साथ उनकी तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई, तब यह लगभग तय माना जाने लगा कि वह चुनाव मैदान में उतरेंगी।
भाजपा के बिहार प्रभारी तावड़े ने ‘एक्स’ पर लिखा था, ‘‘प्रसिद्ध गायिका मैथिली ठाकुर उन परिवारों में से एक से हैं, जो 1995 में ‘लालू राज’ के दौरान बिहार छोड़ने को मजबूर हुए थे। अब बदलते समय के साथ वह वापस आना चाहती हैं।’’
उनकी उम्मीदवारी की औपचारिक घोषणा से कुछ दिन पहले ही मौजूदा भाजपा विधायक मिश्री लाल यादव ने पार्टी छोड़ दी थी। यादव ने आरोप लगाया था कि भाजपा ‘‘दलितों और पिछड़ों की उपेक्षा’’ कर रही है।
मैथिली ठाकुर ब्राह्मण समुदाय से हैं, और उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी राजद उम्मीदवार बिनोद मिश्र भी ब्राह्मण हैं, जो उम्र में उनसे करीब 35 वर्ष बड़े हैं। मिश्र को मुस्लिम और यादव समुदायों का समर्थन मिलने की उम्मीद है, जो इस क्षेत्र में ब्राह्मणों के साथ सबसे अधिक संख्या में हैं।
यह विधानसभा क्षेत्र 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आया था। 2010 और 2015 में हुए दो चुनावों में राजद नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी ने जीत दर्ज की थी, जबकि 2020 में राजद के बिनोद मिश्र को विकासशील इंसान पार्टी (तत्कालीन राजग घटक) के मिश्री लाल यादव ने हराया था।
राजद उम्मीदवार मिश्र ने ‘भाषा’ से कहा, ‘‘पिछले पांच वर्षों में अलीनगर के लोगों ने एक बाहरी को चुनने की गलती का खामियाजा भुगता है। वे अब वह गलती दोहराना नहीं चाहते। मैथिली ठाकुर भले ही बेहतरीन गायिका हों, लेकिन राजनीति में वह नयी हैं।’’
अलीनगर के कुल 12 उम्मीदवारों में सबसे ज्यादा चर्चा ठाकुर की है- उनकी राजनीतिक समझ से ज्यादा उनकी गायन प्रतिभा को लेकर। चाहे नामांकन का दिन हो या अमित शाह के साथ मंच साझा करने वाली उनकी सभा, लोग उनके भाषणों की तुलना में उनकी मधुर गायकी पर अधिक तालियां बजाते हैं।
भाजपा ने ठाकुर के समर्थन में पूरी ताकत झोंक दी है। राज्य विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के प्रभारी केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान व्यक्तिगत रूप से उनके अभियान की निगरानी कर रहे हैं।
प्रधान ने ठाकुर की ओर से तब माफी भी मांगी थी जब उत्तर प्रदेश की विधायक केतकी सिंह ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि ‘‘मिथिला का गौरव मैथिली ठाकुर हैं, न कि ‘मिथिला पाग’।
हाल ही में एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें ठाकुर ‘मिथिला पाग’ पर रखे ‘मखाने’ खाते हुई दिखीं। बाद में, उन्होंने सफाई दी कि ‘‘प्लेट की जगह पाग रख दी गई थी, यह एक साज़िश थी।’’
स्थानीय भाजपा कार्यकर्ता कौशल चौधरी ने कहा, ‘‘मैथिली ठाकुर की छवि साफ-सुथरी है, जो उनके पक्ष में जाती है। साथ ही, पार्टी कार्यकर्ता उनकी जीत सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।’’
दरभंगा मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर स्थित अलीनगर अक्सर कमला और कोसी नदियों की बाढ़ से प्रभावित होता है। यहां के 2.84 लाख मतदाता छह नवंबर को पहले चरण के मतदान में 12 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे।
भाषा कैलाश प्रशांत